इंसान स्वतंत्रता से पुं ... भी नहीं सकता??"
BY Suryakant Pathak4 July 2017 2:44 AM GMT

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Suryakant Pathak4 July 2017 2:44 AM GMT
आज सुबह ही अफजलवा दिखा। आज वो कुछ कहे उसके पहले मैंने ही पूछ लिया,....
"अबे एक बात बता, सुना है पाकिस्तान में किसी को पादने पर मौत की सजा का फरमान सुनाया गया है??"
अफजलवा - "हाँ सही फरमाया शुकुल जी, कुरान में पादने के बारे में कुछ जरूरी हिदायतें दी गई है। उनका उलंघन इस्लाम वा अल्लाह की राह में नाफरमानी है।"
"अबे... ई तो बडी निर्दयता है तेरे अल्लाह की। इंसान स्वतंत्रता से पाद भी नहीं सकता??"
अफजलवा - "वो क्या है न, कई बार लोग नमाज के वक्त जोरों से पाद देते हैं , तो लोगों में भगदड मच जाती है सोचते हैं बम फट गया। शुकुल जी, अब तो मुसलमान ....मुसलमानों पे ही भरोसा नहीं करता।
हद तो तब हो गई जब कल रात को मैंने सोते वक्त पाद दिया... मेरी बीवी-बच्चे भागकर बाहर चले गए और चिखने चिल्लाने लगे... "या अल्लाह ! अब्बू ने खुद को उडा लिया...""
"अबे तो इसका मतलब अब हर नमाजी को साइलेंसर पाइप लगाकर नमाज पढ़ने जाना होगा....??"
अफजलवा - "नहीं-नहीं, और भी उपाय हैं। नमाजी 4-5 बार अच्छे से "हग" कर आएं....।"
"अबे, यानि 1 बार नमाज पढने से पहले 5 बार हगना है। तो इस हिसाब से 5 बार की नमाज पढने के लिए 25 बार हगना पडेगा ???"
अफजलवा - "अमा शुकुल जी ! आप तो हमाई बातों को मजाक में ले रहे हैं।"
"अबे नही बे,.. कत्तई नहीं! लेकिन एक बात तो बता, अगर नमाज ऐसे ही पढ़ी जाएगी तो सड़क पर गाडियां तो चलेंगी ही नहीं।"
अफजलवा - "बै शुकुल जी, इसका और गाडि़यों का क्या रिश्ता है??"
"अबे सोभड़ी के... तू दिन भर "हगता" ही रहेगा तो पंचर कौन बनाएगा बे ..?? सलमा??
सुन के अफजलवा सरर्र से भगा अपनी खोली की ओर,..
प्रदीप शुक्ला
गोरखपुर
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