उदयवीर के जवाब में एमएलसी आशू मलिक ने लिखी चिट्ठी
समाजवादी पार्टी में लेटर वार छिड़ गया है। सबसे पहले रामगोपाल यादव ने मुलायम सिंह को चिट्ठी लिखी, फिर एमएलसी उदयवीर अब एमएलसी आशू मलिक ने भी सपा सुप्रीमो को चिट्ठी लिख डाली है। मुलायम सिंह बुधवार को दिल्ली जा चुके हैं। आशु मलिक सुबह 6.35 बजे मुलायम के दिल्ली स्थित आवास पहुंचे, उन्हें पत्र दिया और लंबी मुलाकात की। उन्होंने कहा कि उदयवीर की चिट्ठी पढ़कर वह रातभर सो नहीं पाए। पढ़ें पत्र...
इतिहास रचने वाले इस महापुरुष को ताने दिए जाएँगे, कुछ लोग जोश इतना होश खोदेंगे कि उनकी मत मारी जाएगी और वे पागलों की तरह जो चाहेंगे देश के सब से बड़े राजनैतिक परिवार को जो चाहेंगे बकेंगे।
अफ़सोस सद अफ़सोस उन लोगों पर जो पार्टी की लोकतांत्रिक भावनाओं को आपसी कलह समझ रहे हैं, वह यह नहीं समझ रहे हैं कि माननीय नेता जी और माननीय अखिलेश जी दोनों एक दुसरे को कितना प्यार करते हैं । एक दुसरे का कितना सम्मान करते हैं और दोनों पार्टी को किन बुलन्दियों पर ले जाना चाहते हैं।
काश मौके का फ़ायदा उठाने की कोशिश करने वाले लोग समझ पाते कि आज समाजवाद का चिराग़ किस से रौशन है। कौन देश के अंधियारे को मिटाने के लिए बेचैन है। किस से दम से हमारी पार्टी है, किस ने तूफानों से समाजवाद की कश्ती बचाई है, कौन है जिस ने हमें चलने का सलीक़ा सीखाया है, कौन है जिस के कारण आज हमारा कारवाँ रवां दवां है, क्या यह किसी को बताने की आवयकता है।
जो नेता जी का सम्मान नहीं करता वो मुख्यमंत्री का भी नहीं करेगा
देश में समाजवाद के कितने दिये जले और बुझ गए परन्तु सपा की शमा आज भी रौशन है, हमारे गारजियन माननीय नेता जी आज भी अपनी ज़िन्दगी का एक एक छण हमारे लिए लगा रहे हैं, हमारी कामयाबी के लिए सौ सौ जतन कर रहे हैं, हमें इन के महत्व को समझना होगा।
जो व्यक्ति आज माननीय नेता जी का अपमान कर रहा है निश्चित रूप से वह कल माननीय मुख्यमंत्री जी का भी अपमान करेगा यह सिर्फ सिर्फ चापलूसी है किसी भी बाहरी व्यक्ति को परिवार के किसी भी मामले में दखल नहीं देना चाहिए।
माननीय मुख्यमंत्री जी ने हमेशा एक आदर्श पुत्र का कर्तव्य बखूबी निभाया है और माननीय नेता जी ने भी एक पिता होने का धर्म निभाया है पिता और पुत्र के बीच में जो प्रेम है वह मैंने करीब से महसूस किया है लेकिन जिस तरह से यह पत्र लिखने का दौर चला है उससे कहीं ना कहीं माननीय नेता जी और माननीय मुख्यमंत्री जी की गरिमा को ठेस पहुंच रही है।
हम सब मान्य मुख्यमंत्री जी वह पूरा समाजवादी परिवार नेताजी के साथ है परिवार में कोई भी कलह या गुटबाजी नहीं है माननीय मुख्यमंत्री जी खुद स्पष्ट कर चुके हैं कि माननीय नेता जी की बात को कौन टाल सकता है हम सब नेताजी की बात को मानेंगे।
पूरा समाजवादी परिवार एक है हमें नेताजी के जीवन और संघर्ष से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। मैं फिर कहता हूं कि जो नेता जी का सम्मान नहीं कर सकता वह कल माननीय मुख्यमंत्री जी का भी सम्मान नहीं करेगा।
यह सब चापलूसी में दूसरे को खुश करने वाली तरकीबे हैं। जो बार-बार चिट्ठिया लिखकर नेताजी को नसीहतें दे रहे हैं उनकी हैसियत 500 वोटों की भी नहीं है। आज वह जो भी कुछ हैं नेताजी की बदौलत है और हम सब का सम्मान तभी तक बरकरार है जब तक हमारे नेताओं का सम्मान बरकरार है।
चिट्ठी लिखने वाले नेता पहले इस्तीफा देकर जनता के बीच से चुनकर आएं और तब नसीहतें दे हम सब के पास जो है वह नेता जी के संघर्ष और बलिदानों का परिणाम है इसलिए नेताजी का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
...मचल गए तो शहर ले डूबेंगे
'हम समंदर हैं हमें खामोश रहने दो जरा मचल गए तो शहर ले डूबेंगे'... पार्टी के सभी कायकर्ताओं से अपील है कि खुदारा सपा विरोधी लाबी के बहकवे में न आएं जो आपसी बातचीत को भी कलह का रंग दे रहे हैं, पुरी पार्टी एक है हम सभी लोग मेहनत करे ताकि माननीय अखिलेश ज़ी के नेतृत्व हमारी सरकार बने और विकास के कार्यों को नई रफ़्तार दी जा सके।
याद रखें जिस पेड़ के छांव में हम आज बैठे हैं वो बहुत विशाल है उस की टहनियां बहुत मज़बूत हैं उस के पत्ते बहुत हरे हैं हमें उस पेड़ की क़दर करनी है उस का सम्मान करना है उस के आदर्शों को आगे बढ़ाना है उस तनावर पेड़ का नाम माननीय नेता जी है।
'जुल्मी जब जब जुल्म करेगा सत्ता के गलियारों से जर्रा जर्रा गूंज उठेगा मुलायम सिंह के नारों से'