निकाय चुनाव के नतीजों के बाद योगी कैबिनेट में होगा बदलाव
BY Anonymous11 Nov 2017 10:02 AM GMT
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Anonymous11 Nov 2017 10:02 AM GMT
निकाय चुनाव के शंखनाद के साथ ही सत्तारूढ़ बीजेपी ने 'मोहल्लों में सरकार' बनाने के लिए आक्रामक रणनीति तैयार की है. सरकार और संगठन के विमर्श के बीच से ये संकेत बाहर आये है कि निकाय चुनावों के बाद राज्य मंत्रिमंडल में फेरबदल किया जाएगा.
जिन इलाकों में प्रभारी मंत्रियों पार्टी को अच्छा परफॉर्मेंस नहीं दिला पाएंगे न सिर्फ उन इलाकों से बल्कि मंत्रिमंडल से भी उन मंत्रियों का पत्ता साफ हो जाएगा. जहां एक तरफ नगर निकायों में स्थानीय जिलों के प्रभारी मंत्री को जीत का जिम्मा सौंपा गया है. वहीं जिन मंत्रियों के पास दो-दो जिलों का प्रभार है और उनमें कुछ सीटें महत्वपूर्ण है वहां अन्य मांत्रियों या संगठन के कद्दावर लोगों को लगाया गया है.
16 नगर निगमों में जनता और कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने के लिए एक-एक वरिष्ठ मंत्रियों की तैनाती की गई है. यही नहीं बीजेपी की जीत सुनिश्चित करने के लिए सभी मंत्री अपने-अपने जिम्मेदारी वाले स्थानों पर कैंप करेंगे.
अयोध्या, काशी व गोरखपुर के लिए खास रणनीति
पार्टी ने अयोध्या, वाराणसी और गोरखपुर के लिए खास रणनीति बनाई है. चर्चा है कि यहां मोर्चा संभालने के लिए किसी प्रमुख व्यक्ति को भेजा जाएगा. कहा जा रहा है कि सीएम योगी इन तीनों जगह प्रचार कर सकते हैं.
इसी तरह से सहारनपुर की जिम्मेदारी कृषि मंत्री सूर्यप्रताप सिंह को दी गई है. मथुरा-वृन्दावन की कमान उर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा को मिली है. गाजियाबाद की जिम्मेदारी पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रमापति राम त्रिपाठी, अलीगढ सुरेश राणा, मेरठ सिद्धार्थनाथ सिंह, इलाहाबाद आशुतोष टंडन और रीता बहुगुणा जोशी और बरेली में ब्रजेश पाठक को विजयश्री दिलानी है.
कानपुर और आगरा की जिम्मेदारी दोनों डिप्टी सीएम के हाथों
प्रदेश के सबसे बड़े नगर निगम कानपुर की जिम्मेदारी डिप्टी सीएम केशव मौर्य के हाथों है. मौर्य कानपुर में कैंप कर पार्टी की जीत सुनिश्चित करेंगे. वहीं डिप्टी सीएम डॉ दिनेश शर्मा आगरा में कैंप करेंगे.
लखनऊ की जिम्मेदारी वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल को
कहा जा रहा है कि नोटबंदी और जीएसटी की वजह से व्यापारी वर्ग, खासकर वैश्य समाज नाराज है. लिहाजा वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल को उनकी यह नाराजगी दूर करने की जिम्मेदारी दी गई है.
सूबे की योगी सरकार को 2019 के लोकसभा चुनाव में बेहतर परिणामों के लिए राजनैतिक और प्रशासनिक दोनों समीकरण साधना है लिहाज़ा मंत्रिमंडल में फ़ेरबदल निकाय चुनावों के बाद तय माना जा रहा है.
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