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30 बच्चे मर गए। कैसे?.........गोरखपुर का मामला है जहाँ से चप्पा चप्पा भाजप्पा गूँजा था
BY Suryakant Pathak11 Aug 2017 4:19 PM GMT

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Suryakant Pathak11 Aug 2017 4:19 PM GMT
30 बच्चे मर गए। कैसे? सरकारी अस्पताल ने ऑक्सीजन सप्लायर को 60 लाख रुपए का बक़ाया चुकता नहीं किया था। दस लाख के ऊपर बक़ाया होने पर ही सुविधा रोक दी जानी थी, जैसा कि अग्रीमेंट था। अस्पताल ने कलक्टर और मेडिकल ऑफ़िसर को जानकारी दे दी थी। हुआ कुछ नहीं। 30 बच्चे मर गए।
गोरखपुर का मामला है जहाँ से चप्पा चप्पा भाजप्पा गूँजा था। सड़कें सही हो जानी थीं, और सब ठीक हो जाना था। जादू की छड़ी नहीं थी, सरकार ने ऐसा कहा था। अस्पताल पर क्या कहा, ये मुझे पता नहीं। रामलला के लिए ईंट इकट्ठा हो रहा है। वक़्फ़ बोर्ड बाबरी की मिल्कियत तय कर रहा है। लेकिन 30 बच्चे मर गए।
गोरखपुर का मामला है जहाँ 'गोरखपुर में रहना है, तो योगी-योगी कहना है' का नारा गूँजता रहता है। क्या बच्चों ने योगी-योगी कहना बंद कर दिया था? या दैवीय शक्ति से उस वार्ड में ऑक्सिजन पर पलने वाले बच्चों के नाक में मछली का गलफड़ा डेवलप हो गया था?
30 बच्चे मर गए।
तमिलनाडु में मद्रास के कोर्ट ने कहा कि बारह साल पहले स्कूल की आग में जो 94 बच्चे मर गए थे, उनके सारे अभियुक्त रिहा किए जाएँ। उनको किसी ने नहीं मारा।
बिना किसी लापरवाही के 94 बच्चे मर गए। वैसे ही आज के बारे में भी इलाहाबाद हाइकोर्ट की लखनऊ बेंच कहेगी कि ये जो 30 बच्चे मर गए, उन्हें किसी ने नहीं मारा।
अजीत भारती
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