सपा एमएलसी वासुदेव यादव के खिलाफ विजिलेंस जांच शुरू
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समाजवादी पार्टी के विधान परिषद सदस्य वासुदेव यादव की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. वासुदेव यादव के खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में की गई शिकायत पर विजिलेंस ने जांच शुरू कर दी है. एमएलसी वासुदेव यादव पर माध्यमिक शिक्षा सचिव और निदेशक के पद पर तैनाती के दौरान पद का दुरुपयोग कर आय से अधिक सम्पति जुटाने का आरोप है. प्रथम दृष्टया वासुदेव यादव पर लगाये गए आरोप जांच में सही पाये जाने पर निदेशक विजिलेन्स से विस्तार से जांच के आदेश दिये हैं. आदेश में यह जांच इलाहाबाद इकाई को तीन महीने में पूरी करनी है. एमएलसी वासुदेव यादव 1978 में शिक्षा विभाग के अधिकारी बने थे. अपने कार्यकाल में वासुदेव यादव देवरिया, बनारस, इलाहाबाद सहित एक दर्जनों जिलों में शिक्षा विभाग के अहम पदों पर तैनात रहे. 2014 में रिटायर होने से पहले वह निदेशक और सचिव माध्यमिक शिक्षा परिषद में तैनात थे.
उनके खिलाफ सचिव और निदेशक पद पर तैनाती के दौरान भ्रष्ट आचरण से सम्पत्ति जुटाने की शिकायत शासन में की गयी थी. एसपी विजिलेंस ने एमएलसी वासुदेव यादव को 15 दिन के अंदर अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए नोटिस भेजा है. जिसका जवाब देने के लिए जब उन्होंने तीन महीने का समय मांगा है.
आरोप है कि उन्होंने विभाग में तैनाती के दौरान इलाहाबाद में अपने और परिजनों के नाम से आकूत सम्पत्ति जुटाई है. गौशाला के नाम पर खेती की जमीन, आधा दर्जन आलीशान मकान, फूलपुर में कालेज और नोएडा, बनारस, गाजियाबाद और लखऩऊ मे कमार्शियल काम्पलेक्स कोठी और फार्म हाउस है.
निदेशक विजलेंस की ओर से आईजी स्टांप को पत्र लिखकर वासुदेव उनके परिजनों और रिश्तेदारों के नाम खरीदी गयी प्रापर्टी का ब्यौरा प्रदेश के आधा दर्जन जिलों से मांगा गया है. इसी रिपोर्ट के अधार पर उनकी सम्पत्ति का निर्धारण होगा. इसी के साथ शिक्षा विभाग से उनकी सर्विस बुक की सत्यापित कापी भी मांगी जा रही है, जिसके अधार पर यह परीक्षण होगा कि सेवा के दौरान उनको वेतन और उन्य मदों से कितनी आमदनी हुई है.
हालांकि इस मामले में सतर्कता अधिष्ठान के एसपी शैलेष कुमार यादव कुछ भी खुलकर बोलने को तैयार नहीं हैं. उन्होंने कहा है कि विजिलेन्स जांच गोपनीय होती है, इसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है.