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उत्तर प्रदेश

कश्मीर में अशांति 'फैला' रहे थे सरकारी कर्मचारी

कश्मीर में अशांति फैला रहे थे सरकारी कर्मचारी
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जम्मू एवं कश्मीर में सरकार ने अशांति फैलाने वाले 10 से अधिक कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है. कर्मचारियों पर घाटी में पिछले तीन माह से भी जारी अशांति को बढ़ावा देने में शामिल होने का आरोप है.

एक शीर्ष अधिकारी ने गुरुवार को बताया, "कर्मचारियों की राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों पर रिपोर्ट राज्य पुलिस ने तैयार की, जिसे मुख्य सचिव के पास भेजा गया. उन्होंने संबंधित विभागों के प्रमुखों से इन कर्मचारियों को बर्खास्त करने को कहा."

बर्खास्त कर्मियों में कश्मीर विश्वविद्यालय के सहायक रजिस्ट्रार के अलावा शिक्षा, राजस्व, सार्वजनिक स्वास्थ्य, इंजीनियरिंग और खाद्य आपूर्ति विभाग के कर्मचारी भी शामिल हैं. उन्होंने कहा, "राज्य सरकार ने राज्य के संविधान के अनुच्छेद 126 के तहत यह कार्रवाई किया."

प्रशासन के मुताबिक, कुछ कर्मचारियों पर पहले ही सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है. कश्मीर में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी के सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में आठ जुलाई को मारे जाने के अगले दिन नौ जुलाई से शुरू हुए उपद्रव व अशांति को 104 दिन हो गए हैं.

इस दौरान 91 लोगों की मौत हो गई, जबकि 12,000 से अधिक लोग घायल हुए. इस बीच कश्मीर घाटी में प्रमुख मार्गों पर वाहनों की आवाजाही बढ़ गई है. शहर के सिविल लाइन्स इलाके में हालात सामान्य हो रहे हैं. लेकिन घाटी में अलगाववादी समर्थित हड़ताल के कारण लगातार 104वें दिन जनजीवन प्रभावित रहा.

अलगवावादियों ने हड़ताल की अवधि 27 अक्तूबर तक बढ़ा दी है. हालांकि, अब और ज्यादा लोग अलगाववादियों द्वारा घोषित बंद को तवज्जो नहीं देकर अपने रोजमर्रा के कामकाज कर रहे हैं. कई स्थानों पर कुछ दुकानें भी खुलने लगी हैं और यातायात की समस्या भी देखने को मिल रही है.

लाल चौक से गुजरने वाले टीआरसी क्रांसिंग और बटमालू एक्सिस पर रेहड़ी पटरी वालों ने भी अपने दुकानें तान दी हैं.
अधिकारियों ने बताया कि पूरी कश्मीर घाटी में लोगों की आवाजाही पर कोई पाबंदी नहीं है. संवेदनशील इलाकों में अच्छी संख्या में बलों को तैनात किया गया है.

बाकी की घाटी में दुकानें और व्यावसायिक प्रतिष्ठान अलगाववादियों द्वारा हड़ताल में घोषित छूट के दौरान ही खुल रहे हैं. घाटी में स्कूल, कॉलेज तथा अन्य शैक्षणिक संस्थान अब भी बंद हैं. जन सुरक्षा कानून के तहत अब तक 300 लोगों पर मामले दर्ज किए गए हैं.

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