जंगल कथा : रिवेश प्रताप सिंह

शेर- क्या हुआ" तुम्हारे साहबजादे की नींद अभी पूरी नहीं हुई क्या?
(खिन्न एवं क्रोधित शेर अपनी श्रीमती को घूर कर पूछा)
शेरनी- ढाई बजे रात-रात तक आनलाइन रहते हैं आपके लाडले! कहां से सुबह आंख खुलेगी....
शेर- इत्ती रात तक आनलाइन! लेकिन तुमको कैसे पता..
शेरनी- रात को उठे रहे लघुशंका के लिये. लौट के गुफा में आये तो नींद उचट गई थी.. तुम्हारी तरफ करवट लिया...लेकिन तुमको तो जैसे करंट मारते हैं हम....मुंह फेरकर सो गये...जब तुससे कोई लाइन लेंथ नहीं मिला तो अपना मोबाइल खोला.. डाटा अॉन किये...फिर वो धड़ाधड़ मैसेज आने लगे... आधा तो फालतू..... दो ठो विडियो भी लोड किये.
शेर- कौन सा विडियो ?
शेरनी-- ऐसा कुछ नहीं था यार! देख के मन खिन्न हो गया... चाइना वाले तो कुच्छु नहीं छोड़ते..जो मिल जाये कच्चा-पक्का चबा जाते हैं. हम लोग तो झूठे बदनाम हैं यहाँ.
तब तक साहबजादे की आईडी पर नजर चली गई.. एक तो रोज डीपी बदलता है बेहूदा! पहचाने में नहीं आता का शेर है कि बिलार... देखें हरी बत्ती सुलग रही थी.
शेर- काहें नहीं मारी दो कंटाप!
शेरनी- गये थे...लेकिन ऊ तो उत्तर वाली पहाड़ी के टीले पर बैठ के किसी से लाइव बतिया रहा था.. हम भी बहुत चुप्पे, पांव धरे गये ... लेकिन का कहें! ऊ फूहर-फूहर बात चल रही थी की हम खुदे लजा के चले आये.
शेर- केसे बतिया रहा था इत्ती रात!
शेरनी- होई कोई मुंहझौसी.. कौन देखे जाये.. बढ़कर पूछने जाते तो बदल के कोई दूसरा विडियो लगा देता.. और कहता ' मम्मा अमेरिका वाले जंगल से शिकार करने का नया विडियो देख रहा हूँ'
सो चले आये गुस्सा घोंटकर..
सुत्ते बेला मोबाइल चलायेंगे और शिकार बेला सुत्तेगें...तो भोगेंगे भी वहीं... जायें! सोये चाहें उफ्फर पड़ें... हमें क्या! जब तक ताकत और जवानी है तब तक बना बनाया मिल जा रहा है इनको जब हम भी बैठ जायेंगे तो खाये.. चबायेंगे..मोबाइल और डाटा.
शेर- दोपहरी भर का करता है इ लौंडा?
कल कलुआ बता रहा था कि गांव भर के लूहेड़ों के साथ पता नहीं क्या 'टिकटॉक पर विडियो' बनाता है.
शेरनी- हाँ नया शौक पाले हैं..टिकटॉक का.. सुबह दू-चार निवाला ठूसकर चल देता है हीरोगिरी करने.. कल 'भलुआ बहू' बता रही थी कि 'बनरा क नाती' जामुन के पेड़ से विडियो बना रहा था और इ साहेब हिरन को पीठ पर बिठाकर फिल्मी पोज दे रहे थे.
शेर- मतलब हिरन..बानर तक ए लफंगवा से लिपट रहें हैं.... तब तो बारह बज गया इसका...
शेरनी-- अरे! कभी गिलहरी को फूल देकर विडियो बनाता है तो कभी बंदर के साथ डांसिंग स्टेप लगाता है.
शेर- खुलेआम!!!
शेरनी- सब लाज शरम बेचकर खा गया है... समझाते हैं तो कहता है कि 'मम्मा तुम लोग पुराने जमाने के हो.'
परसों मालूम क्या हुआ? इ साहब जामुन के पेड़ पर उल्टा लटककर विडियो सूट कर रहे थे...स्टाइल मारने के चक्कर में गिरे मुंह के बल...
शेर- अच्छा! तबे तो कहें..काहें लंगड़ाकर चल रहा है.
शेरनी- कल मले थे नूरानी का तेल.
शेर- मलो तेल! तुहीं बिगाड़त बाटू.... भोगबू भी तूहीं..
शेरनी- अच्छा त हमहीं दिलाये थे क्या बड़का मोबाइल? बचपन से कवनो शौक पर रोक रखबे नहीं किये.. अब चले हैं सुधारे...
शेर- त का करें... तूहू त कह रही कि गूगल और यूट्यूब से शिकार की नई-नई तकनीक सीखेगा...लेकिन हमको का मालूम कि इ दूसरे शिकार करने लगेगा.
और हाँ! उसका हेयर स्टाइल देखा तुमने!
शेरनी- हां! पता नहीं कौन सा जेल लगाता है. देखते नहीं..खोपड़िया पर क बलवा कइसे खड़ा रहता है इसका. अरे! पूरा बन गया है.
शेर- समझाओ कि करियर पर ध्यान दें.. ए उमर में शिकार का हुनर नहीं सीख लेंगे तो बुढ़ौती में शुतुरमुर्ग नहीं ताड़ पायेंगे.
शेरनी- रोज तो समझाते हैं लेकिन कवनो फरक पड़े तब न! कहता है कि 'मम्मा तुम्हें नहीं मालूम कि टिकटॉक पर मेरी कितनी बड़ी फॉलोइंग है.'
शेर- मतलब की कवनो कसर बाकी नाहीं है अब..
शेरनी- पहिले अइसा नहीं था लेकिन जबसे ऊ सियारा के मझले से साथ हुआ तब्बे से बर्बाद हुआ है.
शेर- दूसरे का दोष देना सबसे आसान है. सबसे कठिन है अपने को सुधारना.. अऊर सियरा और इनकर कौन दांज भला! बताओ जंगल में उसकी भी कोई हैसियत है? इस बेहूदे को मालूम होना चाहिए कि यह किस कुल-खानदान में पैदा हुआ है. जंगल में हमारा एक रूतबा है...सम्मान है लेकिन जब इसकी यही चाल रहेगी तो एक दिन सियार भी टीप मारकर भागेगा..देख लेना.
शेरनी- काहें नाहीं अपने साथ लेकर जाते.. आपके साथ रहेगा तो डरेगा भी और कुछ सीखेगा भी.
शेर- हमरे साथ नहीं चल पायेगा.. इ जगह-जगह रुककर सेल्फी लेगा और हमारा खून जरेगा.देखती नहीं चलता कैसा है.. शोहदों की तरह.. पंजे में जैसे लकवा मारे हो.. हमरे साथ रहेगा तो सीखेंगा तो कुछ नहीं बस हमारा ब्लडप्रेशर बढ़ायेगा ....
शेरनी- अच्छा अपना ब्लडप्रेशर न बढ़ाइए.. काम पर जाइए...और हां! लौटते वक्त भोलू वैद्य से मिलकर आइयेगा...ऊ का है कि फाल्गुन में एतनी सुस्ती ठीक नहीं आपकी.
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