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उत्तर प्रदेश

"राजनीति का कॉलेज ".....: धनंजय तिवारी

राजनीति का कॉलेज .....:  धनंजय तिवारी
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समाजसेवी और कद्दावर नेता जगदुलारे जी के ऑफिस के सामने भारी भीड़ जुटी है। देश के कोने कोने से उच्च डिग्री धारी लोग अपना रिज्यूम और सर्टिफिकेट लेके खड़े हैं। समाजसेवा के साथ- साथ जगदुलारे जी की पूरे देश में स्कूल - कॉलेजो की एक विशाल श्रृंखला है। उच्च कोटि की शिक्षा और पढ़ाने वाले अध्यापको को अन्य विद्यालयों के मुकाबले दुगुनी तनख्वाह, ये दोनों बाते मशहूर है।
अब ऐसा आदमी कोई नया कॉलेज खोले और कॉलेज भी ऐसा जिसका अस्तित्व आज के तारीख में देश तो क्या पूरे दुनिया के कही नहीं हो तो, भीड़ लगना तो स्वाभाविक है।
देश की वर्तमान स्थिति और राजनीति के प्रभाव को देख कर नेताजी के दिमाग में आईडिया उपजा था कि क्यों न एक ऐसा स्कूल खोला जाए जहाँ सिर्फ नेता बनाये जाए। डॉक्टर, इंजीनियर,मास्टर, मैनेजर बनाने के तो लाखो स्कूल हैं पर एक भी ऐसा स्कूल नहीं है जहाँ सिर्फ नेता बनाने की पढाई होती हो जबकि देश का प्रथम नागरिक भी नेता है और देश का संचालन भी वही करता है।
कॉलेजो में राजनीती शाश्त्र की पढ़ाई जरूर होती है पर वो कारगर नहीं है। उसे पढके ज्यदातर लोग जिंदगी के गणित में ही उलझ जाते है और विरले ही कोई ऐसा होगा जो राजनीति में कदम रखता है या सफलता के झंडे गाड़ता है। कुछ ज्यादा पढ़े लिखे लोग मास्टर या प्रोफेसर बन जाते है पर सफल राजनीतिज्ञ शायद ही कोई राजनीति शास्त्र पढके बनता है ।
विचार नायाब था और इस कॉलेज के चलने की सौ फ़ीसदी गॉरंटी भी थी।
देखा जाए तो आज के डेट में नेता से बढ़के कोई पोस्ट नहीं है, बात चाहे कमाई की हो या पावर की। चाहे कोई डॉक्टर बने, इंजीनियर बने, आई एस बने या आईपीएस, सबको नेता के नीचे ही काम करना है।
यही सब आकलन करके नेताजी ने इस कॉलेज की परिकल्पना की थी।
राजनीति के जानकार लोगो के साथ सलाह मशविरा के बाद, इंजीनियरिंग के ही तर्ज पर चार वर्षीय नेतागिरी के कोर्स का डिजाईन हो गया और शिक्षा विभाग से जरूरी परमिशन भी मिल गया । आज कॉलेज में पढ़ाने के लिए प्रोफेसर के चयन के लिए साक्षत्कार का आयोजन किया गया है।
ठीक दस बजे अभ्यर्थियों का इन्तजार ख़त्म होता है और पहला नंबर आया है वेदप्रकाश जी का। आप बचपन से ही मेधावी रहे है। b.a. से लेके m.a. तक राजनीती शास्त्र में गोल्ड मेडलिस्ट । ph.d. भी विशिष्ट दर्जा से पास।
औपचारिक अभिवादन के बाद साक्षत्कार शुरू होता है।
"ये आपकी सारी डिग्रीया ओरिजिनल है ?" जगदुलारे जी पहला सवाल करते है।
