जब से बनी सरकार कि ,बिजली कटल रहे मंगल चाहे सोमार की,मच्छर सटल रहे
BY Suryakant Pathak24 May 2017 3:13 AM GMT

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Suryakant Pathak24 May 2017 3:13 AM GMT
शाहगंज/जौनपुर
शाहगंज व्यवसायिक दृष्टि से प्रदेश में अपना अलग स्थान रखता है। पर जनप्रतिनिधियों व प्रशासनिक उपेक्षा के कारण यहाँ जनसुविधाएं न के बराबर है। चुनाव के वक्त प्रत्याशियों द्वारा जनता के बीच खूब लुभावने वादें व बातें की गयी थी।लेकिन सारे वादें धरे के धरे रह गये। अब जनता खुद को ठगा सा महसूस कर रही है।
शाहगंज की जनता को पिछली सरकार के ऊर्जा राज्यमंत्री शैलेन्द्र यादव ललई ने स्पेशल
शेड्यूल कराया था । उनके कार्यकाल में जो बिजली मिल रही थी। अब मिलना मुश्किल हो गयी है। केवल नाम मात्र की बिजली मिलती है ।योगी सरकार के जनप्रतिनिधि ना होने के कारण पक्षपात दृष्टि से देख रही है सरकार ।
इस भीषण गर्मी में हालात लोगों की बद से बदतर हो गयी। बच्चें बूढ़े जवान सब गर्मी से बिलबिला रहे है।क्योंकि ज्यादातर समय बिजली गुल रहती है।मुख्यमंत्री के निर्देशों का पालन नहीं हो रहा है। जबकि सीएम साहब का फरमान है कि अठारह से बीस घंटे बिजली आपूर्ति की जाय। पर कस्बावासियों को बिना किसी शेड्यूल के बिजली दी जाती है। अधिकारी ज्यादातर लोकल फाल्ट बताते है।
नयी सरकार बने दो महीने बीत चुके है पर बिजली की व्यवस्था आँख मिचौली खेल की तरह हो गयी है।
पिछले सप्ताह बिजली कटौती से लोग उब कर लखनऊ बलिया राज्य मार्ग को जाम कर दिया था। अधिकारियों ने आश्वासन दे कड़ी मेहनत के कर जाम समाप्त करवाया था।
परन्तु बिजली कटौती जस की तस बनी हुई है। अब तो रात में बिजली कब चली जाये कुछ पता नहीं। रात में मच्छरों का आतंक इस कदर रहता है की लोग पूरी रात जागने को मजबूर रहते है ।क्योंकि जिले की मलेरिया विभाग भी कागजों पर समस्त मच्छरों को मार चुकी है। इसीलिए फागिंग की कोई व्यवस्था नहीं है।
कटौती से आजिज आ चुके एक छात्र बड़े ही मन से गाना गा रहा था की जब से बनी सरकार कि, बिजली कटल रहे
मंगल चाहे सोमार कि, मच्छर सटल रहे।
उक्त गाने को सुनकर लोग यही कह रहे थे की योगी सरकार को बने दो महीना बीत चुका है पर बिजली कटौती नहीं सुधर रही। कटौती से सबसे ज्यादा व्यवसाय व छात्रों के भविष्य पर संकट मडरा रहा है।
वही लोगों का कहना है की मुख्यमंत्री जिस तरह शक्ति दिखा रहे है। वह ज़मीन स्तर पर कोई प्रभाव नही दिख रहा है । मुख्यमंत्री जी निवेदन है ।विधुत व्यवस्था को लेकर गंभीर हो तभी बात बनेगी।
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