हरकत करे उल्टी-सीधी । अभय सिंह

हरकत करे उलटी-सीधी।
अपनाता है वो हर विधि ।।
पाल रखा है ससुरा ख्वाब।
दे दिया बीमारी यह नायाब ।
दिया आज तक डुप्लीकेट ।
कोरोना दिया एकदम परफेक्ट ।।
अपनाया है हर वो ढब ।
नम्बर वन का है तुम ठग ।।
दिया एक भयावह महामारी ।
त्रस्त है लगभग दुनिया सारी ।।
देते है पूरा आदर-सत्कार ।
दो गज की दूरी से नमस्कार ।।
चपटी नाक,खुलती ना आंख ।
कायम वर्चस्व और ताक-झांक ।।
धंधा पानी कर दिया है बर्बाद ।
हे धोखेबाज के असली औलाद ।।
कर दिया तूने सबको कंगाल ।
क्या है अब आगे की चाल ?
हमनें कौन सी किया है खता ।
अभी भी है समय तुम दे बता ।।
कैसे होगा शांत ?
कब होगा अंत ?
धार्मिक स्थलों पर ताला जड़वाया ।
कोरोना का डर का साया मंडराया ।।
हर मजहब में एक ।
त्योहार बन कर समाया ।
चमगादड़ के करके सवारी ।
करो वुहान जाने की तैयारी ।।
हो जाओ अब मेहरबान ।
खाओ तरस बनो ना शैतान ।।
मान भी जाओ ।
चाईना चले जाओ ।।
जल्द ही बना लेंगे ।
हम तो वैक्सीन ।।
फिर क्या बिगाड़ कोरोना ?
और क्या करेगा चीन ।।