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इलाहाबाद विश्वविद्यालय में ऑफलाइन के मुद्दे पर घमासान, अनशन पर छात्र

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सभी पाठ्यक्रमों के लिए ऑफलाइन प्रवेश परीक्षा का विकल्प दिए जाने की मांग तथा कुलपति के रवैया से नाराज छात्रसंघ पदाधिकारियों की अगुवाई में छात्रों का घमासान बुधवार को भी जारी रहा। छात्रसंघ अध्यक्ष ऋचा सिंह समेत आठ छात्रों ने छात्रसंघ भवन पर आमरण अनशन शुरू कर दिया है।


इससे पहले कुलपति दफ्तर के सामने अनशन पर अड़े छात्रनेताओं को पुलिस घसीटते हुए ले गई। ऋचा को कई छात्रों ने पकड़ रखा था, लेकिन महिला पुलिस उन्हें भी टांग कर ले गई। इस दौरान पुलिस ने छात्रों पर लाठी भी भांजी। हालांकि, कुछ देर बाद पुलिस लाइन से छात्रों और छात्रनेताओं को छोड़ दिया गया।


इसके बाद दोबारा परिसर में पहुंचे छात्रनेताओं ने छात्रसंघ भवन पर अनशन शुरू कर दिया। अनशन करने वालों में ऋचा के अलावा छात्रसंघ उपाध्यक्ष विक्रांत सिंह, महामंत्री सिद्धार्थ सिंह गोलू, मानस शर्मा, अजीत यादव विधायक, सूर्य प्रकाश मिश्र, सद्दाम, पवन शामिल हैं।


छात्रों के आमरण अनशन की घोषणा के मद्देनजर परिसर तथा आसपास के इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया गया था। आंदोलन के समर्थन में सीएमपी के छात्रों ने भी जानसेनगंज डाट पुल पर रक्सौल एक्सप्रेस को रोक लिया। ट्रेन रोकने वाले छह छात्रों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है।


पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार छात्रों का छात्रसंघ भवन पर जमावड़ा हुआ। बैठक के बाद छात्रसंघ अध्यक्ष की अगुवाई में छात्र कुलपति दफ्तर की ओर बढ़े। वे वहीं अनशन पर अड़े थे। विश्वविद्यालय प्रशासन के अफसरों का कहना था कि वे छात्रसंघ भवन पर अनशन कर सकते हैं। कुलपति दफ्तर पर जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके बावजूद छात्र आगे बढ़े।


पुलिस ने बल प्रयोग किया तो थोड़ी दूर आगे बढ़े छात्र रास्ते में ही अनशन पर बैठ गए। इसे लेकर छात्रों और पुलिस के बीच एक घंटे तक  नूराकुश्ती चली और छात्र डटे रहे। तेज धूप की वजह से अनशन और धरना में शामिल एक छात्र बेहोश हो गया। उसे अस्पताल ले जाया गया।


जिला और पुलिस प्रशासन के अफसर लगातार इस कोशिश में रहे कि कुलपति से इन छात्रों की वार्ता कराई जाए। इस बीच चीफ प्रॉक्टर प्रोफेसर एनके शुक्ला ने कुलपति से मुलाकात भी की, लेकिन कुलपति वार्ता के लिए तैयार नहीं हुए।


अफसरों ने बताया कि कुलपति का कहना है कि वे अब छात्रों से वार्ता नहीं करेंगे। भले ही उन्हें इस्तीफा देना पड़े। पूरे घटना के दौरान छात्रों के बीच उपाध्यक्ष विक्रांत और महामंत्री गोलू मौजूद नहीं थे। उनकी कुलपति से वार्ता चल रही थी।


ऐसे में यह कहा जाता रहा कि दोनों पदाधिकारियों ने खुद को आंदोलन से अलग कर लिया है, लेकिन आखिर में वे भी पहुंच गए। उन लोगों ने कुलपति पर माफीनामा पर जबरदस्ती हस्ताक्षर कराने का आरोप लगाया। उन्होंने कुलपति पर कई अन्य गंभीर आरोप भी लगाए।


इस गतिरोध के बीच कई अन्य छात्रों की तबीयत बिगड़ने लगी। इसके बाद पुलिस ने सख्ती दिखाते हुए छात्रों को उठाना शुरू कर दिया। पुलिस उन्हें घसीटते हुए तथा टांगकर ले गई। विरोध कर रहे छात्रों पर पुलिस ने लाठी भी भांजी। छात्रसंघ अध्यक्ष ऋचा तथा अन्य पदाधिकारियों को छात्र पकड़कर बैठे थे।


पुलिस कर्मियों ने बलपूर्वक उन्हें अलग किया तथा नेताओं को टांगकर और घसीटते हुए ले गई। धरना दे रहे छात्रों को उठाने का यह क्रम तकरीबन आधा घंटा तक चला। पुलिस उन्हें पुलिस लाइन ले गई, लेकिन कुछ देर बाद उनको छोड़ दिया गया।


वहां से छूटने के बाद छात्र फिर छात्रसंघ भवन पहुंचे। छात्रों का एक गुट कुलपति दफ्तर भी पहुंच गया था। उसी समय कुलपति आवास के लिए निकल रहे थे। ऐसे में तनाव बढ़ गया था। हालांकि, फोर्स ने स्थिति संभाल ली। कुलपति को फोर्स की मौजूदगी में आवास पहुंचाया गया।


अनशन पर बैठे छात्रसंघ पदाधिकारियों तथा अन्य छात्रों का कहना था कि मांग पूरी होने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। उनमें कुलपति के व्यवहार को लेकर भी नाराजगी रही। आंदोलन के समर्थन में चंदन सिंह, अखिलेश गुप्ता, राघवेंद्र यादव, सनत मिश्रा, जिया कौनैन रिजवी आदि शामिल रहे।


कुलपति दफ्तर पर किसी तरह का धरना-प्रदर्शन प्रतिबंधित है। छात्रसंघ भवन पर अनशन के लिए उन्हें नहीं रोका गया। छात्रसंघ उपाध्यक्ष और महामंत्री की ओर से दबाव बनाने का कुलपति पर लगाया गया आरोप निराधार है। छात्रों को बहुत समझाया गया कि उनकी मांग उचित नहीं है। वे सुनने के लिए तैयार नहीं हैं और अनशन पर बैठ गए हैं। इसमें कुछ नहीं किया जा सकता। - प्रोफेसर एनके शुक्ला, चीफ प्रॉक्टर, इविवि


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