Janta Ki Awaz
उत्तर प्रदेश

भाजपा के दिग्गजों व मंत्रियों की नाक का सवाल बने यूपी निकाय चुनाव, मोदी-योगी की प्रतिष्ठा दांव पर

भाजपा के दिग्गजों व मंत्रियों की नाक का सवाल बने यूपी निकाय चुनाव, मोदी-योगी की प्रतिष्ठा दांव पर
X
निकाय चुनाव प्रत्याशियों से ज्यादा भाजपा के दिग्गज नेताओं और केंद्र व राज्य सरकार के मंत्रियों की परीक्षा बन गए हैं। अगर बड़े नगरों की बात करें तो नए बने अयोध्या नगर निगम तथा एक-दो अन्य महानगरों को छोड़कर ज्यादातर जगह के विधायक या विधान परिषद सदस्य प्रदेश के मंत्रिमंडल में शामिल हैं। कुछ स्थानों के सांसद केंद्र सरकार में मंत्री हैं।
कुछ ऐसे भी दिग्गज हैं जो मंत्री भले न हों लेकिन किसी न किसी रूप में इस चुनाव के नतीजे उनकी अहमियत बताने वाले होंगे। जाहिर है, इन महानगरों के पार्षदों, महापौरों या नगर पालिका परिषदों के अध्यक्षों व सदस्यों के चुनाव कहीं न कहीं इन सबकी परीक्षा बनेंगे। भाजपा उम्मीदवारों को मिलने वाले वोट इन नेताओं की पकड़ व पहुंच का पैमाना होंगे।
अब जबकि पहले चरण के मतदान में बमुश्किल 48 घंटे बचे हैं तो यह जानना जरूरी है कि प्रत्याशी से ज्यादा पार्टी के दूसरे लोगों की प्रतिष्ठा दांव पर कैसे लगी है। मैदान में लड़ने वालों से ज्यादा बाहर बैठे लोगों की साख दांव पर है।
नतीजे मोदी व योगी सरकार के कामकाज को लेकर जनता के मनोभावों को तो प्रगट करने वाले होंगे ही, साथ ही यह बताने वाले भी होंगे कि शहरी क्षेत्रों में आठ महीने पहले विधानसभा चुनाव में पार्टी को मिले समर्थन का अब क्या हाल है। जनता के दिमाग में क्या कुछ चल रहा है। भाजपा का आकर्षण पहले जैसा है या उसमें कुछ कमी आई है। लोकसभा चुनाव 2019 में प्रदेश में सभी 80 सीटें जीतने की मंजिल कितनी आसान या मुश्किल है?
लखनऊ में राजनाथ समेत 7 मंत्रियों की साख दांव पर
राजनाथ सिंह न सिर्फ लखनऊ से सांसद हैं बल्कि केंद्र में गृहमंत्री भी हैं। अटल बिहारी वाजपेयी और नानाजी देशमुख जैसे बड़े नेताओं का कर्मक्षेत्र और वरिष्ठ नेता लालजी टंडन जैसे शख्स इसी शहर से हैं। डॉ. दिनेश शर्मा यहीं के हैं और प्रदेश सरकार में उप मुख्यमंत्री होने के अलावा लगभग दस साल लखनऊ के महापौर भी रहे।
लखनऊ नगर निगम सीमा में आने वाली विधानसभा की सभी सात सीटें भाजपा के कब्जे में हैं। राजधानी से डॉ. शर्मा सहित सात लोग प्रदेश सरकार में मंत्री हैं। इनमें बृजेश पाठक, डॉ. रीता बहुगुणा जोशी, आशुतोष टंडन और स्वाति सिंह विधायक कोटे से मंत्री हैं।
उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा के अलावा डॉ. महेन्द्र सिंह और मोहसिन रजा भी मंत्री हैं। ये तीनों विधान परिषद सदस्य हैं। यानी राजधानी का कोई कोना आज ऐसा नहीं है जहां से भाजपा का कोई प्रतिनिधि न हो। स्वाभाविक रूप से निकाय चुनाव में इनके क्षेत्रों में पड़ने वाला वोट कहीं न कहीं इनकी खुद की लोकप्रियता का भी पैमाना बनेगा। यहां इन सब की साख दांव पर लगी हुई है।
इनका भी होगा इम्तिहान
केंद्र सरकार में मंत्री मेनका गांधी पीलीभीत से सांसद हैं। महेश शर्मा नोएडा से प्रतिनिधित्व करते हैं। स्मृति ईरानी भले ही अमेठी से सांसद नहीं हैं लेकिन जिस तरह वह वहां सक्रिय रहती हैं, उस नाते अमेठी का चुनाव उनकी प्रतिष्ठा से जुड़ा है। मुख्तार अब्बास नकवी भले ही इस बार उप्र से राज्यसभा सदस्य न हों लेकिन वह जिस तरह रामपुर में सक्रिय रहते हैं उसको देखते हुए यहां का चुनाव उनकी प्रतिष्ठा से जुड़ गया है। साध्वी निरंजन ज्योति हमीरपुर से तो कृष्णा राज शाहजहांपुर से सांसद हैं। शाहजहांपुर से ही सुरेश खन्ना योगी सरकार में नगर विकास मंत्री हैं। इसलिए इनसे जुड़े स्थानों के नतीजे इनकी पकड़ व पहुंच की सच्चाई बताने वाले होंगे।
