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उत्तर प्रदेश

पहली सूचीः विधायकों के परिवारीजनों को टिकट थमाने में उदार रही भाजपा

पहली सूचीः विधायकों के परिवारीजनों को टिकट थमाने में उदार रही भाजपा
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लखनऊ - भाजपा ने अपने विधायक, सांसद और मंत्रियों से यह अनुरोध किया था कि परिवारीजन को टिकट दिलाने के लिए दबाव न बनाएं लेकिन नगर पंचायत अध्यक्षों की जारी पहली ही सूची में यह नियम टूटते हुए दिखा। भाजपा ने विधायकों के परिवारीजन को टिकट देने में उदारता बरती। इनमें भी विशेष रूप से दूसरे दलों से आये लोगों पर भाजपा मेहरबान दिख रही है। निकाय चुनाव को लेकर मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर हुई पहली बैठक में भाजपा के संगठन महामंत्री सुनील बंसल ने विधायकों और मंत्रियों से यह अनुरोध किया था कि वह अपने परिवारीजन के लिए दबाव न बनाएं। मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष ने भी इस बात पर जोर दिया। पर यह फार्मूला कारगर होते नहीं दिखा।
कैसे कैसे टूटते गए तय नियम
भाजपा ने बस्ती जिले की रुधौली नगर पंचायत से वहां के विधायक संजय जायसवाल की पत्नी संगीता जायसवाल को टिकट दिया है। संजय जायसवाल विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। कई बड़े दावेदारों का टिकट काटकर पार्टी ने संजय को टिकट दिया और अब फिर उनकी पत्नी को। इसी तरह कानपुर के बिठूर के विधायक अभिजीत सिंह सांगा भी चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए। वह बिठूर से विधायक बनने में कामयाब हुए। इस बार उन्होंने बिठूर नगर पंचायत अध्यक्ष का टिकट अपनी मां डॉ. निर्मला सिंह के लिए हासिल किया है। यह तो बानगी है। भाजपा ने अभी पहले चरण के उम्मीदवारों की सूची जारी की है। इसमें भी कई ऐसे उम्मीदवार हैं जो पिछली बार भाजपा उम्मीदवार के खिलाफ ताल ठोंक चुके हैं। भाजपा कार्यकर्ताओं में इस बात को लेकर आक्रोश है कि दूसरे दलों से आये लोगों को फिर महत्व मिला है। हालांकि भाजपा अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय कहते हैं कि जिसने भाजपा की सदस्यता हासिल कर ली वह तो पार्टी का है। उसे दूसरे दल का नहीं कहा जा सकता है।
भाजपा ने बजाई रणभेरी : डॉ. पांडेय
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय ने बताया कि नगर पंचायत एवं नगर पालिका परिषद के उम्मीदवारों की सूची क्षेत्रीय मुख्यालयों से जारी की जा रही हैं। उम्मीदवारों की यह घोषणा निर्वाचन के चरण के अनुसार प्रारंभ कर भाजपा ने औपचारिक रणभेरी बजा दी है। डॉ. पांडेय ने दावा किया कि नगरीय निकाय चुनाव में जनता भाजपा के साथ खड़ी है। नगरीय जीवन को आधुनिकतम सुविधाओं से सम्पन्न करने के लिए मोदी और योगी की जनकल्याणकारी योजनाएं भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा ही फलीभूत हो सकती है। पाण्डेय ने कहा कि भाजपा की मजबूत बूथ व्यूह रचना, संगठनात्मक मजबूती, कुशल नेतृत्व क्षमता, अन्त्योदय पथ पर बढ़ते कर्मयोगी कार्यकर्ताओं की शृंखला भाजपा की जीत को सुनिश्चित करेगी।
भाजपा में बढ़ा गुटबाजी का खतरा
निकाय चुनाव के पहले चरण के नामांकन की अंतिम तारीख छह नवंबर है लेकिन, भाजपा अभी तक नगर निगम और नगर पालिका परिषद के उम्मीदवारों की सूची जारी नहीं कर सकी। नगर पंचायत अध्यक्षों और सभासदों की सूची क्षेत्रीय इकाइयों से शुक्रवार की देर शाम जारी की गई। टिकट के दावेदारों का जिस तरह पार्टी पर दबाव बढ़ा है, उसका नजारा पार्टी मुख्यालय पर देखने को मिला। दावेदारों की बड़ी संख्या होने से गुटबाजी बढऩे का भी खतरा मंडरा रहा है। भाजपा ने पिछले तीन दिनों तक लगातार क्षेत्रवार बैठक कर उम्मीदवारों के नाम पर मंथन किया। भाजपा मुख्यालय में सबसे पहले दिन गोरखपुर और काशी क्षेत्र, फिर कानपुर-बुंदेलखंड और आखिरी दिन अवध, पश्चिम और ब्रज क्षेत्र के उम्मीदवारों के नाम की चर्चा हुई। पहले यही संकेत मिलते रहे कि पहले चरण के नगर निगम महापौर, पार्षद और नगर पालिका परिषद के अध्यक्षों की सूची शुक्रवार तक हर हाल में जारी हो जाएगी, लेकिन रात तक कोई सुगबुगाहट नहीं मिली।
भाजपा मुख्यालय के बाहर दावेदारों की भीड़
भाजपा मुख्यालय के बाहर दावेदार और उनके समर्थकों की भीड़ जमी रही। भाजपा के कुछ पदाधिकारी इस बात का संकेत दे रहे थे कि कम से कम नगर पालिका परिषद के उम्मीदवारों की सूची देर रात तक जारी कर दी जाएगी लेकिन नगर निगमों को लेकर कोई मुंह खोलने को तैयार नहीं था। भाजपा की सर्वाधिक मुश्किल यह है कि एक-एक पद के लिए औसत 20 से 25 दावेदार हैं। उनमें छह से आठ मजबूत और प्रभावी हैं। जाहिर है कि एक को मिलने के बाद बाकी की नाराजगी बढऩी तय है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय का कहना है कि उम्मीदवार तो कोई एक ही बनेगा और देरी इसलिए हो रही है कि सभी बिन्दुओं की पड़ताल की जा रही है। भाजपा अनुशासित पार्टी है और जो पार्टी का उम्मीदवार बनेगा उसके साथ सभी कार्यकर्ता मजबूती के साथ खड़े होंगे। इस बीच यह भी चर्चा तेज हो गई है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मारीशस होने की वजह से भी नगर निगम महापौर के उम्मीदवारों की सूची जारी करने में विलंब हो रहा है। मुख्यमंत्री के लौटने पर ही अंतिम विमर्श होगा। हालांकि समय कम होने से चुनाव लडऩे वालों की मुश्किल बढ़ती जा रही है।
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