कानाफूसी : आलोक पाण्डेय
BY Suryakant Pathak16 Aug 2017 2:16 PM GMT

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Suryakant Pathak16 Aug 2017 2:16 PM GMT
राति के अजब सुने में आवत
सामाचार बा....
हरि के भइल अवतार बा ना....
नीरद नील बरन घनस्यामा
कर पद नयन नलिन अभिरामा
मात-पिता बसुदेवकी बनले
ऊ कंस जा के अब मामा
जवन छौ-छौ भैनन के भइल
भंजनहार बा....
बेड़ी, हथकड़ी अउरू ताला
टूटी गउवे भइल बा हाला
जामिनि जमुना कोठरी काली
बालक बा कालहु में काला
अंगुरी गोड़ के मुँह मे डाला
जग उजियार बा....
रिमझिम बरिसत रहुए पनिया
छतरी ओढ़वले सहसानन फनिया
बूड़े लगलन बसुदेव जी बाबा
कालिंदी के रूप ऊफनिया
दिहले लटकाइ चरनिया
निखरल राह बा....
चहुँपुवन नंद बबा के द्वारे
ओइजो सुतल सब टांग पसारे
जसोदा के कमरा में जा के
बालक बिंधा बदल लिया रे
पलटे एके साँस सँकारे
बिपति बरियार बा....
जमुना भरि अइली चहुँओर
बाबा लपके कारागार की ओर
पैकड़ ताला सब पड़ गइले
भइल नवल जात के सोर
प्रतिहारी धावल कंस की ओर
सजग होंसियार बा.....
आलोक पाण्डेय
बलिया उत्तरप्रदेश
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