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जज्बे को सलाम : चट्टान काट कर बना दी सड़क


लखनऊ : उत्तर प्रदेश का कालापानी माने जाने वाले सोनभद्र जिले के रेणुकापार के आदिवासी क्षेत्र पनारी ग्राम पंचायत के लोग सरकारी उपेक्षा की अब उलाहना नहीं देते हैं। उपेक्षा को उनकी आदत सी हो गई है।



यहां के दुर्गम चोरपनिया टोला का सरकारी उपेक्षा से चोली दामन का साथ रहा है। यहां शिक्षा की चाह में गुरु जी के लिए आदिवासियों ने 6.5 किलोमीटर लंबी सड़क बना डाली। विद्यालय बनने के बाद यहां शिक्षकों को पहुंचने में दिक्कत हो रही थी। इसे देखकर सभी ग्रामीणों ने खुद ही सड़क निर्माण का फैसला किया।



ग्रामीणों ने नौ सितंबर, 2014 को सड़क निर्माण का बीड़ा उठाया था। प्रत्येक रविवार को गांव के हर घर से एक व्यक्ति श्रमदान करता था।






पहले पगडंडियों को चिह्नित किया गया। अत्यंत दुर्गम ऊंची पहाड़ी पर पथरीली चट्टानों को काटना बहुत बड़ी चुनौती थी, लेकिन चट्टान सा जज्बा दिखाते हुए आदिवासियों को चट्टानों को काटने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई।



22 महीने में ग्रामीणों ने 6.5 किलोमीटर सड़क बनाकर अदम्य साहस की मिसाल पेश की है। अब नई सड़क पर दोपहिया वाहनों के साथ ट्रैक्टर भी जाने लगे हैं। अगले कुछ हफ्तों में सड़क निर्माण का कार्य भी पूरा हो जाएगा। हालांकि इतनी मेहनत के बावजूद इस बरसात में यह गांव पूरी तरह देश दुनिया से कटा ही रहेगा।



शिव ने डाली भगीरथ प्रयास की नींव



युवक शिवकुमार वर्षों तक ओबरा पावर हाउस में अस्थाई मजदूर के तौर पर कार्य करते रहे। जब वह ओबरा की चकाचौंध से जब अपने गांव जाते तो उन्हें लगता कि उनका गांव दूसरी ही दुनिया में है। सड़क, शिक्षा, पानी, चिकित्सा सहित तमाम बुनियादी सुविधाओं से गांव उपेक्षित था।






गांव में प्राथमिक विद्यालय बनवाने में बड़ी भूमिका अदा करने वाले शिव को जब शिक्षकों के आवागमन की दिक्कत दिखी तो वह खुद ही सड़क निर्माण के लिए प्रयास शुरू कर दिए। उपेक्षा से परेशान शिव ने एक दिन खुद ही कुदाल और फावड़ा उठाकर सड़क निर्माण के लिए निकल पड़े, लेकिन उन्हें सरकारी नियमों की मार भी पड़ी। चूंकि ज्यादातर पगडंडियां वन विभाग की भूमि पर थी इसलिए वन विभाग ने उन पर मुकदमा करने का दबाव बनाया लेकिन वह इससे भयभीत नहीं हुए। एकजुट होकर गांव के लोगों के सामने आने से वन विभाग को पीछे हटना पड़ा।

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