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उत्तर प्रदेश

बिजली निजीकरण के विरोध में राष्ट्रव्यापी हड़ताल का एलान

बिजली निजीकरण के विरोध में राष्ट्रव्यापी हड़ताल का एलान
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इससे पहले उत्तर प्रदेश में चल रही निजीकरण की प्रक्रिया के विरोध में समिति के राष्ट्रीय पदाधिकारी चार रैली करेंगे। कोआर्डिनेशन कमेटी ने आल इंडिया ट्रेड यूनियनों की मई में होने वाली हड़ताल के दिन भी देश भर में काम बंद रखने का निर्णय भी लिया है।

देशभर में किया जाएगा प्रदर्शन

एनसीसीओईईई के नागपुर में हुए राष्ट्रीय सम्मेलन में उप्र राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ के महासचिव जितेन्द्र सिंह गुर्जर और बिजली कर्मचारी संघ के प्रमुख महासचिव महेन्द्र राय ने प्रदेश में चल रही निजीकरण की प्रक्रिया कर्मियों के आंदोलन की जानकारी दी।

एनसीसीओईईई की आमसभा में पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि मुनाफे में चल रहे चंडीगढ़ के बिजली विभाग का जिस तरह निजीकरण किया गया, वह बेहद आपत्तिजनक है। सम्मेलन में पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि निजीकरण कर्मचारियों के हित में तो है ही नहीं, साथ ही बिजली उपभोक्ताओं के लिए सबसे अधिक घातक है।

केंद्र और राज्य सरकारों से बिजली का निजीकरण तत्काल वापस लेने की मांग की गई। सम्मेलन को आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे, महासचिव पी. रत्नाकर राव, आल इंडिया फेडरेशन आफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज के मोहन शर्मा, कृष्णा भोयूर, इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज फेडरेशन आफ इंडिया के प्रशांत चौधरी, सुभाष लांबा, आल इंडिया पावर मेन्स फेडरेशन के समर सिन्हा, भारतीय किसान मोर्चा के बीजू कृष्णा, कामगार एकता मंच के गिरीश भावे ने संबोधित किया।

बिजल कंपनियों में कंसल्टेंट चयन की शर्तों को बनाया गया आसान

बिजली कंपनियों के निजीकरण के लिए कंसल्टेंट चयन के लिए चल रही टेंडर प्रक्रिया में तकनीकी बिड खुलने की तिथि को दूसरी बार आगे बढ़ाया गया है। तकनीकी बिड को अब 18 फरवरी के बजाय तीन मार्च को खोला जाएगा।

कंसल्टेंट चयन के टेंडर की शर्तों को आसान बनाते हुए प्रक्रिया में हिस्सा ले रही कंपनियों के सालाना न्यूनतम टर्नओवर को 500 करोड़ रुपये से घटाकर 200 करोड़ रुपये किया गया है। कान्फ्लिक्ट आफ इंटरेस्ट (हितों के टकराव) के नियम को भी शिथिल कर दिया गया है।

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