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उत्तर प्रदेश

यूपी में दिवाली से गांवों को 16 से 18 घंटे व शहरों को 22 से 24 घंटे बिजली

यूपी में दिवाली से गांवों को 16 से 18 घंटे व शहरों को 22 से 24 घंटे बिजली
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विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अक्तूबर से गांवों व शहरों को ज्यादा बिजली देने की तैयारियां तेज हो गई हैं। हालांकि अभी यह तय नहीं हुआ कि किस तारीख से आपूर्ति बढ़ाई जाएगी लेकिन पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन ने दिवाली से आपूर्ति में इजाफा किए जाने के संकेत दिए हैं।

गांवों को 16 से 18 घंटे तथा शहरों को 22 से 24 घंटे बिजली आपूर्ति की मुख्यमंत्री की घोषणा को अमली जामा पहनाने के लिए नए शिड्यूल पर भी माथापच्ची चल रही है।

कोशिश है कि सभी जगह तय शिड्यूल के अनुसार आपूर्ति में बिजली की कमी न हो और वितरण तथा ट्रांसमिशन नेटवर्क भी ओवरलोडेड न हो। इसके मद्देनजर बिजली उत्पादन बढ़ाने तथा ट्रांसमिशन व वितरण नेटवर्क के बचे कार्यों को पूरा कराने की मुहिम छेड़ी गई है।

पावर कॉर्पोरेशन के सूत्रों का कहना है कि सरकार के एलान के मद्देनजर अक्तूबर से गांवों व शहरों को ज्यादा बिजली देने की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। आगामी विधानसभा चुनाव में भी बिजली की मांग बढ़ने की संभावना को देखते हुए अतिरिक्त बिजली का इंतजाम किया जा रहा है।

अंतिम फैसला करेंगे सीएम अखिलेश

आपूर्ति कब से बढ़ाई जाएगी, इस पर फैसला मुख्यमंत्री करेंगे लेकिन उम्मीद है कि दिवाली के आसपास नए शिड्यूल के हिसाब से आपूर्ति शुरू की जा सकती है। वैसे कॉर्पोरेशन की तैयारी पूरी है।

अगर सरकार 2 अक्तूबर या किसी अन्य तिथि पर इसकी शुरुआत करना चाहेगी तो भी कोई कठिनाई नहीं होगी क्योंकि बिजली की संभावित मांग का आकलन कराकर जरूरत भर बिजली का इंतजाम कर लिया गया है।

अक्तूबर में 16,500 मेगावाट से ज्यादा रहेगी उपलब्धता
पावर कॉर्पोरेशन स्थित स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर (एसएलडीसी) के अधिकारियों के मुताबिक प्रदेश में सरकार की मंशा के अनुसार बिजली आपूर्ति के लिए फिलहाल अधिकतम 18,500 मेगावाट बिजली की जरूरत पड़ेगी।

चूंकि अक्तूबर में मांग कम रहती है, इसलिए लगभग 16,500 मेगावाट बिजली की जरूरत पड़ेगी। राज्य के बिजलीघरों से 4000 मेगावाट से ज्यादा बिजली मिलने की उम्मीद है जबकि केंद्र से औसतन 5500 मेगावाट बिजली मिलने का अनुमान है।

निजी बिजली घरों से भी ली जाएगी बिजली

प्रदेश में निजी बिजलीघरों की कुल क्षमता लगभग 7000 मेगावाट है। इनसे भी लगभग 5000-6000 मेगावाट बिजली ली जाएगी। इसके अलावा केस-1 बिडिंग (अपने संसाधनों से बिजलीघर लगाने वाले डवलपर्स) के तहत 2175 मेगावाट बिजली खरीदने का करार किया गया है।

इसके बाद भी अगर थोड़ी-बहुत कमी होती है तो एनर्जी एक्सचेंज से बिजली खरीदने का विकल्प भी रहेगा।

वितरण व ट्रांसमिशन नेटवर्क दुरुस्त कराने पर जोर
गांवों और शहरों को ज्यादा बिजली देने के लिए वितरण एवं ट्रांसमिशन नेटवर्क दुरुस्त कराने पर जोर है। पावर कॉर्पोरेशन के अधिकारियों का कहना है कि 16000 मेगावाट तक आपूर्ति के लिए नेटवर्क तैयार है। सितंबर तक इसकी क्षमता बढ़कर 18000 मेगावाट तक पहुंच जाएगी।

150 से ज्यादा बनाए जा चुके हैं ट्रांसमिशन नेटवर्क

लगभग 600 नए वितरण उपकेंद्र बनाए गए हैं जबकि 765 केवी से लेकर 132 केवी तक के 150 से ज्यादा नए ट्रांसमिशन उपकेंद्रों का निर्माण कराया गया है।

अभियंताओं का कहना है कि बिजली पहुंचाने में वितरण एवं ट्रांसमिशन नेटवर्क की कोई दिक्कत नहीं आएगी।

पावर कॉर्पोरेशन के प्रमुख सचिव ऊर्जा व चेयरमैन संजय अग्रवाल का कहना है कि अक्तूबर से गांवों और शहरों को ज्यादा बिजली देने के लिए जरूरी तैयारियां कर ली गई हैं। वितरण और ट्रांसमिशन नेटवर्क तैयार कराने का काम भी तेजी से कराया जा रहा है। सितंबर के अंत तक सारी व्यवस्थाएं पूरी कर ली जाएंगी।

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