वेदप्रकाश जी अचंभित है। ये कैसा सवाल है। उन्हें थोड़ा गुस्सा भी आता है।
"सौ फ़ीसदी वास्तविक है जी। " वो अपने गुस्से को दबाते हुए कहते है "आप चाहे तो जाच करा ले। मैंने आज तक कभी झूठ नहीं बोला है। "
"आप झूठ भी नहीं बोलते है?" जगदुलारे जी के सहयोगी
विशेषर जी पूछते है।
"कभी नहीं। " वेदप्रकश जी जोश और पूर्ण आत्मविश्वास से कहते है।
"अच्छा ये बताइए आपने कभी कोई धोखाधड़ी की है?" साक्षात्कार पैनल के तीसरे सदस्य पूछते है।
वेदप्रकाश जी कुछ जबाब दे उसके पहले ही साक्षत्कार पैनल के चौथे सदस्य पूछते है "चोरी?"मारपीट ? कभी किसी की पिटाई की है या कभी चट्टी चौराहा पर आपकी पिटाई हुयी है?"
वेद प्रकाश जी का पारा गरम हो जाता है। उन्हें समझ में नहीं आता है कि प्रोफेसर के लिए साक्षात्कार है या किसी चोर गुंडे के लिए। उनका धैर्य जबाब दे देता है।
"ये कैसे बेहूदा सवाल पूछे जा रहे है ?" वो क्रोध से पूछते है।
"माफ़ कीजिये वेद प्रकाश जी। " जगदुलारे जी शांति से कहते है "हमारे सवालो से नाराज मत होईये। आपको ही क्या किसी को भी ये सवाल बेहूदा लग सकते है पर जिस कॉलेज की स्थापना हम करने जा रहे है उसके लिए ये बेहद प्रासंगिक सवाल है। दरअसल जिन गुणों की शिक्षा आपको छात्रो को देनी है अगर आप उससे वाकिफ ही नहीं होगे फिर आप उनको सिखायेगे क्या। शायद आप भूल रहे है कि यह कॉलेज नेता के निर्माण के लिए खुल रहा है। "
वेद प्रकाश जी को सब समझ में आ जाता है।
"माफ़ कीजिये ! तब तो मै इसके लिए बिलकुल अयोग्य हूँ। " वेदप्रकाश जी हाथ जोड़ के कहते है।
"कोई बात नहीं। आप साक्षात्कार के लिए आए उसका धन्यबाद। "
"वैसे नेतागीरी के इस चार वर्षीय पाठ्यक्रम में कौन कौन से विषय शामिल है ?" वेद प्रकाश जी अपनी फाइल उठाते हुवे पूछते है।
"झूठ बोलने के सौकड़ो तरीके सिखाने से लेकर मारपीट के दावपेच, धोखाधड़ी के ट्रिक, जनता को उल्लू बनाने की कला, खुद का प्रचार, अपने औलाद, भाई भतीजा को बिना किसी झंझट के किस तरह से राजनीती में घुसाकर सत्ता के शीर्ष तक पहुचाना, करीबी, रिश्तेदार को ठेका से लेके कंपनी खोलने तक का सारा प्रशिक्षण दिया जाएगा। " जगदुलारे जी समझाते है।
वेदप्रकाश जी अपनी फाइल लेके बाहर निकल जाते है।
"आज का साक्षात्कार कैंसिल। " जगदुलारे जी बाकि अभ्यर्थीयो के फाइल को देख के अपने सचिव से कहते है " पेपर में नया विज्ञापन दे दीजिये। इस कॉलेज में सिर्फ वही आवेदन कर सकता है जिसकी सारी डिग्री फर्जी हो, साथ में कम से कम एकाध बार चट्टी चौराहा पे पिटाया हो, एक दो बार जेल गया हो, दो चार करोड़ की ठगी की हो। येल और तिलक यूनिवर्सिटी डिग्रीधारीयो को विशेष रूप से प्राथमिकता दी जायेगी। "

धनंजय तिवारी
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