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उत्तर प्रदेश

कांग्रेस ने आजादी के तुरंत बाद संविधान निर्माताओं की भावनाओं का अनादर किया- पीएम

कांग्रेस ने आजादी के तुरंत बाद संविधान निर्माताओं की भावनाओं का अनादर किया- पीएम
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि राष्ट्रपति ने विस्तार से चर्चा की है, देश को आगे की दिशा भी दिखाई है. राषट्रपति जी का अभिभाषण प्रेरक भी था, प्रभावी भी था और हम सबके लिए भविष्य के काम पर मार्गदर्शक भी था. इसे जिसने जैसा समझा, वैसे समझाया. सबका साथ, सबका विकास पर यहां बहुत कुछ कहा गया. इसमें कठिनाई क्या है. ये तो हम सबका दायित्व है. जहां तक कांग्रेस का सवाल है, उनसे इसके लिए कोई अपेक्षा करना बहुत बड़ी गलती हो जाएगी. ये उनकी सोच, समझ के बाहर है और रोडमैप में भी सूट नहीं करता. इतना बड़ा दल एक परिवार के लिए समर्पित हो गया है. उसके लिए ये संभव ही नहीं है. कांग्रेस के मॉडल में फैमिली फर्स्ट सर्वोपरि रहा है. देश की जनता ने हमें तीसरी बार लगातार सेवा का मौका दिया. ये बताता है कि देश की जनता ने हमारे विकास के मॉडल को परखा है, समझा है और समर्थन दिया है. हमारा ये मॉडल एक शब्द में कहना हो तो कहूंगा- नेशन फर्स्ट. इसी उम्दा भावना के साथ वाणी-वर्तन, नीतियों में इसी एक बात को मानदंड मानकर सेवा करने का प्रयास किया है.

पीएम मोदी ने कहा कि लंबे समय तक देश को तराजू पर तौलने का कोई अवसर ही नहीं मिला था कि अल्टरनेट मॉडल क्या हो. 2014 में हमने देश को अल्टरनेटिव मॉडल दिया. जनता ने हमारे मॉडल को मंजूर किया. हमने तुष्टिकरण नहीं, संतुष्टिकरण का मॉडल दिया है. कांग्रेस का तरीका होता था कि जब चुनाव आए तब छोटे तबके को कुछ दे देना और बाकियों को तरसते देखना. झुनझुना बांटना, लोगों की आंखों पर पट्टी बांधकर अपनी सियासत को चलाए रखना. इनकी नजर वोट की खेती पर होती थी. हमारी कोशिश रही है कि भारत के पास जो भी संसाधन हैं, उनका ऑप्टिमम यूटिलाइजेशन किया जाए. जो समय है, उसको भी बर्बादी से बचाकर के पल-पल का उपयोग जनकल्याण के लिए, देश की प्रगति के लिए खर्च हो. इसलिए हमने सैचुरेशन की अप्रोच अपनाई. जो योजना बने, जिनके लिए बने, उनको वो शत-प्रतिशत बेनिफिट होना चाहिए. हम इस बदलाव को हल्के रूप में अनुभव करने लगे हैं. हमारी सरकार ने एससी-एसटी एक्ट को मजबूत बनाकर दलित-आदिवासी समाज के प्रति सम्मान भी दिखाया, प्रतिबद्धता भी दिखाई. आज जातिवाद का जहर फैलाने के लिए भरपूर प्रयास हो रहा है.

पीएम मोदी ने ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा दिए जाने का जिक्र किया और कहा कि हमारे लिए इनका मान-सम्मान भी उतना ही महत्वपूर्ण है. देश में जब-जब आरक्षण का विषय आया, उसको एक तंदुरुस्त तरीके से सत्य को स्वीकार करते हुए करने का प्रयास नहीं हुआ. दुश्मनी पैदा करने वाले तरीके अपनाए गए. पहली बार हमारी सरकार ने एक ऐसा मॉडल दिया कि हमने सामान्य वर्ग के गरीब को 10 फीसदी आरक्षण दिया, बिना तनाव के, बिना किसी का छीने. एससी-एसटी, ओबीसी ने भी इसका स्वागत किया. किसी को भी पेट में दर्द नहीं हुआ. करने का तरीका था. पूरे राष्ट्र ने इस बात को स्वीकार किया. हमारे देश में दिव्यांगों की सुनवाई उतनी नहीं हुई, जितनी होनी चाहिए थी. हमने दिव्यांगों के लिए आरक्षण का विस्तार किया, सुविधाएं उपलब्ध हों, इसके लिए मिशन मोड में काम किया. योजनाएं बनाईं और लागू भी किया. ट्रांसजेंडर कम्युनिटी के अधिकारों को लेकर प्रमाणिकता पूर्वक प्रयास किया. सबका साथ, सबका विकास के मंत्र को हम कैसे जीते हैं, हमने उस उपेक्षित वर्ग की ओर भी बड़ी संवेदना के साथ देखा. नारी शक्ति के योगदान को कोई नकार नहीं सकता. उनको अवसर मिले तो देश की प्रगति में और गति आ सकती है. हमने ही, इस सदन का पहला निर्णय हुआ, ये नया सदन रूप-रंग के लिए नहीं, इसका पहला निर्णय था नारी शक्ति वंदन अधिनियम. हम इसका उपयोग हमारी वाहवाही के लिए भी उपयोग कर सकते थे, पहले भी होता था. लेकिन हमने मातृशक्ति की वाहवाही के लिए इसका उपयोग किया.

