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उत्तर प्रदेश

2017 में हर दल ब्राह्मण कार्ड खेल रहा, सपा के लिए ये होंगे ब्राह्मण चेहरे

2017 में हर दल ब्राह्मण कार्ड खेल रहा, सपा के लिए ये होंगे ब्राह्मण चेहरे
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यूपी में 14 प्रतिशत ब्राह्मणो को सत्ता का किंगमेकर माना जाता है। 2007 में पूरे यूपी ने इसे हकीकत रूप में दिखा। अब 2017 में हर दल ब्राह्मण कार्ड खेल रहा। यूपी का ब्राह्मण मन अब इस उधेड़बन में फंसा है कि आखिर इस बार किसके लिए जीत का शंखनाद किया जाए।

2007 के चुनाव में सवा सौ सीटों पर ब्राह्मण प्रत्याशियों को बसपा मुखिया मायावती ने उतारा था तो दलित-ब्राह्मण वोटों के गठजोड़ से बसपा सत्ता तक पहुंचीं। 2012 के चुनाव में ब्राह्मणों पर थोड़ा कम भरोसा जताते हुए महज 80 सीटों पर ही टिकट दिया गया। इस बार ब्राह्मण व दलित समीकरण टूट गया। नतीजा बसपा को झटका लगा और पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। इससे सबक न लेते हुए बसपा मुखिया मायावती ने इस बार भी शुरुआत में मुस्लिमों को तरजीह देना शुरू किया। पहले जितने टिकट ब्राह्मणों को मिलते थे, उसे मुस्लिमों को सौंपा। करीब सवा सौ सीटों पर मुस्लिमों के टिकट तय हुए। बमुश्किल 25 से 35 सीटों पर ब्राह्मणों को उतारने की तैयारी रही। मगर मूड भांपकर अब जाकर पार्टी सूत्र बता रहे कि बसपा मुखिया ने ब्राह्मणों की टिकट में सहभागिता बढ़ाने की तैयारी की है। वहीं 2007 के चुनाव के बाद से उपेक्षा से नाराज ब्राह्मणों को फिर से पार्टी से जोड़ने के लिए सतीश मिश्रा को मायावती ने पूर्वांचल की कमान संभालने को कहा है तो रामवीर उपाध्याय को पश्चिम यूपी की जिम्मेदारी दी है।

सोमवार को हुए मंत्रिमंडल विस्तार में अखिलेश ने प्रतापगढ़ की रानीगंज सीट से विधायक शिवकांत ओझा को फिर से कबीना मंत्री बना दिया। वहीं बर्खास्त हुए मनोज पांडेय को भी मंत्री पद का ताज वापस कर मिला तो मुख्यमंत्री अखिलेश ने अपने करीबी अभिषेक मिश्रा को प्रमोशन देकर कैबिनेट मंत्री बना दिया। इस प्रकार मंत्रिमंडल में तीन ब्राह्मणों को जगह देकर सपा ने भी ब्राह्मण कार्ड खेल दिया।

कांग्रेस ने तो सीएम के दावेदार के रूप में शीला दीक्षित के रूप में ब्राह्मण चेहरा ही उतार दिया है। यानी हर पार्टी के पंडित आम पंडितों को अपने दल से जोड़ने को आतुर हैं।

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