वजूद बचाने को सपा का गठबंधन राग
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लखनऊ : पारिवारिक कलह में फंसी समाजवादी पार्टी की लोहिया, चरण सिंह व गांधीवादियों को एक मंच पर लाने की कवायद यूं ही नहीं हैं। दरअसल दो फाड़ होने की कगार पर पहुंची सपा को चुनावी सर्वे रिपोर्ट भी डरा रही है। गत लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिले अप्रत्याशित जनसमर्थन के अलावा मुस्लिम वोटरों का बसपा की ओर नजर आते रुझान से भी सपा नेतृत्व के आत्मविश्वास में कमजोरी आई है। साढ़े चार वर्ष तक भारी बहुमत वाली सरकार चलाने के बावजूद सपा नेतृत्व अकेले अपने दम पर चुनावी जंग में उतरने से कतरा रहा है।
बिहार में महागठबंधन तोड़ने वाली समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव को अपनी बारी आने पर उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक ताकतों को रोकने के लिए साझा मोर्चा बनाने की जरूरत दिखने लगी है। खुद मुलायम ने राष्ट्रीय लोकदल प्रमुख अजित सिंह, कांग्रेस प्रभारी गुलाम नबी आजाद और जनतादल यूनाईटेड के नेताओं से फोन पर बातचीत कर महागठजोड़ के लिए मन टटोलना शुरू किया है। पार्टी के रजत जयंती समारोह में शामिल होने का न्योता बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, एचडी देवगौड़ा, अजित सिंह व लालू यादव जैसे नेताओं को भेजा जा रहा है। प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव न्योता देने के लिए दिल्ली में डेरा डाले हैं। बुधवार को जदयू के शरद यादव व केसी त्यागी से वार्ता हुई तो शुक्रवार को राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष अजित सिंह से मुलाकात होगी।
सपा के बिखराव पर नजर : सपा भले ही गठजोड़ के प्रयास में जुटी हो परंतु सहयोगी पार्टी आंतरिक उठापटक पर नजर लगाए है। रालोद के एक राष्ट्रीय पदाधिकारी का कहना है कि लोहिया व चरणसिंह अनुयायियों को एकजुट करने के लिए अजित सिंह गत सितंबर में पत्र लिख चुके है तब सपा की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली। सपा की आंतरिक कलह किस किनारे पहुंचेगी इसके बाद ही असल फैसला होगा।