अथ आपिया कथा---
BY Suryakant Pathak17 Jun 2017 12:41 PM GMT

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Suryakant Pathak17 Jun 2017 12:41 PM GMT
श्री शुकदेव जी महराज कहते हैं:- हे राजन! कलिकाल में मनुष्यों की वह टोली जिन्हें भारतवर्ष की बर्बादी में आनन्द प्राप्त होगा वे ही परम् आपिये कहलाएंगे
राजन:- महात्मा पहले मुझे आपियों की पहचान व् इतिहास बताएं.....
शुकदेवजी:- भो राजन्! ये आपिये त्रेता युग में राक्षसी सेना थी, जिसका राजा अरभिंड था, उसके भाई गंजय, सनीष, आदि प्रमुख थे । इनमें एक बेटा अक्षय कुमार था जो कलिकाल में कुमारि नाम से जाना जाएगा । इनकी बहन शूर्पणखा थी जो राम से विवाह न होने की कुंठा से प्रेरित होगी,, हल्का नाम को प्राप्त होगी ।
द्वापर युग में यह अरभिंड कौरव नाम से जाना जाएगा ।
कलिकाल में यह पुनः इंद्रप्रश्थ वासियों की घोर मूर्खता और लालची स्वभाव के कारण यह राजगद्दी को प्राप्त करेगा । और अपने बोलवचन और मूर्खत्व से समस्त लोक में परिहास का पर्याय बनेगा ।
पूर्व की भांति ही यह भारतमर्दन के लिए दुश्मनों से प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष लाभ लेता फिरेगा ।
हे राजन्! कलिकाल मे भारतवर्ष को बर्बाद करने में एक वामपंथ विचारधारा आएगी परन्तु जनता की सूझ बूझ से वह विचार न के बराबर ही रह जाएगी और बिखर जाएगी, जिसके बिखराये हुए मल सदृश मस्तिष्क को अपने गले लगाकर एवं भारत पर राज करके बिखरे हुए छद्म गांधी नेहरू विचार धारा के लोगों को जोड़कर यह अरभिंड पुनः आगे निकलकर इंद्रप्रस्थ का राजा बनेगा ।।
अभिनव पाण्डेय 'अतुल'
बस्ती
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