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'इतनी भीड़ थी कि ठंड में भी आ रहा था भंयकर पसीना, भगदड़ हुई और चारों तरफ मची चीत्कार'; महाकुंभ भगदड़ की असली कहानी

इतनी भीड़ थी कि ठंड में भी आ रहा था भंयकर पसीना, भगदड़ हुई और चारों तरफ मची चीत्कार; महाकुंभ भगदड़ की असली कहानी
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कानपुर। मंगलवार रात महाकुंभ में भगदड़ के समय मौजूद लोगों ने आंखों देखा हाल बयां किया। बताया कि संगम तट के पास अचानक भगदड़ मचने से चारों तरफ चीख-चीत्कार मच गई। कुछ लोग इधर-उधर भागने में गिरे और उठ न सके। जिसे जहां जगह मिली उस ओर जान बचाकर शरण ली। सब कुछ एक समय पर व्यवस्थित चल रहा था।

कोई भी हिल तक नहीं पा रहा था

अचानक से बाहर की तरफ से भीड़ का जत्था अंदर प्रवेश करने लगा। बाहर जाने और अंदर आने वाले लोग आमने-सामने आने लगे। कोई इधर जाने लगता था को कोई उधर। ऐसी स्थिति बन जाती की लोग आपस में ही फंसने लगे थे। कोई भी हिल तक नहीं पा रहा था। भीड़ में धक्का-मुक्की होने लगी।

बचने के चक्कर में कुछ लोग भीड़ में नीचे गिरे और उनके ऊपर भी लोग गिरने लगे। इससे लोग दबे और उठ ही नहीं सके। बाद में पुलिस की मदद से लोगों को सुरक्षित स्थानों की तरफ भेजा गया।

कल्याणपुर के केशवपुरम निवासी अधिवक्ता मनीष द्विवेदी ने बताया कि भीड़ में चलने के कारण लोगों को सर्दी में भी भयंकर पसीना आ रहा था। किसी की सांस फूल रही तो कोई भीड़ में बुरी तरह फंसा हुआ था। भीड़ में बस सब भगवान का नाम ले रहे थे। धक्कामुक्की के कारण भगदड़ की स्थिति बनी।

गोविंद नगर के बृजेश सिंह ने बताया कि मंगलवार रात 12 बजे से ही संगम तट की तरफ श्रद्धालुओं की अत्यधिक भीड़ हो गई थी। मैं संगम तट से करीब तीन किमी दूर था। भगदड़ की जानकारी मिलने पर श्रद्धालु कुछ सोच समझ नहीं पा रहे थे। लग रहा था कि वह भी भगदड़ की चपेट में न आ जाएं। हमें गंगा घाट की तरफ भेज दिया गया था।

ग्वालटोली की मंजू पांडेय ने बताया कि भगदड़ के समय वह संगम तट के पास सुरक्षित स्थान पर थीं। उनके पास के स्थान पर भी हांफते, अस्तव्यस्त तरीके से चलते कुछ लोगों की भीड़ पहुंची। इनके चेहरे भगदड़ की स्थिति से निकलने की स्थिति बयां कर रहे थे। भीड़ के कारण वह बुधवार शाम चार बजे के बाद संगम घाट से बाहर निकल सकीं।

पनकी हनुमान मंदिर के महंत श्रीकृष्ण दास ने बताया कि रात 11 बजे से एकदम से संगम क्षेत्र की तरफ श्रद्धालुओं की भीड़ का दवाब बना। इन्हें स्नान कर निकल जाना था, लेकिन रात 12 बजे के बाद मौनी अमावस्था पर स्नान की चाह में यह लोग स्नान कर नहीं निकले। चारों तरफ से भीड़ बढ़ने से बैरीकेडिंग तोड़ दी गई। इससे भगदड़ मची।

भीड़ में मची भगदड़ देख मन घबराया, पर नहीं डिगी आस्था, लगाई पुण्य की डुबकी

बांदा : महाकुंभ स्नान कर महापुण्य प्राप्त करने की इच्छा से प्रयागराज के महाकुंभ नगर पहुंचे श्रद्धालुओं में देर रात हुई भगदड़ के कारण कई श्रद्धालुओं की माैत हो गई। इस भगदड़ में शहर के कई श्रद्धालु भी फंस गये पर किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ।

भगदड़ के दौरान एक दूसरे के ऊपर चढ़ कर निकल रहे लोगों को बचाने की कोशिश की, लेकिन वह बेकाबू भीड़ को रोक नहीं सके। अंत में उन्होंने स्वयं को सुरक्षित करना ठीक समझा। मंजर देख एक बार तो घबराए लेकिन भगवान ने किसी तरह बचाया। करीब आधे घंटे तक मची अफरा तफरी में शहर के श्रद्धालुओं ने स्नान करने के बाद वह अपने शहर पहुंचे। भगदड़ के साक्षी रहे श्रद्धालुओं ने अपनी दास्तां बताई।

प्रयागराज में हुए हादसे के साक्षी रहे शहर के स्वराज कालोनी निवासी विवेक नामदेव ने बताया कि मंगलवार देर रात अचानक से भीड़ बढ़ी कि नियंत्रित करना मुश्किल हो गया। पुलिस कर्मियों ने रोकना चाहा तो भीड़ रुकी नहीं और पीछे से धक्का मुक्की के साथ आगे बढ़ने लगी। अचानक से भगदड़ मच गई।

मन कांप उठा

भगदड़ स्वराज कालोनी निवासी विवेक नामदेव, अभिषेक मिश्रा, पंकज, कैलाशपुरी निवासी दीपक भी फंस गये। भीड़ व भगदड़ से परेशान होकर एक बार तो वहां से बिना स्नान किए लौट आने की इच्छा हुई, लेकिन आस्था व विश्वास कम नहीं हुआ। साथियों के साथ स्नान करने पहुंचे, लेकिन कठिनाई व ऐसी स्थिति देख मन कांप उठा।

लोगों में आस्था व विश्वास ऐसा कि देखते ही बन रहा है। भीड़ इतनी की जगह नहीं, लेकिन श्रद्धा के आगे सब सही चल रहा था। 12 वर्षों में ऐसा स्नान मिलना कठिन होता है। वह अपने साथियों के साथ स्नान किया। - विवेक नामदेव

मन में विश्वास था कि कई वर्षाें बाद ऐसा स्नान पड़ा है। भगवान ऐसा न करे कि बिना स्नान किए वापस जाना पड़े। कई बार वापस लौटने की सोचे लेकिन आस्था ने उनको महाकुंभ स्नान के लिए प्रेरित किया। - अभिषेक मिश्रा

अचानक से मची भगदड़ में चारों ओर से चीख पुकार सुनाई देने लगा। हिम्मत करके कुछ लोगों को भगदड़ से बाहर निकाला लेकिन इतनी भीड़ एक दूसरे के ऊपर से होकर गुजरने से वह भी परेशान व घबरा गए। - दीपक

देर रात हादसा के कारण मन में ऐसा लगा, वापस चले जाए लेकिन महाकुंभ में स्नान कर आस्था की डुबकी लगाई। स्थिति तो बिगड़ी लेकिन वह किसी तरह साथियों के साथ वहां तक पहुंचे और स्नान किया। - पंकज

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