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उत्तर प्रदेश

कलयुग में दान से बड़ा कोई धर्म नहीं.नरहरिदास

कलयुग में दान से बड़ा कोई धर्म नहीं.नरहरिदास
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अयोध्या.फैजाबादए वासुदेव यादव

भरतकुण्ड नंदीग्राम में चल रही श्रीराम कथा महोत्सव में कथाव्यास नरहरिदास ने भक्तों को बताया कि कलयुग में दान से बड़ा कोई धर्म नहीं है। बशर्ते दान पात्रों को दिया जाएं। उन्होंने भगवान राम के बाल चरित्र का मार्मिक वर्णन करते हुए कहा कि भगवान राम का बाल्यावस्था बहुत ही अद्भूत रहा। उनके साथ उनके सखा भी रहे। सखा के दो प्रकार होते है। जीव बालक सखा है और ब्रह्म पालक सखा। श्री व्यास ने कहा कि कलयुग में चार चरण है। कलयुग में एक ही बचा हैंए जो कि दान है। उन्होंने बताया कि पूर्व जन्म में किया गया कर्मो का फल अवश्य ही मिलता है।
इसलिए मानव को अपने कर्मो को करते रहना चाहिए। मानव शरीर पुण्यों का फल है। मानव जीवन में धर्म कर्म और दान अवश्य ही करना चाहिए। कलयुग में दान से बड़ा कोई धर्म नहीं। जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अयोध्या राजा दशरथ महल मंदिर के महंत विंदुगद्याचार्य स्वामी देवंेद्र प्रसादाचार्य ने भक्तों को कथा का रसापान करते हुए बताया कि जहा भी भगवान की भक्ति आराधना व धार्मिक अनुष्ठान होते है। वहा भगवान का वाश्स होता है। प्रभु राम सर्व श्रेष्ठ हैए मानव कष्ठ में ही अधिकतर भगवान को याद करता हैए यही कारण है कि वह दुःखी रहता है। प्रभु का वंदन स्मरण में ही जीवन है। अतः मानव को प्रभु का स्मरण करते रहना चाहिए। इससे पूर्व कथा व्यास कर भक्तों की ओर से आतर उतारी गई गई। जबकि सुबह मंदिर के प्रांगण में नवाह्न पारायण पाठ का क्रमवद्ध आयोजन हो रहा है।
इस दौरान कथा में आएं अयोध्या के संत महंत व विशिष्टजनों का आयोजक राम भूषणदास कृपालूदास महराज द्वारा स्वागत किया गया। इस दौरान मधुकरिया संत एमबीदासए पेड़ा महराजए पं विष्णु नायकए नागाराम लखनदासए रामकुमारए रामकृष्ण पाण्डेयए राम प्रवेश पाण्डेयए कपिल देव दूबेए बरसाती यादवए राज कुमारए अंजनीए शिवपूजनए रामजीदास व पुजारी राधेदास समित शैकड़ों की संख्या में कथा प्रेमीगण उपस्थित रहे और कथा का रसापान कर अपने जीवन को धन्य किए।
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