पीएम मोदी ने कहा कि बाबा साहब के प्रति कांग्रेस को कितनी नफरत थी, कितना गुस्सा था, इसके प्रमाण हैं. बाबा साहब को दो-दो बार चुनाव हराने के लिए क्या कुछ नहीं कहा गया. बाबा साहब को कभी भारत रत्न के योग्य नहीं समझा गया. इस देश के लोगों ने बाबा साहब की भावना का आदर किया, सर्व समाज ने किया. तब आज मजबूरन कांग्रेस को जय भीम बोलना पड़ रहा है. उनका मुंह सूख जाता है. ये कांग्रेस भी रंग बदलने में बड़ी माहिर लग रही है. कितनी तेजी से अपना नकाब बदल देते हैं, ये इसमें साफ-साफ नजर आ रहा है. अब कांग्रेस का अध्ययन करेंगे तो इसकी राजनीति जैसे हमारा मूल मंत्र सबका साथ, सबका विकास, वैसे ही उनका रहा दूसरे की लकीर छोटी करना. इसके कारण उन्होंने सरकारों को अस्थिर किया, किसी भी राजनीतिक दल की सरकार कहीं बनी तो उसे अस्थिर कर दिया. इसी काम में वो लगे रहे. ये जो उन्होंने रास्ता चुना है न, लोकसभा के बाद भी जो उनके साथ थे, वे भी भाग रहे हैं. यही उनकी नीतियों का परिणाम है कि आज कांग्रेस का ये हाल हो गया है. देश की सबसे पुरानी पार्टी, आजादी के आंदोलन से जुड़ी पार्टी, इतनी दुर्दशा. अगर वे अपनी लकीर लंबी करने में मेहनत करने न तो इतनी दुर्दशा नहीं होती. बिना मांगे सलाह देता हूं, अपनी लकीर लंबा करने में मेहनत करेंगे तो देश कभी न कभी 10 मीटर दूर यहां आने का अवसर देगा.

पीएम मोदी ने बाबा साहब को कोट करते हुए कहा कि उन्होंने दलित-आदिवासियों के साथ अन्याय का उपाय बताया था. बाबा साहब ने देश में औद्योगीकरण को बढ़ावा देने की मांग की थी और कहा था कि कृषि देश में एससी-एसटी के लिए आजीविका का साधन बन ही नहीं सकती. वे औद्योगीकरण को उत्थान का सबसे महत्वपूर्ण हथियार मानते थे. कांग्रेस के पास इतने साल सत्ता रही तब भी उन्हें बाबा साहब के विचारों पर गौर करने का भी समय नहीं था. बाबा साहब के विचारों को कांग्रेस ने पूरी तरह से खारिज कर दिया. बाबा साहब एससी-एसटी का उत्थान चाहते थे. कांग्रेस ने उसे गहरा संकट बना दिया. हमने 2014 में इस सोच को बदला और स्किल डेवलपमेंट, इंक्लूजन और फाइनेंशियल ग्रोथ पर जोर दिया. हमने पीएम विश्वकर्मा योजना शुरू करके समाज के लोहार, कुंभार, सुनार को ट्रेनिंग देना, नए औजार देना, आर्थिक सहायता देना, बाजार उपलब्ध कराना, इन सबके लिए अभियान चलाया हुआ है. इस तबके की ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया. समाज नियंता में जिसका रोल है, हमें उस विश्वकर्मा समाज की चिंता है. हमने मुद्रा योजना के तहत बिना गारंटी के लोन देने का अभियान चलाया और बड़ी सफलता मिली. हमने स्टैंडअप योजना बनाई जिसका मकसद एससी-एसटी समाज के लोग और किसी भी समाज की महिला को एक करोड़ का लोन बिना गारंटी के. अब हमने इसे डबल कर दिया है. हर कारीगर का सशक्तिकरण, हर समुदाय का सशक्तिकरण और बाबा साहब के सपने को पूरा करने का कार्य हमने मुद्रा योजना से किया है. जिसको किसी ने नहीं पूछा, उसे मोदी पूजता है. गरीब वंचित का कल्याण हमारी प्राथमिकता है. इस वर्ष के बजट में भी लेदर, फुटवियर इंडस्ट्री जैसे छोटे क्षेत्रों को हमने स्पर्श किया है जिसका लाभ गरीब-वंचित समाज को मिलने वाला है. खिलौने की बात करें, इस प्रकार के लोग ही इस काम में हैं. बहुत से लोगों को इस काम में मदद दी गई और इसका परिणाम ये है कि हम इसे इंपोर्ट करने की आदत में फंसे थे, आज हम तीन गुना एक्सपोर्ट कर रहे हैं. इसका फायदा गरीब लोगों को मिल रहा है. हमने मछुआरे साथियों के लिए अलग मंत्रालय बनाया और केसीसी के सारे बेनिफिट्स भी दिए. मत्स्य उत्पादन बढ़ा है.

