कोर्ट ने नाना की संस्था को दिलाए डेढ़ लाख
अभिनेता नाना पाटेकर तथा मकरंद अनासपुरे की सेवाभावी संस्था 'नाम' फाउंडेशन इन दिनों न्यायपालिका की चहेती बनी हुई है.
पिछले कुछ महीनों में इस संस्था को दान देने के कई आदेश बॉम्बे उच्च न्यायालय ने दोषियों को सजा के तौर पर दिए हैं.
इस तरह के ताज़ा मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने फिर एक बार इसी तरह के आदेश दिए हैं.
इस आदेश के अनुसार नागपुर के दो व्यक्तियों को उनके ख़िलाफ़ दायर मामला रद्द करने के लिए इस संस्था को डेढ़ लाख रुपए का दान देने को कहा गया है.
जानकारी के अनुसार, मामला वर्ष जनवरी 2014 का है. अंधेरी स्थित निजी सलाहकार महिला ने नागपुर स्थित दो व्यक्तियों के ख़िलाफ़ पुलिस में शिकायत दर्ज की थी.
शिकायत के अनुसार, महिला को मोबाइल फ़ोन पर एक रियल एस्टेट कंपनी की वेबसाइट से अश्लील संदेश आने शुरू हुए.
जब महिला ने इस बारे में पुलिस में शिकायत दर्ज की तो यह सिलसिला कुछ दिनों के लिए बंद हो गया.
लेकिन कुछ दिनों के बाद महिला को अनजान लोगों के फ़ोन आने शुरू हुए, जो यह दावा करते थे के उन्हें यह नंबर एक एडल्ट वेबसाइट से मिला है. इसी तरह, महिला के परिजनों को अनजान लोगों के फ़ोन आने लगे जो यह दावा करते थे की इस महिला के कई लोगों से अनैतिक संबंध हैं.
मामले की गंभीरता को देखते हुए, महिला ने जुलाई 2015 में धारावी पुलिस थाने में शिकायत दर्ज की. इसके बाद पुलिस ने नागपुर के दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया, जिसमें से एक पीड़ित महिला के बहन का पति है. तफ्तीश में पता चला है कि महिला से हुए एक झगड़े का बदला लेने के लिए वह उसे अश्लील संदेश भेजा करता था.
दोनों के ख़िलाफ़ पुलिस ने मामला दर्ज कर अदालत में चार्जशीट दायर की. सुनवाई के दौरान अभियुक्त और महिला के बीच समझौता हुआ, जिसके तहत महिला शिकायत वापस लेने के लिए राजी हो गई.
दोनों पक्षों ने एफ़आईआर रद्द करने के लिए बॉम्बे उच्च न्यायालय में याचिका दायर की.
इस याचिका पर सुनवाई के बाद आदेश जारी करते हुए जस्टिस अभय ओके तथा जस्टिस प्रकाश नाइक के खंडपीठ ने एफ़आईआर रद्द करने के लिए दोनों पक्षों को 'नाम' फाउंडेशन को डेढ़ लाख रुपए का डोनेशन देकर उसकी रसीद अदालत में जमा करने का आदेश दिया.
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