मोदी से लेकर योगी तक का इम्तिहान
वाराणसी से खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं। इसके अलावा अनिल राजभर व नीलकंठ तिवारी मंत्री हैं। केंद्र में मंत्री मनोज सिन्हा वैसे तो गाजीपुर से सांसद हैं लेकिन वह भी एक तरह से वाराणसी में ही रहते हैं। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ. महेन्द्र नाथ पांडेय चंदौली से सांसद हैं और गाजीपुर के रहने वाले हैं। पर, वह भी वाराणसी में ही रहते हैं। अनुप्रिया पटेल भले ही मिर्जापुर से सांसद हों लेकिन मिर्जापुर के साथ वाराणसी का नतीजा उनकी भी समीक्षा का आधार बनेगा। गोरखपुर से खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आते हैं। इसके अलावा यहीं के शिवप्रताप शुक्ल केंद्र सरकार में मंत्री हैं।
इसके अलावा कानपुर से विधायक सतीश महाना और सत्यदेव पचौरी मंत्री हैं तो डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी सांसद हैं। कानपुर भाजपा के मूल संगठन जनसंघ की स्थापना वाली नगरी है। बरेली से धर्मपाल सिंह और राजेश अग्रवाल प्रदेश में तो संतोष गंगवार केंद्र में मंत्री हैं। इलाहाबाद से उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य जुड़े हैं। उनके अलावा सिद्धार्थनाथ सिंह और नंदगोपाल नंदी भी कैबिनेट मंत्री हैं।
खास बात यह कि नंदी की पत्नी अभिलाषा नंदी इलाहाबाद से महापौर का चुनाव लड़ रही हैं। मुरली मनोहर जोशी भले ही अब कानपुर से सांसद हों लेकिन उनका पैतृक शहर होने के नाते उनका और प्रदेश सरकार में मंत्री रीता बहुगुणा जोशी की भी प्रतिष्ठा इलाहाबाद में दांव पर है। रीता इलाहाबाद की महापौर रह चुकी हैं। इसलिए इन स्थानों के नतीजे कहीं न कहीं इन सभी नेताओं की लोकप्रियता का पैमाना बनेंगे।
यहां पूरी भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर
प्रदेश के नए नगर निगमों अयोध्या तथा मथुरा-वृंदावन में भी चुनौती कम नहीं है। हालांकि अयोध्या सहित पूरे फैजाबाद मंडल के किसी जिले के भाजपा विधायक को प्रदेश मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है। इसके बावजूद यहां की जीत-हार या मिलने वाले वोट भाजपा के लिए कम महत्वपूर्ण नहीं हैं।
एक तरह से यहां मिलने वाला वोट किसी एक मंत्री के बजाय पूरी भाजपा के ग्राफ में उतार-चढ़ाव का पैमाना होगा। मथुरा-वृंदावन में प्रदर्शन भी भाजपा के लिए कम महत्वपूर्ण नहीं है। यहां से श्रीकांत शर्मा व चौधरी लक्ष्मीनारायण के रूप में दो कैबिनेट मंत्री हैं। हेमा मालिनी सांसद हैं। स्वाभाविक रूप से यहां मिलने वाले वोट इन दोनों मंत्रियों समेत पूरी भाजपा के पिछले सात महीने में उतार- चढ़ाव का संदेश देने वाले होंगे।
इनकी अहमियत की भी परख होगी
सहारनपुर और फिरोजाबाद नगर निगमों के चुनाव भी पहली बार होने जा रहे हैं। सहारनपुर से धर्मसिंह सैनी और फिरोजाबाद से डॉ. एसपी. सिंह बघेल योगी सरकार में मंत्री हैं। दोनों जगह के नतीजे इन नेताओं की पकड़ व पहुंच की परख करेंगे। मुरादाबाद से चौधरी भूपेन्द्र सिंह प्रदेश सरकार में मंत्री होने के साथ पश्चिमी उप्र के बड़े नेता हैं।
अलीगढ़ से संदीप सिंह और गाजियाबाद से अतुल गर्ग प्रदेश सरकार में शामिल हैं। गाजियाबाद से ही वीके सिंह केंद्र में मंत्री हैं। झांसी से उमा भारती केंद्र में मंत्री हैं तो मन्नू कोरी प्रदेश में मंत्री हैं। मेरठ से भले ही प्रदेश और केंद्र में कोई मंत्री न हो लेकिन यह पश्चिमी उप्र की राजनीतिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र रहा है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी यहीं के हैं। आगरा से पार्टी ने प्रदेश के सह कोषाध्यक्ष नवीन जैन को उम्मीदवार बनाया है।
Next Story
Share it