आयी भयावह तबाही
BY Anonymous9 Feb 2021 3:23 AM GMT

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Anonymous9 Feb 2021 3:23 AM GMT
आयी भयावह तबाही।
टूटा बनकर जो कहर।।
डूबता गया जीवन।
करता गया खहर।।
बाढ़ और सुखाड़।
सदैव ही हमें डराती।।
छीन लेती खुशियां।
गमगीन कर जाती।।
त्रासदी व अनावृष्टि।
से विदित है संसार।।
हुई स्थिति बदतर।
बेबस और लाचार।।
प्रकृति करती आगाह।
छेड़छाड़ है अपनाया।।
संभलने ना देती।
शायद है चेताया।।
अभय सिंह ....
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