सुर सम्राज्ञी गिरिजा देवी के अंतिम दर्शन को उमड़ी काशी
BY Anonymous26 Oct 2017 8:49 AM GMT

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Anonymous26 Oct 2017 8:49 AM GMT
वाराणसी - नाटीइमली का संजय नगर कालोनी स्थित वह आवास जो ठुमरी साम्राज्ञी के आने की सूचना मात्र से ही चहक जाता था, बुधवार को दुख से बेजार रहा। गुरुवार दोपहर लगभग 1.15 बजे कोलकाता से उनका पार्थिव शरीर पहुंचने के बाद हवाई अड्डे पर गेट नंबर तीन के अंदर ही अधिकारियों तथा नेताओं ने भावभीनी श्रद्धांजलि दी।
एंबुलेंस में शव को रखकर बाहर निकाला गया और जयपुरिया स्कूल के बच्चों ने एम्बुलेंस पर पुष्पवर्षा की। इसके बाद पार्थिव शरीर को कुछ देर आवास पर दर्शनार्थ रखने के बाद अंतिम यात्रा निकालने की तैयारी है। शाम तक मणिकर्णिका घाट पर अन्त्येष्टि किया जाएगा।
ठुमरी साम्राज्ञी गिरिजा देवी अभी दशहरा बिता कर बनारस से गईं तो 10 नवंबर को फिर आने का भतीजे प्रकाश सिंह से वादा कर गईं। इनरव्हील क्लब के अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में उन्हें संगीत पर व्याख्यान देने आना था, कुछ बंदिशें भी सुनानी थीं। हर बार की तरह शिष्यों को भी उस पल का इंतजार था लेकिन मंगलवार की रात आई तो वह सूचना जो उम्मीदों के साथ दिलों को भी तोड़ गई।
यह थी अप्पा दुनिया छोड़ गईं, करीब चार दशक के सिलसिले से मुंह मोड़ गईं। वास्तव में कोलकाता में 1978 में आइटीसी संगीत रिसर्च एकेडमी खुलने के बाद से वह वहां ही प्रशिक्षण देती लेकिन फुर्सत मिलते ही अपने घर का रूख कर लेतीं। इसका शिष्यों को इंतजार रहता और कैलेंडर में हर दिन डेट क्रास करते गुजरता।
उनके आने के साथ बैठकी जमती और सुर-साज खनक उठते। उनके इसी घर में उन्होंने 15 शिष्याओं के हाथ में संगीत के संस्कारों से पगा गंडा बांधा। प्रकाश बताते हैं उन्हें 10 नवंबर से कुछ दिन काशी प्रवास के बाद पुणे भी संगीत प्रस्तुुति के लिए जाना था लेकिन अब तो लगता है वह दिया गया भरोसा तो एक बहाना था।
शीशे के ताबूत में अंतिम दर्शन: अप्पा जी के निधन की खबर पर बुधवार शाम ही सिंधी सेंट्रल पंचायत से शीशे का फ्रीजर युक्त ताबूत मंगा लिया गया। इसमें उनका पार्थिव शरीर दर्शनार्थ रखा जाएगा। सामने पड़ी कुर्सियों पर अप्पा के अंतिम दर्शन की इच्छा से पूछताछ के लिए आए लोग बैठे जरूर लेकिन उन्हें यह सन्नाटा रास न आया। हालांकि तमाम लोगों ने सेलफोन पर कोलकाता से ही संपर्क बनाए रखा। मगर गुरुवार को पार्थिव शरीर पहुंचने के बाद लोगों की भीड़ आवास पर उमड़ने लगी मानो पूरा काशी अप्पा जी के संगीत को नमन करने उमड़ पड़ा हो।
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