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उत्तर प्रदेश

शिवपाल के साथ अपना नाम जोड़कर जिंदाबाद लगवाने की होड़

शिवपाल के साथ अपना नाम जोड़कर जिंदाबाद लगवाने की होड़
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बाराबंकी : समाजवादी पार्टी में छिड़ी रार का असर कार्यक्रम पर भी दिखा। इस सरकारी कार्यक्रम में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का कहीं नाम नहीं था। सपा नेताओं की नारेबाजी में भी उनका नाम शामिल नहीं था। शिवपाल के साथ अपना नाम जोड़कर जिंदाबाद लगवाने की होड़ रही। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव का नाम लेने से भी कार्यकर्ताओं ने गुरेज किया।

सपा प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव के कार्यक्रम में एकजुटता दिखाने की पूरी कोशिश की गई। मंच पर पार्टी के सभी मंत्री, विधायक व नेता मौजूद भी रहे, लेकिन इस दौरान हो रही नारेबाजी की धार में सियासी रार स्पष्ट दिखाई दी। पूर्व केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा व ग्राम्य विकास मंत्री अरिवंद सिंह गोप के समर्थकों ने नारेबाजी कर शक्ति प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन की होड़ में तीसरा खेमा जिलाध्यक्ष डॉ. कुलदीप सिंह का था।

अवसर था दौलतपुर में प्रगतिशील किसान रामसरन वर्मा के फार्म पर कृषि तकनीक हस्तांतरण सम्मेलन का। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव थे। उन्होंने मंच से राजनीतिक बात कहने से भी बचने की पूरी कोशिश की। उनकी यह कोशिश सफल भी हो जाती। यदि नेताओं के समर्थकों के बीच नारेबाजी की होड़ न लग जाती। सपा के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में उनका यह पहला दौरा था। इस कार्यक्रम में सपा नेताओं को केवल उनके स्वागत का अवसर मिला। मंत्रियों और विधायकों को भी बोलने की अनुमति नहीं दी गई। प्रगतिशील किसानों को जरूर अपनी बात कहने का अवसर दिया गया। गुजरात से आए प्रगतिशील किसान केतन पटेल ने किसानों से अपील की कि वे खेती को उद्योग बनाएं। केले का एक-एक अंश उपयोगी है। जड़ों से खाद बनाई जा सकती है। तने से निकलने वाले पानी में इतनी पोटाश है कि खेत में पोटाश डालने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसका निकलने वाला फाइबर ढाई सौ रुपये किलो बिकता है। एकजुट होकर एक्सपोर्ट जोन बनाए जाने की जरूरत है।

नहीं हुई सरकार बनाने की बात : चुनाव सन्निकट हैं पार्टी चुनाव मैदान में जाने की तैयारी कर रही है लेकिन समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव ने यहां सरकार बनाने की बात नहीं की। कार्यकर्ताओं के नारे में भी अखिलेश को फिर से मुख्यमंत्री बनाने का जोश नदारद था। हालांकि कार्यक्रम के आयोजक रामसरन वर्मा को जरूर इस बात का सुकून था कि किसान के खेत पर सिर्फ किसान की बात हुई। वह कहते हैं कि अनुरोध भी किया था कि कोई सियासी बात न हो।

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