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दादरी में रोक के बावजूद महापंचायत, नेता बोले-FIR न हुई तो नतीजों की गारंटी नहीं
नोएडा.दादरी कांड में नई फॉरेंसिक रिपोर्ट आने के बाद बिसहाड़ा गांव में सोमवार को महापंचायत हुई। धारा 144 लागू होने के बावजूद हुई इस महापंचायत में बीजेपी-शिवसेना के नेता शामिल हुए। नेताओं की तरफ से कहा गया कि अखलाक के परिवार पर 20 दिन के अंदर कार्रवाई होनी चाहिए। ऐसा न हुआ तो वे जनता के बढ़ते गुस्से को देखते हुए इसके अंजाम की गारंटी नहीं ले सकते। बता दें कि बीफ पकाने के शक में दादरी में मोहम्मद अखलाक की हत्या हुई थी।
बीजेपी नेता ने कहा- गोहत्या से लोगों में गुस्सा...
- रोक के बावजूद हुई महापंचायत में बीजेपी नेता संजय राणा समेत 50 लोग शामिल हुए। राणा ने कहा कि गोहत्या को लेकर गांव के लोगों में गुस्सा है। इसलिए मामले में कार्रवाई जरूरी है।
- राणा ने दावा किया, ''गांव में किसी तरह का तनाव नहीं है। लेकिन 20 दिन में कार्रवाई नहीं की गई तो जनता के बढ़ते गुस्से की मैं भी गारंटी नहीं ले सकता।''
- उन्होंने कहा, ''अखलाक के परिवार के खिलाफ एफआईआर होनी चाहिए।''
- बता दें कि अखलाक की हत्या के तार राणा के बेटे विशाल से जुड़े हैं।
- नोएडा पुलिस ने कहा है कि हम अखलाक के मर्डर की जांच कर रहे हैं, न कि गोहत्या की। गांव वालों की मांग पर मीट सैम्पल फोरेंसिक लैब भेजे गए थे।
- गांव के लोगों ने यह भी धमकी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो 144 राजपूत गांवों को बुलाकर महापंचायत कराएंगे।
- गाजियाबाद से आए शिवसेना नेता महेश कुमार आहूजा ने कहा, ''यह कानून व्यवस्था की नाकामी है। पुलिस हमारी नहीं सुनती है। अगर किसी शख्स ने गोहत्या की है तो उसे सलाखों के पीछे होना चाहिए। कानून सभी के लिए समान होना चाहिए।''
9 महीने बाद फिर क्यों गरमाया यह मामला?
- बीफ पकाने की अफवाह फैलने के बाद पिछले साल सितंबर में भीड़ ने अखलाक के घर पर हमला बोल दिया था। इसमें उसकी मौत हो गई थी।
- अखिलेश सरकार ने पीड़ित फैमिली को 45 लाख रुपए और फ्लैट देने का एलान किया था।
- अक्टूबर, 2015 में यूपी सरकार ने सैम्पल की जांच कराई थी। तब इसे बकरी या बकरे का मांस बताया था।
- हालांकि, कुछ दिन पहले मथुरा की फोरेंसिक लैब रिपोर्ट सामने आई। इसमें कन्फर्म हुआ कि अखलाक हत्याकांड में लिए मीट के सैम्पल गाय या बछड़े के ही थे।
- इस मामले में दो अलग-अलग रिपोर्ट से कई सवाल उठे हैं।
सैम्पल एक, लेकिन दो अलग-अलग रिपोर्ट?
-दादरी के डीएसपी अनुराग सिंह ने dainikbhaskar.com से बातचीत में साफ किया था कि उस दिन बिसहाड़ा गांव में मीट का सिर्फ एक सैम्पल लिया गया। ये टुकड़ा घर के बाहर जख्मी हालत में मिले अखलाक के नजदीक पड़ा मिला था। इसकी शुरुआती रिपोर्ट एक वेटरनरी डॉक्टर ने तैयार की थी। हालांकि, तब ये मटन जैसा लग रहा था। लेकिन बाद में कन्फर्म जांच के लिए इसे मथुरा फोरेंसिक लैब भेजा गया। यही रिपोर्ट अब सामने आई है।
किसने क्या कहा?
# आदित्यनाथ, बीजेपी सांसद-''नई रिपोर्ट से साफ हो गया है कि सच परेशान हो सकता है, परास्त नहीं। जब घर में गोमांस होने की बात साफ हो गई है तो गोहत्या का केस दर्ज होना चाहिए। मामले में सभी आरोपियों की फौरन रिहाई हो और सरकार अखलाक की फैमिली से पूरा मुआवजा वापस ले।''
# अखिलेश यादव, सीएम यूपी- ''अखलाक के फ्रिज में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला था। सैम्पल उसके घर के बाहर से लिए गए थे। मैं विश्वास दिलाता हूं कि पीड़ित परिवार को इंसाफ मिलेगा। किसके फ्रीज में क्या रखा है, इससे फर्क नहीं पड़ता। कानून के मुताबिक आरोपियों को सजा मिलेगी।''
कोर्ट के आदेश पर पब्लिक हुई नई रिपोर्ट
- दादरी केस के 19 आरोपियों की सुनवाई फिलहाल गौतमबुद्धनगर के फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रही है।
- एक आरोपी के वकील रामशरण नागर ने कोर्ट से मथुरा लैब की रिपोर्ट मुहैया कराने की गुजारिश की थी।
- इसका सरकारी वकील ने विरोध किया, लेकिन कोर्ट ने नई रिपोर्ट पब्लिक करने का फैसला किया।
- अब सोशल मीडिया में जो रिपोर्ट सामने आई है, उस पर जिला कोर्ट की मुहर लगी है।
- नोएडा पुलिस की जांच के दौरान मथुरा फोरेंसिक लैब से मिली रिपोर्ट में गोमांस मिलने का जिक्र हुआ है।
जांच के लिए मथुरा लैब में भेजे गए थे सैम्पल
- दादरी केस की जांच कर रही नोएडा पुलिस ने मीट का सैम्पल मथुरा की फोरेंसिक लैब भेजा था।
- मथुरा लैब की ये रिपोर्ट अप्रैल, 2016 में फास्ट ट्रैक कोर्ट में सबमिट हुई थी।
- कोर्ट से जारी लैब रिपोर्ट मंगलवार को एक अंग्रेजी वेबसाइट पर भी सामने आई है।
इन्टॉलरेंस-बीफ बैन को लेकर लौटाए गए थे अवॉर्ड
- बता दें कि दादरी की घटना को इन्टॉलरेंस और बीफ बैन से जोड़कर लोगों ने काफी विरोध किया था।
- मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए साहित्यकारों और फिल्म मेकर्स समेत कई लोगों ने सरकारी अवॉर्ड लौटाए थे।
- गांव में कई दिनों तक तनाव के हालात रहे थे और पीएसी की कंपनी तैनात करनी पड़ी थी।
- अब सवाल उठ रहा है कि क्या इन्टॉलरेंस का मुद्दा बढ़ाने के लिए दादरी केस से जुड़ा सच दबाया गया।
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