पूरी सरकार को इस्तीफ़ा दे देना चाहिए?
BY Suryakant Pathak12 Aug 2017 1:58 PM GMT

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Suryakant Pathak12 Aug 2017 1:58 PM GMT
आपलोग वास्तविकता के धरातल पर आकर क्यों नहीं लिखते और सोचते? क्या आपको लगता है कि इस्तीफ़े की माँग करने से इस्तीफ़ा ले लिया जाएगा? क्या आपको सच में लगता है कि कार्रवाई होगी सीएमओ और अस्पताल प्रशासन पर?
'मासूमों की मौत', 'उनकी माँ को कैसा लग रहा होगा' आदि भावनात्मक बातें है जो हम और आप करते हैं क्योंकि और कोई शब्द नहीं। यहाँ तक संवदेना दिखाने के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल ठीक लगता है।
लेकिन एक घाघ और स्थापित सिस्टम में इस्तीफ़े आदि की माँग एकदम ही बेकार माँग है। चलिए, इस्तीफ़ा दे दिया गया, उसके बाद क्या? नया आदमी आएगा। या फिर पूरी सरकार को इस्तीफ़ा दे देना चाहिए? क़ायदे से तो प्रधानमंत्री को भी लोकसभा भंग कर देनी चाहिए।
उसके बाद चुनाव होना चाहिए, और आदर्श लोगों की सरकार होनी चाहिए। उसमें राम को प्रधानमंत्री, और लक्ष्मण को गृह मंत्रालय दिया जाना चाहिए। वैद्यराज धन्वन्तरि जी को स्वास्थ्य का ज़िम्मा दे देना चाहिए ताकि मौतें ना हों। वैसे किसी ईसाई सेंट को भी हाथ फेरकर चामत्कार करने के लिए स्वास्थ्य विभाग दिया जा सकता है क्योंकि वो मुर्दों को जिला देते हैं।
क्या बोलते हैं आपलोग? अनर्गल बात! प्रलाप। बिना काम का एनर्जी बर्बाद हो रहा है। नेता को तो ख़ूब गाली पड़ता है, लेकिन पूरी मशीनरी जो ब्यूरोक्रेसी चलाता है उससे कोई सवाल-जवाब नहीं होता। कभी किसी आईएएस का पुतला जलाया है किसी ने? याद करो।
दंगे कौन कराता है? देश के तमाम चुनाव करप्शन के मुद्दों पर लड़े जाते हैं। सरकार आती है तो कोई केस नहीं होता, नेता तो निकल ही जाते हैं, बाबू भी नहीं फँसते। मतलब यही है ना कि देश में कोई करप्शन नहीं है! अगर है तो किस सरकार ने क्या किया?
योगी सरकार तो मायावती-मुलायम की ईंट से ईंट बजाने आई थी ना, उन ईंटों का क्या हुआ? राममंदिर बनने में लगा दिया? करप्ट अफसर सब कहाँ हैं?
वो अपनी कुर्सियों पर हैं। एक पर एक्शन लीजिए, देखिए कैसे आईएएस लॉबी कुत्ते की तरह आप पर टूट पड़ती है।
अजीत भारती
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