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निशाना तो दूर, बंदूक लोड करने में दरोगा-सिपाहियों का पसीना छूटा

निशाना तो दूर, बंदूक लोड करने में दरोगा-सिपाहियों का पसीना छूटा
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स्वचालित व अत्याधुनिक असलहों से लैस पुलिस के कई दरोगा-सिपाही निशाना तो दूर, बंदूक ही लोड नहीं कर पाते। पुलिस लाइन में शुक्रवार सुबह साप्ताहिक परेड में मातहतों की दशा देखकर एसएसपी राजेश पांडेय हैरत में पड़ गए। उन्होंने विभिन्न थानों के 106 पुलिसकर्मियों को स्वचालित असलहों और ग्रेनेड का अभ्यास कराया तो यह हकीकत सामने आई।

पुलिस लाइन के रिजर्व इंस्पेक्टर (द्वितीय) शिशुपाल सिंह ने बताया कि एसएसपी की साप्ताहिक परेड पर सभी थानों से एक एसआई, एक हेडकांस्टेबल व दो सिपाहियों को कॉल किया गया था। परेड के बाद एसएसपी ने पुलिसकर्मियों से टीयर गैस गन, रबर बुलेट गन, एंटी राइट गन-प्लास्टिक प्लेट गन, पंप एक्शन गन, टू इन वन टीयर गैस ग्रेनेड, चिली बम के बारे में सवाल किए। इस दौरान कई पुलिसकर्मी असलहों को लोड नहीं कर पाए। एसएसपी ने पाया कि पुराने हेडकांस्टेबलों को अत्याधुनिक असलहों का प्रशिक्षण ही नहीं दिया गया था।

एसएसपी ने 135 मीटर तक मार करने वाली टीयर गैस का सेल मातहतों को दिखाते हुए कहा कि फायर करने पर यह दो भागों में बंट जाता है। वहीं रबर बुलेट गन का दो इंच लंबा कारतूस दिखाकर कहा कि इसकी 50 से सौ मीटर तक की मार है। एसएसपी ने कहा कि रबर बुलेट व एंटी राइट गन से कमर के नीचे का निशाना लेकर ही फायर करें क्योंकि रबर की गोली भी नाजुक अंग पर लगने से जान को खतरा हो सकता है।


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रिजर्व इंस्पेक्टर ने अत्याधुनिक असलहों से फायर करके मातहतों को टिप्स दिए। टू-इन-वन टीयर गैस ग्रेनेड और चिली बम दागे गए। इसके बाद पुलिसकर्मियों से फायर कराने के साथ उन्हें गैस मास्क लगाने का अभ्यास कराया गया। अभ्यास में प्रशिक्षु आईपीएस/एएसपी रोहित सजवाड़, रईस अख्तर, रिजर्व इंस्पेक्टर प्रथम अशोक मिश्र, घुड़सवार पुलिस के इंस्पेक्टर ओमवीर सिंह शामिल हुए।
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