गायत्री मामले में नया मोड़, फर्जी हस्ताक्षर से दर्ज हुआ था केस
BY Anonymous14 Oct 2017 11:32 AM GMT
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Anonymous14 Oct 2017 11:32 AM GMT
पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति व उनके साथियों के खिलाफ गोमती नगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने वाली महिला ने सीजेएम कोर्ट में शपथपत्र देकर कहा कि यह केस उसने नहीं नहीं दर्ज कराया है।
किसी ने उसके फर्जी हस्ताक्षर बनाकर छेड़छाड़, अपहरण का प्रयास तथा धमकी देने की रिपोर्ट दर्ज कराई है।
सीजेएम संध्या श्रीवास्तव ने इस मामले में वादिनी का शपथ पत्र मिलने के बाद विवेचक को मामले की केस डायरी के साथ व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया है।
उन्होंने विवेचक के खिलाफ कार्रवाई के लिए मामला उच्चाधिकारियों को भेजने की चेतावनी दी है। मामले में अगली सुनवाई 16 अक्टूबर को होगी।
इसके पहले चित्रकूट की महिला की ओर से कोर्ट एक शपथपत्र भेजा गया जिसमें उसने बताया कि उसने गोमती नगर थाने में यह रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई है। उसने इस बात की जानकारी मामले के विवेचक को भी दी थी।
इसी वजह से वह पुलिस को अपने बयान भी दर्ज नहीं कराना चाहती थी। शपथपत्र में विवेचक पर आरोप लगाया कहा गया है कि उसने पुलिस को कोई भी बयान इस मामले में नहीं दिया है।
विवेचक ने खुद ही उसका बयान लिख लिया है। उसने सुप्रीम कोर्ट में भी यही बताया है कि उसने गोमती नगर थाने में रिपोर्ट नहीं दर्ज कराई है।
11 जुलाई को दिए अपने बयान में उसने बताया है कि वह कभी गोमती नगर थाने नहीं गई। उसने अपने हस्ताक्षर का नमूना भी विवेचक को दे दिया है।
इस शपथ पत्र के बाद सीजेएम ने विवेचक को व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने का आदेश देते हुए कहा कि आशीष शुक्ला आदि के खिलाफ मामला इस कोर्ट में लंबित है और इस मामले का निर्देश दिया गया था परंतु विवेचक हाजिर नहीं हुए।
दरअसल चित्रकूट की महिला ने 26 अक्तूबर 2016 को गोमती नगर में आशीष शुक्ला, बब्लू व उसके साथियों के खिलाफ छेड़छाड़, गाली-गलौज व धमकी देने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
इस मामले में पुलिस ने विवेचना के बाद अपहरण का प्रयास करने की धाराओं को जोड़ते हुए गायत्री प्रसाद प्रजापति को भी आरोपी बनाते हुए कोर्ट में चार्जशीट दायर की थी।
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