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उत्तर प्रदेश

फिर एक कहानी और "श्रीमुख" (चुनाव प्रचार)

फिर एक कहानी और श्रीमुख (चुनाव प्रचार)
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रामकबूतर जिंदाबाद........
जिंदाबाद जिंदाबाद......
रामकबूतर महतो का मन गदगद है आज। आज उनके पीछे पीछे पचासो आदमी अमला फइला की तरह नारा लगाते घूम रहे हैं। चुनाव परचार करे निकले हैं रामकबूतर। जो भेंटाता है उसका गोड़ छान लेते हैं, कहते हैं- काकी हो, बस एक बेर सेवा का मोका दीजिये, गांव को सरग न बना दिए त हमारे मुह पर चार जूता मारिएगा। जोखन पीछे से कहते हैं- आरे काकी, घर का लइका है रामकबूतर ई जीत जाय त आप ही मुखिया का पदबी पर रहेंगी।
सुबह से साँझ हो गयी है घूमते घूमते। नारा लगाते लगाते गर बाझ गया है रामकबूतर का। कहते हैं रामकबूतर कि अपना चुनाव में जब खुद ही नारा नही लगाएंगे त कइसे बीजे होगा। उछल उछल के चिलाते हैं- हमसे जो टकराएगा, चूर चूर हो जायेगा।
रामकबूतर नारा बोलते हैं-राम कबूतर मत घबड़ाना.....
पीछे से जनता बोलती है-तेरे पीछे सारा जबाना।
कहीं कहीं लालकुदरिया बोल देता है- तेरे पीछे तेरी जनाना..
सब लोग सुन के मुस्किया देते हैं। खंचडेल है ई लालकुदरिया, पर गाना बड़ा बढ़िया बढ़िया जोड़ के गाता है।

बेलदहिया टोला में भगेलू चौधरी कहते हैं- ए कबूतर भाई, बड़ी गजन है हो। ई नितिसवा सार दारू बन क के हमार जान ले लिया है। न दिन में चैन मिलता है न रात में ओंघी लागता है। जैसे पेटझरि गांडझरी के बाद देह टूट जाता है ओइसही देह टूट गया है। बुझाता है जे करेज में फालिस मार दिया है ए कबूतर भाई। कवनो जोगाड़ लगा के हमको एगो पाउच दिलवा दो, भोट का पूरा जान दे देंगे।
कबूतर महतो कनखी दाब के कहते हैं- आरे तनिको फिकर मत करो भगेलू भाई, सब जोगाड़ है हमारे पास। लालकुदरिया गाड़ी में से निकाल के देसी बोतल देता है भगेलू को। कहते हैं कबूतर- लुका के पियो भगेलू भाई, नही तो पुलिस देख लिया त मार के गोबर काढ़ देगा। छव महीना का जेल आ बीस हजार दंड, ऊपर से सुबह शाम चार चार बेंत अलग। भगेलू सट से बोतल लेके पालानी में घुस गए और घुटुर घुटुर....
पियक्कड़ के आगे कोई पी ले त पीयक्कड़ का मन भी डोलने लगता है। रामकबूतर का मन भी डोल गया है। लालकुदारी को आँख मलकिया के एगो बोतल मंगाते हैं कबूतर और धीरे से सरसो के खेत में उतर के पीना सुरु करते है, तबतक कोई चिल्लाता है- पुलिस...... पुलिस.... पुलिस.....
भगदड़ मच गयी है, सब बिना जाने भाग रहे हैं।रामकबूतर का खून सुख गया, सट से पैजामा खोल के बोतल के सराब से पानी छूने लगते हैं। अचानक आँख उठा के देखते हैं तो आलोक पाण्डेय माटसाहेब खी खी खी खी हस रहे हैं।
जोखन महतो कहते हैं- हम सुरु से कहते हैं कि बभनटोली वालों को मत बोलावो, मत बोलावो....
ई राजपूत बाभन कबो हमारा भला नही चाहेगा। चोरकट जात...
आलोक पाण्डेय हँसते हुए भाग रहे हैं, चले जाने पर लालकुदरिया कहता है- बाभन जात अन्हरिया रात, एक मुठी चिउरा पर भागल जात।
सब खिलखिला उठे हैं। जोखन कहते हैं- पंडीजी पंडोल डोल, पैसा मांगे गोल गोल....
लालकुदारी कहता है, आगे कहिये..
जोखन कहते हैं- छोडो छोडो, सुन लेगा त बड़ी मार मारेगा।
आगे चलो, आगे चलो....
आगे Ashraf मियां भेंटाते हैं। रामकबूतर हाथ जोड़ के कहते हैं- एक बेर सेवा का मोका हमको भी दीजिये माट साहेब। हमार किताब छाप है।
असरफ कहते हैं- किताब पढ़ना आता है?
रामकबूतर हें हें हें हें कर रहे हैं।
असरफ माट साहेब कहते हैं- हमको तो जवन परतेयासी उन्नीस का पहाड़ा सुना देगा उसी को भोट देंगे।
लालकुदारी कहता है, छोड़िए छोड़िये। ई हमलोग को भोट नही देंगे। मियां टियां का भोट चाहिए भी नही। चलो चलो...
असरफ माटसाहेब मुस्किया रहे हैं।
बाजार आ गया, इंहा रामकबूतर जी को भासन देना है। नारा लग रहा है....
रामकबूतर जिंदाबाद.....
हमसे जो टकराएगा.... चूर चूर हो जायेगा।
ऐ चुप चुप... भगेलू चौधरी कहते हैं, देखो रामकबूतरा.... मने रामकबूतर जी भासन दे रहे हैं।
रामकबूतर जी कहते हैं- पियारे भाइयों और भौजाइयों। हमको भोट दे कर जिताईए आ मुखिया बनाइये, हम गांव को आसाम बंगाल जैसा सुंदर बना देंगे। हई गड़हा वाला रोड को करिश्मा कपूर के गाल जैसा बनवाऊंगा। हमको भोट दीजिये, हम किरिया खाते हैं जे इन्द्राआवास में एको रोपेया नही लेंगे। बिरधा पिनसिम में से एको रोपेया नही लेंगे। अगर कबो लिए तो हमारे मुह पर बीस जूता मारिएगा। हमारे मुह में....
रामकबूतर जिंदाबाद... जिंदाबाद जिंदाबाद...
भासन ख़तम हो गया।
लालकुदरिया कह रहा है, रामकबूतर भाई इस बार पचास हजार भोट से जीतेंगे।
चुनाव चढ़ गया है।

सर्वेश तिवारी श्रीमुख
गोपालगंज बिहार :)
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