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उत्तर प्रदेश

आगरा : हिरासत में मौत पर इंस्पेक्टर लाइन हाजिर, तीन दारोगा निलंबित, पीड़ित परिवार को इंसाफ की मांग

आगरा : हिरासत में मौत पर इंस्पेक्टर लाइन हाजिर, तीन दारोगा निलंबित, पीड़ित परिवार को इंसाफ की मांग
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आगरा। पुलिस हिरासत में आटा चक्की मालिक की मौत के मामले में पुलिस गंभीर आरोपों में घिरी है। पुलिस आयुक्त जे रविन्दर गौड ने शुक्रवार को इंस्पेक्टर डौकी तरुण धीमान को लाइन हाजिर कर दिया। वहीं चौकी प्रभारी कबीस सिद्धार्थ चौधरी और एसआइ शिवमंगल व रामसेवक को निलंबित कर दिया गया है।

वे पुलिसकर्मियों पर मुकदमा, पीड़ित परिवार को मुआवजा और बेटे को सरकारी नौकरी दिए जाने की मांग पर अड़े रहे। ऐसे में 24 घंटे बाद पोस्टमार्टम हो सका। तनाव की स्थिति को देखते हुए पोस्टमार्टम हाउस और गांव में पुलिस फोर्स तैनात रहा।

डौकी के गांव गढ़ी हीसिया के रहने वाले केदार सिंह को पुलिस गुरुवार दोपहर दो बजे घर से पुलिस चौकी कबीस लाई थी। पुलिस चौकी में केदार सिंह की मौत के बाद स्वजन और ग्रामीणों ने हंगामा किया। उनका आरोप था कि पुलिसकर्मियों ने केदार सिंह से मारपीट की थी। इसके बाद ही उनकी मृत्यु हुई है।

गुस्साए लोगों ने लखनऊ एक्सप्रेस वे पर दो घंटे तक जाम लगाए रखा। भाजपा सांसद राजकुमार चाहर और कैबिनेट मंत्री बेबीरानी मौर्य ने इसको लेकर नाराजगी व्यक्त की। दोनों ने पुलिस आयुक्त से बात कर दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई को कहा।

कैबिनेट मंत्री ने प्रमुख सचिव गृह को भी फोन किया। शुक्रवार को पुलिस आयुक्त ने इंस्पेक्टर डौकी तरुण धीमान को निलंबित कर दिया और डीसीपी पूर्वी अतुल शर्मा ने चौकी प्रभारी समेत तीन दारोगा निलंबित कर दिए। इसके बाद भी स्वजन का गुस्सा शांत नहीं हुआ। पोस्टमार्टम हाउस पर सैकड़ों लोग जुटे रहे।

उन्होंने केदार सिंह के परिवार को एक करोड़ रुपये मुआवजा, बेटे को सरकारी नौकरी व पत्नी को पेंशन के साथ ही पुलिसकर्मियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग की। स्वजन ने शाम को पांच बजे तक पंचनामा पर हस्ताक्षर नहीं किए।

बमुश्किल पंचनामा पर केदार सिंह के बेटे व एक रिश्तेदार ने हस्ताक्षर किए। इसमें दो अन्य लोगों के हस्ताक्षर को लेकर स्वजन भड़क गए। उनका कहना था कि पुलिस ने पंचनामा में एक दलाल से हस्ताक्षर करा लिए हैं। पंचनामा में हिरासत में मौत का भी जिक्र नहीं किया गया है।

अधिकारियों ने उन्हें समझाकर शाम पांच बजे बाद डाक्टरों के पैनल से पोस्टमार्टम करा दिया। इसके बाद स्वजन ने शव को गांव में ले जाकर रख लिया। शाम सात बजे पुलिस की मौजूदगी में केदार सिंह का अंतिम संस्कार हो सका।

पुलिस आयुक्त जे रविन्दर गौड़ का कहना है कि मामले में प्रथमदृष्टया पुलिसकर्मियों को दोषी पाया गया है। वे बिना किसी नोटिस के केदार सिंह को पुलिस चौकी लेकर आए थे। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मारपीट की पुष्टि होने पर तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज किया जाएगा। प्रकरण की जांच आइपीएस अधिकारी के नेतृत्व में कराई जाएगी।

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