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1978 के बाद गंगा और यमुना ने वर्ष 2013 मे बाढ़ के जरिए अपनी हद बताई थी, लेकिन
BY Suryakant Pathak25 Aug 2016 2:41 PM GMT
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Suryakant Pathak25 Aug 2016 2:41 PM GMT
इलाहाबाद : 'बाढ़ की संभावनाएं सामने है, और नदियो के किनारे घर बने है।' ये पंक्तियां लिखते समय शायर दुष्यंत कुमार ने नही सोचा होगा कि घर नदियो के किनारे ही नही नदियो मे भी बनने लगेगे। हालात इतने बिगड़े तो नदियो ने खुद नसीहत दी। इलाहाबाद मे 1978 के बाद गंगा और यमुना ने वर्ष 2013 मे बाढ़ के जरिए अपनी हद बताई थी, लेकिन अफसरो ने सबक नही लिया। जिसका नतीजा तीन साल बाद और खौफनाक रूप मे सामने आया।
अंग्रेजी शासन काल मे नदियो के जलस्तर के लिए जो खतरा बिंदु तय किया गया था। सामान्य तौर पर उसे नदी का क्षेत्र माना जाता है। ऐसे मे इस क्षेत्र मे भवनो का निर्माण या रिहाइश खतरनाक होती है। साथ ही इससे नदियो का भौगोलिक आकार भी बिगड़ता है। जिसके बड़े खतरे है। हाईकोर्ट ने तो गंगा के उच्चतम बाढ़ क्षेत्र (एचएफएल) से पांच सौ मीटर तक के दायरे मे निर्माण प्रतिबंधित कर दिया है। इसके बावजूद प्रशासन, इलाहाबाद विकास प्राधिकरण मिलकर गंगा के बाढ़ क्षेत्र मे अवैध निर्माण नही रोक पाए। यहां जमीन के काले कारोबारी लगातार जमीने बेच रहे है और नए निर्माण होते जा रहे है।
सर्वे भी ठंडे बस्ते मे
वर्ष 2013 मे प्रशासन ने बाढ़ के बाद बाढ़ क्षेत्र मे बने भवनो का सर्वे करवाया, लेकिन यह सर्वे ठंडे बस्ते मे चला गया और कोई कार्रवाई नही हुई। यही वजह रही कि इस बार बाढ़ का कहर जरूर कम था, लेकिन प्रभावितो की संख्या 2013 से ज्यादा है। गंगा यमुना ने एक बार फिर अपनी हद बताकर प्रशासन को आगाह किया हैे। अगर प्रशासन इससे सबक नही लेता तो आने वाले बरसो मे शहर को बाढ़ का और भयावह रूप देखने को मिल सकता है।
यहां बने है नदियो मे घर
छोटा बघाड़ा, अरैल, करेली की नई कालोनियां, गोविंदपुर, सलोरी, राजापुर, गंगा नगर, जवाहरगंज, तेलियरगंज, रसूलाबाद आदि कई क्षेत्रो मे हजारो मकानो मे लाखो की आबादी रहती है।
हमारी क्या गलती?
बघाड़ा क्षेत्र के एनी बेसेट कॉलेज मे लगे बाढ़ राहत शिविर मे एक सप्ताह से रहने वाली पुष्पा सिंह भी छोटा बघाड़ा मे बाढ़ क्षेत्र मे घर बनाकर रहती है। पुष्पा कहती है कि वे यहां घर बनाने को तैयार नही थी, लेकिन एक शख्स पीछे पड़ा था और किश्तो मे पैसा लिया। तब उन्हे नही पता था कि यह प्रतिबंधित एरिया है। किसी ने रोका भी नही, अब पूरी जमा पूंजी लगा दी तो कहां जाएं? पांच साल पहले घर बनवाने वाली मुस्कान और दस साल पहले घर बनवाने वाली कमलावती कहती है कि आखिर हमारी क्या गलती? सरकार वहां सड़क, बिजली, पानी सब दे रही है तो कैसे पता चले कि यहां जमीन नही खरीदनी है।
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