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महात्मा गांधी के आंदोलन की डोर जेपी और नानाजी ने संभाली थी: मोदी

महात्मा गांधी के आंदोलन की डोर जेपी और नानाजी ने संभाली थी: मोदी
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नई दिल्ली.आरएसएस विचारक और समाजसेवी नानाजी देशमुख की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां एक प्रोग्राम में शामिल हुए। इस मौके पर उन्होंने कहा- महात्मा गांधी के आंदोलन की डोर को जयप्रकाश (जेपी) और नानाजी ने संभाला था। बहुत बड़े-बड़े लोग सत्ता के गलियारों में अपनी जगह खोजते नजर आते थे, जयप्रकाश नारायण ने खुद को इससे दूर रखा।

"जब जय प्रकाश जी करप्शन के खिलाफ जंग लड़ रहे थे। जयप्रकाश जी के आने के बाद दिल्ली की सल्तनत में खलबली मच गई। उन्हें रोकने के लिए षड्यंत्र होते थे। एक बार जयप्रकाश जी पर एक सार्वजनिक प्रोग्राम में एक बहुत बड़ा हमला हुआ। नानाजी बगल में खड़े थे। उन्होंने उसको झेल लिया। उनके हाथ की हड्डियां टूट गईं, लेकिन उन्होंने जयप्रकाश जी को बचा लिया था।

हमारा प्रयास है कि गांव की अपनी जो शक्ति है, जो सामर्थय है सबसे पहले उसी को जोड़ते हुए विकास का मॉडल बनाएं। आने वाले दिनों में रूरल डेवलपमेंट को हम जितनी तेजी से लेना जाना चाहते हैं, हम डेवलपमेंट करना चाहें तो इतने से बात पूरी नहीं होती। अगर हम हर काम समय सीमा में करें, हम अपनी योजनाओं को शत प्रतिशत लागू करें, तो चीजें तेजी से होंगी।

प्रोजेक्ट जिस मकसद से शुरू किए गए, उसमें डायवर्जन न आए। वह आउटकम आधारित हो अगर इस प्रकार से कॉम्प्रेहेंसिव प्रयास करेंगे तो मुझे विश्वास है कि 70 साल में डेवलपममेंट की स्पीड बनाए रखते हुए गांव की जिंदगी संवारी जा सकेगी।

आखिरी छोर तक पहुंचाना है डेवलपमेंट

"देश के आखिरी छोर के व्यक्ति तक सुविधा पहुंचाना है। देश के पास संसाधनों की कमी नहीं है। कमी है तो सुशासन की है। जिन राज्यों में सुशासन है वहां पर बदलाव नजर आता है। मनरेगा की खासियत है कि यह स्कीम गांव के लोगों को रोजगार देने के लिए बनी है, लेकिन देखा जाता है कि जिन गांवों में ज्यादा गरीबी है वहां मनरेगा में काम कम हो रहा है। इसलिए, रूरल डेवलपमेंट के लिए गुड गवर्नेंस पर बल देना हमारी सरकार की प्रायोरिटी है।

कौन थे नानाजी देशमुख?

मोदी सरकार नानाजी देशमुख की जन्मशती जयंती मना रही है। उनका पूरा नाम चंडिकादास अमृतराव देशमुख था।

नानाजी का जन्म 11 अक्टूबर 1916 को हुआ था। रूरल इकोनॉमी को सुधारने और सोशल वर्क के लिए उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। नानाजी ने अपने काम का सेंटर उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित चित्रकूट को बनाया था।

उन्होंने नानाजी ने चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय की स्थापना भी की थी, जो देश का पहला रूरल यूनिवर्सिटी थी। उनका निधन 27 फरवरी 2010 को हुआ था। उन्होंने अपना शरीर मेडिकल रिसर्च के लिए दिया था।

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