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उत्तर प्रदेश

तय था सरकार तक पहुंचेगी जांच की आंच

तय था सरकार तक पहुंचेगी जांच की आंच
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लखनऊ : प्रदेश में अवैध खनन का मुद्दा हाई कोर्ट में आने के बाद ही तय हो गया था कि इसकी जांच की आंच सरकार तक पहुंचेगी। यही वजह है कि सीबीआइ जांच रोकने के लिए सरकार ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया, लेकिन अधिकारियों के विरोधाभासी बयान ही उसके आड़े आ गए।

प्रदेश में अवैध खनन को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक दर्जन से अधिक याचिकाएं लंबित हैं। याचिकाएं देवरिया, संभल, बदायूं, बागपत, कौशांबी, शामली, जालौन, बांदा, हमीरपुर, सहारनपुर, मिर्जापुर आदि जिलों से दाखिल हुई हैं। सीबीआइ जांच का आदेश अमर सिंह व अन्य दर्जनों याचिकाओं की सुनवाई में 28 जुलाई को दिया गया था। उस वक्त कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की थी कि नदियों में अवैध खनन हो रहा है और सरकार को दिखाई नहीं दे रहा। तत्कालीन कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश वीके शुक्ल तथा न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी की खंडपीठ ने यह तक कह दिया था कि अधिकारी आंखों में धूल झोंकने का काम कर रहे हैं। कोर्ट ने सीबीआइ से आठ सितंबर तक प्रारंभिक जांच रिपोर्ट मांगी थी।

हठधर्मिता से किरकिरी : इसके बाद सरकार ने इस आदेश को रीकॉल किए जाने की अर्जी दी और जांच पर रोक लगाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। सरकार जांच रोकने के लिए किस हद तक गंभीर थी, इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि शासकीय अधिवक्ताओं की फौज तो कोर्ट में खड़ी ही हुई, सुप्रीम कोर्ट से वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचंद्रन तक को बुलाया गया। सरकार ने बहुत दलील दी कि कोर्ट का आदेश एकतरफा है और उसका पक्ष नहीं सुना गया, लेकिन इस सवाल का जवाब न दिया जा सका कि आखिर सीबीआइ जांच में आपत्ति क्या है। कोर्ट में याचियों की ओर से अवैध खनन के फोटोग्राफ पेश किए जा चुके थे।

विरोधाभासी बयान : प्रमुख सचिव की ओर से कहा गया कि प्रदेश में कहीं भी अवैध खनन नहीं हो रहा है। दूसरी और सरकार की ओर से ही कहा गया कि अवैध खनन रोकने के लिए कड़े कदम उठाए गए हैं और कई ट्रक पकड़े भी गए हैं।

अवमानना की भी परवाह नहीं : अफसरों ने इस प्रकरण को गंभीरता से लिया ही नहीं। मसलन हमीरपुर के एडीएम ने कोर्ट में हलफनामा दिया कि उनके यहां अवैध खनन नहीं हो रहा। इस अदालत ने दो एडवोकेट कमिश्नर वहां पड़ताल के लिए भेज दिए। उन्होंने एडीएम की रिपोर्ट को झूठा पाया। इस पर कोर्ट खफा हुई और डीएम को अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए लिखा। सहारनपुर में अवैध खनन के नाम पर जब्त बालू का मामला सामने आया। प्रशासन ने बिना नीलामी के ही उन्हीं लोगों को बालू ले जाने की छूट दे दी जिनसे जब्त की गई थी। तीन दिन पहले ही कोर्ट ने सहारनपुर के डीएम और प्रमुख सचिव खनन को तलब किया है।

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