सनातन धर्म के मोहपाश में आबद्ध होकर तीन विदेशी महिलाएं भी रविवार को नागा संन्यासिनी बन गईं
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महाकुंभनगर। सनातन धर्म के मोहपाश में आबद्ध होकर तीन विदेशी महिलाएं भी रविवार को नागा संन्यासिनी बन गईं और मोह-माया से मुक्त होकर जीवन अखाड़े को समर्पित कर दिया। इन महिलाओं में फ्रांस के कोग्नाक टाउन की मरियम, इटली के वेनिस शहर की बंकिया और नेपाल की मोक्षता राय हैं।
श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा ने तीनों को विधि-विधान से संन्यास की दीक्षा दी। उन्हें गंगा स्नान के बाद श्वेत वस्त्र धारण करके मुंडन कराया, फिर पिंडदान करके संन्यासिनी घोषित किया। नया नाम मिलने पर सभी ने भगवा धारण किया।
मरियम को 'कामाख्या गिरी' का नाम मिला
मरियम निजी स्कूल में शिक्षिका थीं, जबकि बंकिया योग सिखाती हैं। संन्यास लेने के बाद मरियम को नया नाम कामाख्या गिरि मिला है। वहीं, बंकिया अब शिवानी भारती बन गई हैं। इसी प्रकार नेपाल की मोक्षिता राय को मोक्षता गिरि नाम मिला है।
कामाख्या बताती हैं कि सात-आठ साल पहले भारत में घूमने आई थीं, तब जूना अखाड़ा के संत सुरेंद्र गिरि से भागलपुर में भेंट हुई। उनकी विद्वता और योग ने उन्हें काफी प्रभावित किया। उनसे लगातार संपर्क बना रहा। धीरे-धीरे सांसारिक चीजों से मन हटकर अध्यात्म से जुड़ गया। इससे संन्यास लेने का निर्णय लिया। उसके लिए महाकुंभ सबसे उपयुक्त स्थान लगा। अब योग और वैदिक ज्ञान का प्रचार-प्रसार जीवन का ध्येय है।
बंकिया को 'शिवानी भारती' नाम मिला
शिवानी भारती कहती हैं कि वर्ष 2012 में जूना अखाड़ा के संत विशम्भर भारती से मुलाकात हुई। लगातार उनसे संपर्क बना रहा। उनका कार्य और व्यक्तित्व मुझे पसंद आया। इसी कारण संन्यास लेने का निर्णय लिया। संन्यास लेने के बाद आंतरिक संतुष्टि की अनुभूति हो रही है। फ्रांस, इटली और नेपाल की महिलाओं ने विधि-विधान से संन्यास लेकर स्वयं का जीवन सनातन धर्म के लिए समर्पित कर दिया है।
श्री दशनामी संन्यासिनी जूना अखाड़ा के अध्यक्ष श्रीमहंत देव्या गिरी ने बताया कि वैदिक परंपरा के अनुरूप पिंडदान करवाकर सबको संन्यास दिलाया गया है। गुरु-शिष्य परंपरा के अनुरूप सबको नया नाम मिला है। वह अखाड़े से जुड़कर सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार करेंगी।