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कैराना पलायन: वापस लौटने को तैयार नहीं पीड़ित, बोले- वहां डर के साए में लोग, 6 बजे के बाद नहीं निकलते घर से
BY Anonymous10 April 2018 4:13 AM GMT
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Anonymous10 April 2018 4:13 AM GMT
लखनऊ। बात 2014 की है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कैराना में कुख्यात मुकीम काला गैंग कारोबारी शिव कुमार सिंघल (43) और राजेंद्र कुमार गर्ग (43) को 10 लाख रुपये देने के लिए धमकियां दे रहा था। इसके बाद, दोनों को सुरक्षा दी गई थी। 8 महीने बाद दोनों कारोबारियों से यह सुरक्षा वापस ले ली गई। दो महीने बाद अगस्त 2014 में दो मोटरसाइकिल पर सवार चार लोगों ने दुकान में बैठे गर्ग और सिंघल की गोली मारकर हत्या कर दी। अधिकारियों के मुताबिक, मुकीम समेत 9 लोगों पर हत्या के केस हैं। अधिकारियों का यह भी दावा है कि अपराधियों की धर-पकड़ की वजह से कैराना के हालात में आमूलचूल परिवर्तन हुए हैं।
2017 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से कैराना पुलिस ने छह कथित अपराधियों का एनकाउंटर किया। कुल 42 पुलिस ऑपरेशंस में 32 अपराधी घायल भी हुए। जो छह मारे गए, उनमें चार मुकाम काला गैंग के सदस्य नौशाद, सरवर, शब्बीर और अकबर थे। गैंग के दो अन्य सदस्य वसीम और शमील मेरठ और मुजफ्फरनगर में मारे गए। मुकीम हरियाणा के यमुना नगर की जेल में बंद है। शामली के एसपी देव रंजन वर्मा का दावा है, 'पुलिस के ऐक्शन के बाद मुकीम गैंग का नेटवर्क खत्म हो चुका है। इस वक्त गैंग का कोई भी सदस्य सक्रिय नहीं है।' पुलिस के इस ऐक्शन के बावजूद मारे गए दोनों कारोबारियों के परिवार का भरोसा लौटा नहीं है। वे 2015 में कैराना से 50 किमी दूर मुजफ्फरनगर जा चुके हैं। वे वापस लौटने को तैयार नहीं हैं क्योंकि उन्हें अब भी कैराना असुरक्षित लगता है।
गर्ग के भाई मुकेश ने कहा, 'मीडिया में खबरें हैं कि कई एनकाउंटर के बाद कैराना के हालात बदल गए हैं। हालांकि, जमीन पर ऐसा कुछ नहीं है। कैराना के लोग अब भी सुरक्षित महसूस करते हैं। लूटपाट के डर से कारोबारी 6 बजे के बाद घर से बाहर नहीं निकलते।' मुकेश का दावा है कि गैंगस्टर अब शामली से अपना गिरोह चलाते हैं। उनका कहना है कि जान के डर से वह अब मुजफ्फरनगर में अपने भाई के परिवार के साथ रहते हैं। उन्होंने मुजफ्फरनगर में एक घर भी खरीद लिया है और वहीं मशीन पार्ट्स का कारोबार शुरू कर लिया है।
सिंघल के भाई मनोज कुमार ने भी कैराना से मुजफ्फरनगर आकर हार्डवेयर की दुकान खोल ली है। उन्होंने कहा, 'हम कैरान में अपने पुश्तैनी मकान और दुकान को बेच देंगे क्योंकि अब शामली लौटने का कोई सवाल ही नहीं उठता।' बता दें कि पूर्व बीजेपी सांसद हुकुम सिंह ने दावा किया था कि कैराना से 346 हिंदू परिवार विस्थापित हुए हैं। इसके बाद जांच की गई थी। सिंह ने इस कथित विस्थापन के लिए 'एक समुदाय विशेष से ताल्लुक रखने वाले अपराधियों की धमकियों और सुरक्षा की कमी' को जिम्मेदार ठहराया था। यूपी पुलिस ने बीते महीने डीजीपी को आदेश दिया है कि वह 28 फरवरी 2017 से पहले सांप्रदायिक तनाव की वजह से विस्थापित लोगों की सूचना जुटाएं। मुख्य सचिव अरविंद कुमार ने कहा है, 'जब विभिन्न जिलों से विस्थापन और उसके कारणों की जानकारी मिल जाएगी तो हम हिसाब से रणनीति बनाएंगे।'
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