मुलायम के पास सपा में कोई ओहदा नहीं
BY Anonymous17 Oct 2017 12:37 AM GMT
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Anonymous17 Oct 2017 12:37 AM GMT
मुलायम को भले ही सपा का संरक्षक कहा जाता हो लेकिन पार्टी में अधिकृत तौर पर उनके पास कोई ओहदा नहीं है। संरक्षक पद पार्टी के संविधान में नहीं है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा में भी उनके नाम का उल्लेख नहीं है।
राष्ट्रीय अधिवेशन से पहले सपा में सुलह के लिए मुलायम सिंह द्वारा पेश फॉर्मूला फेल हो गया लगता है। मुलायम चाहते थे कि राष्ट्रीय टीम में शिवपाल को महासचिव के रूप में समायोजित किया जाए। शिवपाल ने भी अपनी तरफ से सकारात्मक रुख दिखाया था। उन्होंने राष्ट्रीय अधिवेशन से पहले और अध्यक्ष चुने जाने के बाद अखिलेश को बधाई भी दी थी। हालांकि सम्मेलन के बाद दोनों के बीच मुलाकात नहीं होने से माना जा रहा था कि खटास अभी दूर नहीं हुई है।
पिछड़ों को तरजीह
अखिलेश ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी के गठन में पिछड़ों को तरजीह दी है। प्रमुख महासचिव के अलावा 10 महासचिवों में पांच पिछड़े वर्ग से और तीन दलित हैं। दलितों में पासी समाज को तरजीह दी गई है। सचिवों में भी चार पिछड़े वर्ग से हैं। इसे भविष्य में सपा की राजनीतिक लाइन का संकेत माना जा रहा है।
पांच महिलाओं को प्रतिनिधित्व
55 सदस्यीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पांच महिलाओं को प्रतिनिधित्व दिया गया है। डॉ. मधु गुप्ता व अरुणा कोरी को सचिव बनाया गया है जबकि जया बच्चन, ऊषा वर्मा व जूही सिंह कार्यकारिणी सदस्य होंगी।
सात मुसलमानों को मिली जगह
अखिलेश की राष्ट्रीय टीम में 7 मुस्लिमों को जगह मिली है। इनमें आजम खां को राष्ट्रीय महासचिव, कमाल अख्तर व जावेद आब्दी को सचिव बनाया गया है। अहमद हसन, अबु आजमी और जावेद अली खान को कार्यकारिणी सदस्य और अल्ताफ को विशेष आमंत्रित सदस्य नामित किया है।
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