पीएम मोदी ने कहा कि जिनको जातिवाद का जहर फैलाने का नया-नया शौक लगा है, हमारे देश के आदिवासी समाज के लोग ऐसे उपेक्षित रहे हैं, उनकी बारीकियों को जानें तो दिल दहलाने वाला है. राष्ट्रपति जी उस समाज को निकट से जानती हैं. आदिवासी समाज में भी जो बिखरे हुए लोग हैं, उनको विशेष रूप से योजना में लाने का प्रयास हुआ. हमने पीएम जनमन योजना बनाई और 24000 करोड़ रुपये दिये कि पहले वे आदिवासी समाज की बराबरी पर तो पहुंचें. अलग-अलग भूभाग में भी बहुत इलाके हैं जहां पिछड़ापन है. जैसे सीमावर्ती गांव. हमने बदल दिया और तय किया कि सीमा पर जो लोग हैं, वो पहले. सूरज की किरण जहां पहले आती है और जहां आखिरी किरण जाती है, उसे प्रथम गांव का दर्जा दिया और विशेष योजना बनाकर काम किया. हमने मंत्रियों को ऐसे गांवों में भेजा था और वे रुके थे वहां और समस्याएं समझने का प्रयास किया था. हम ऐसे गांवों के प्रधानों को 26 जनवरी और 15 अगस्त को मेहमान बनाकर बुलाते हैं. वाइब्रेंट विलेज योजना सुरक्षा के लिए भी उपयोगी साबित हो रही है. इसे भी बल दे रहे हैं. राष्ट्रपति जी ने गणतंत्र के 75 वर्ष पूरे होने के मौके पर संविधान निर्माताओं से प्रेरणा लेने का भी आग्रह किया है. हम उसी से प्रेरणा लेते हुए आगे बढ़ रहे हैं. कुछ लोगों को लगता होगा कि यूसीसी-यूसीसी क्या लाए हैं, जब संविधान सभा की डिबेट पढ़ेंगे तब पता चलेगा कि हम उनकी भावनाओं पर ही चल रहे हैं. संविधान निर्माताओं से प्रेरणा लेना चाहिए था लेकिन ये कांग्रेस है जिसने आजादी के तुरंत बाद ही उनकी भावनाओं की धज्जियां उड़ा दी थीं. जब देश में चुनी गई सरकार नहीं थी, तब जो बैठे थे महाशय, उन्होंने संविधान में संशोधन कर दिया आते ही. चुनी हुई सरकार आने तक का भी इंतजार नहीं किया. किया क्या उन्होंने, फ्रीडम ऑफ स्पीच को कुचला. अखबारों पर लगाम लगाई और डेमोक्रेट का टैग लगाकर घूमते रहे दुनिया में. ये संविधान की भावना का पूरी तरह अनादर था. नेहरू जी प्रधानमंत्री थे, पहली सरकार थी और मुंबई में मजदूरों की एक हड़ताल हुई. उसमें मजरूह सुल्तानपुरी ने एक कविता गाई थी, कॉमनवेल्थ का दास है, इसके जुर्म में नेहरू जी ने उन्हें जेल भेज दिया. बलराज साहनी एक जुलूस में शामिल हुए थे, उन्हें जेल में बंद कर दिया गया था. लता मंगेशकर के भाई हृदयनाथ मंगेशकर ने वीर सावरकर पर एक कविता आकाशवाणी पर प्रसारित करने की योजना बनाई, उन्हें आकाशवाणी से बाहर कर दिया गया. देश ने इमरजेंसी का दौर भी देखा है. देवानंद ने इमरजेंसी को सपोर्ट नहीं किया तो उनकी फिल्में बैन करा दीं.

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