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उत्तर प्रदेश

नीतीश-अजित की दोस्ती बदलेगी समीकरण?

नीतीश-अजित की दोस्ती बदलेगी समीकरण?
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लखनऊ : जनता दल (यूनाईटेड) और राष्ट्रीय लोकदल के बीच पिछले छह माह से चल रही तालमेल की कोशिशें परवान चढ़ने से प्रदेश के सियासी समीकरण बदलने की आस जगी है। बीएस-फोर (बहुजन स्वाभिमान संघर्ष समिति) जैसे छोटे दलों का साथ मिलने से पश्चिम उप्र के अलावा अन्य क्षेत्रों में गठजोड़ को ताकत मिलेगी।

मंगलवार को बागपत के बड़ौत में अजित सिंह ने किसान मजदूर स्वाभिमान रैली में भारी भीड़ जुटा ताकत का अहसास कराया। चौधरी चरण सिंह व डा.लोहिया के अनुयायियों को एकजुट करने के प्लान का पहला शो कामयाब रहने के बाद अब पूर्वाचल व अन्य क्षेत्रों में नीतीश कुमार व अजित सिंह की संयुक्त रैलियां होगी और इन रैलियों में स्थानीय छोटे दलों को भी साथ लिया जाएगा। बड़ौत रैली कामयाब होने के बाद रालोद महासचिव राजेंद्र शर्मा का कहना है कि प्रदेश में अब चौथा मोर्चा बनने का मार्ग प्रशस्त होगा। जनता बसपा, सपा और भाजपा से अलग विकल्प चाहती है। जद यू-रालोद गठजोड़ सशक्त विकल्प साबित होगा।

भाजपा की बेचैनी बढ़ी : पश्चिमी उप्र को चुनावी नजरिए से मुफीद मान रही भाजपा के लिए सफल बड़ौत रैली खतरे की घंटी बनी है। भाजपा के एक पूर्व विधायक का कहना है कि रालोद मजबूत होगा तो पार्टी को पश्चिमी उप्र में गत लोकसभा चुनाव जैसा वातावरण नहीं मिलेगा। जयंत चौधरी को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाकर उतारने से जाटों का मोह भाजपा से भंग होने का डर कम नहीं है। साथ ही रालोद राज्य पुनर्गठन की मांग को तुल देगा तो भाजपा और सपा के लिए असहज स्थिति बनेगी। पिछड़े वर्ग के ताराचंद शास्त्री का कहना है कि भाजपा से नाराज पिछड़ी जातियों को भी जुटने के लिए नया प्लेटफार्म मिलेगा।

जाट-कुर्मी-पासी गठजोड़ : नीतीश-अजित सिंह संग बीएस-फोर जुड़ेगी तो जाट-कुर्मी व पासी गठजोड़ की संभावना बढ़ेगी। बीएस-फोर प्रमुख व पूर्व मंत्री आरके चौधरी ने बसपा से अलग हो कर मध्य उप्र में सौ से अधिक विधानसभा सीटों में यात्र निकाल अपनी ताकत दिखा दी। चौधरी का दावा है कि छोटे दलों का गठजोड़ मजबूत होगा तो पूर्वाचल व अन्य क्षेत्रों में सियासत की नई संभावना बनेगी। पासी समाज में पकड़ रखने वाले चौधरी का कहना है कि दलित पिछड़ा समीकरण सशक्त हो रहा है।

छोटे दलों को जोड़ेंगे : नीतीश अजित का मेल भले ही बिहार के महागठबंधन जैसा न हो परन्तु छोटे दलों को साथ में लिया तो बड़ों का खेल बिगाड़ने वाला साबित हो सकता है। जद यू महासचिव केसी त्यागी का दावा है कि छोटे दलों से वार्ता चल रही है। बड़ौत के बाद नीतीश और अजित सिंह का कारवां अन्य क्षेत्रों की ओर बढ़ेगा तो सकारात्मक परिणाम आएंगे।

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