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उत्तर प्रदेश

निरंजनी और महानिर्वाणी में नई सरकार चुनने की कवायद शुरू, सात फरवरी को होगा नामों का एलान

निरंजनी और महानिर्वाणी में नई सरकार चुनने की कवायद शुरू, सात फरवरी को होगा नामों का एलान
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तीसरे अमृत स्नान के बाद अब निरंजनी और महानिर्वाणी अखाड़े में नई सरकार चुनने की कवायद शुरू हो गई है। सात फरवरी को दोनों अखाड़ों में अष्टकौशल के श्री महंतों के नामों का एलान कर दिया जाएगा। इसके लिए अखाड़ों की सभी मढ़ियों में श्री महंत के नाम तय हो रहे हैं। सात फरवरी को अष्टकौशल के चुनाव के साथ ही कढ़ी-पकौड़ी का परंपरागत भोज करके अखाड़े काशी की राह पकड़ लेंगे।


सनातन परंपरा के सभी तेरह अखाड़ों का कुनबा काफी विशाल होता है। खासतौर से शैव अखाड़ों में हजारों साधु-संतों समेत नागा संन्यासियों की भारी फौज होती है। अखाड़ों के पास पूरे देश में मठ-मंदिर समेत करोड़ों की जमीन है। इनको नियंत्रित करने के साथ ही देखरेख की जिम्मेदारी आठ श्री महंतों के समूह अष्टकौशल की होती है। इनका कार्यकाल छह साल रहता है। महाकुंभ आरंभ होने के साथ ही अष्टकौशल भंग हो गया। अब नए सिरे से इनका चुनाव कराया जाएगा।

परंपरा के मुताबिक, तीसरे अमृत स्नान के बाद इनका चुनाव होता है। निरंजनी अखाड़ा सचिव श्री महंत राम रतन गिरि के मुताबिक सभी मढ़ियों से श्री महंतों को प्रतिनिधित्व दिया जाना है। वसंत स्नान के बाद इसकी प्रक्रिया आरंभ हो गई है। अब सात फरवरी को अष्टकौशल के नामों का एलान होगा। इसके साथ ही नई कार्यकारिणी गठित हो जाएगी। महानिर्वाणी अखाड़ा सचिव श्री महंत यमुनापुरी का कहना है कि सात फरवरी को अखाड़े काशी के लिए रवाना हो जाएंगे।

जूना अखाड़े का काशी में होगा चुनाव

जूना अखाड़े के अष्टकौशल और सचिव का चुनाव काशी में होगा। जूना अखाड़े की कार्यकारिणी का कार्यकाल महज तीन साल का होता है जबकि निरंजनी और महानिर्वाणी अखाड़े का कार्यकाल छह साल के लिए होता है। जूना अखाड़े की नई कार्यकारिणी गठित होने के साथ ही सचिव को भी काशी में ही नई जिम्मेदारी दी जाएगी।

संन्यासियों की रवानगी काशी के लिए होगी

सात फरवरी को नए अष्टकौशल की उपस्थिति में परंपरागत कढ़ी-पकौड़ी का कार्यक्रम होगा। इसके साथ ही नवनिर्वाचित अष्टकौशल महंत छावनी की धर्म ध्वजा की तनियां सांकेतिक रूप से ढीली करके अखाड़ों के आगे प्रस्थान करने का संकेत देंगे। उसके बाद संन्यासियों की रवानगी काशी के लिए होगी। निरंजनी और महानिर्वाणी अखाड़े अपने देव भाल प्रयागराज स्थित मुख्यालय में स्थापित करेंगे और ईष्ट देव के साथ होली तक काशी में प्रवास करेंगे। महाशिवरात्रि स्नान के बाद बाबा विश्वनाथ के साथ होली खेलने के बाद संन्यासियों का कुंभ प्रवास पूर्ण माना जाएगा। होली के बाद ही सभी संन्यासी अपने-अपने स्थानों को लौटेंगे।

52 मढ़ियों का प्रतिनिधित्व

रमता पंच व श्री महंत चार वेदों के ज्ञाता होते हैं। आनंदवार व भूरवार संप्रदाय को मिलाकर बने आनंद अखाड़ा में दोनों के दो-दो श्री महंत होते हैं। इतने ही रमता पंच होते हैं। इनका चुनाव छह वर्ष में होता है। अखाड़े में 52 मढ़ियों के संत हैं। श्री निरंजनी अखाड़ा के साथ इनका शिविर लगता है। बाेलचाल में यह निरंजनी अखाड़ा का छोटा भाई कहा जाता है। आनंद अखाड़े के वर्तमान आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरि हैं।

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