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उत्तर प्रदेश

स्वर्ण जयंती सम्मान समारोह व अभा मुशायरा : मुमताज पीजी कॉलेज

स्वर्ण जयंती सम्मान समारोह व अभा मुशायरा : मुमताज पीजी कॉलेज
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शैक्षिक संस्थान संस्कार भी देते हैं : ब्रजेश पाठक

"जो कर चुका कत्ल अच्छा हो नहीं सकता"

पूर्व छात्र हसन कमाल, इब्राहिम अल्वी व मुनव्वर अंजार सम्मानित

लखनऊ, 23 फरवरी। 'मुशायरे और कवि सम्मेलन बहुत कुछ सिखाते हैं और मुमताज़ कालेज जैसे शैक्षिक संस्थान संस्कार देने का काम भी करते हैं।'

ये उद्गार उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने मुमताज पीजी कॉलेज के स्वर्ण जयंती आयोजनों के अंतर्गत हुए अखिल भारतीय मुशायरा व सम्मान समारोह में व्यक्त किये। उन्होंने कालेज से पुराना रिश्ता बताते हुए कहा कि विश्वविद्यालय के दिनों में टहलते टहलते यहां तक आ जाते थे‌ उन्होंने कहा कि कालेज की मांग के अनुरूप वे प्रशासनिक भवन के लिए कोशिश करेंगे। इस मौके पर उन्होंने पूर्व छात्रों के तौर पर शायर व गीतकार हसन कमाल, साहित्यकार अहमद इब्राहिम अल्वी और प्रो.उमा पांडेय का सम्मानित किया। पूर्व छात्र अंतरराष्ट्रीय जूडो रेफरी मुनव्वर अंजार को अंगवस्त्र व स्मृति चिह्न देकर सम्मानित करते हुए हसन कमाल ने कहा- मुमताज़ कालेज नहीं होता तो मैं शायर नहीं होता। मुमताज़ स्कूल मेरे लिए यादों का खजाना है। यहां पहले यतीमों का घर था, साथ में पढ़ाई भी होती थी। यहां जो अवार्ड मिला वो नोबेल पुरस्कार जैसा लगा, मेरे छोटों ने मेरा सम्मान किया। मुशायरे को नज़र में रखते हुए उन्होंने : न तो नाज है न नियाज है नज्म सुनाने के साथ पढ़ा- अभी चुप हूं रहूँगा चुप हमेशा, ऐसा हो नहीं सकता

मेरा यार भी वाकिफ है कि ऐसा हो नहीं सकता। बदल लें भेस चाहे लहजा खुशनुमा कर ले

जो कर चुका कत्ल अच्छा हो नहीं सकता।

मोहन मीकिन रोड डालीगंज परिसर में चले समारोह में कॉलेज के प्रबंधक सैयद अतहर नबी एडवोकेट ने कालेज संचालित करने वाली अंजुमन इस्लामुल मुस्लिम द्वारा अतिथियों का स्वागत करते हुए 50 साला जश्न के इस आयोजनों के बारे में बताया कि शिक्षा पर राष्ट्रीय सेमिनार के बाद कालेज, माता-पिता और तहजीब के गहवारे लखनऊ का मान बढ़ाने वाले ऐसे पूर्व छात्रों को सम्मानित करते हुए हम सबको गर्व महसूस हो रहा है। आगे और भी खेल कूद और ड्रामा आदि के अदबी आयोजन होंगे‌।

मुशायरे की शमा अंजुमन इस्लाहुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष मुहम्मद सुलेमान ने रौशन की। अंजुमन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सैयद हुसैन एडवोकेट की सदारत और नदीम फर्रुख की निजामत में देर रात तक चला।

शायरा शबीना अदीब ने नज़्म पढ़ने से पहले मिसरे में कहा- अंधेरे की हर एक साजिश यहां नाकाम हो जाए, उजाले हर तरफ हों रोशनी का नाम हो जाए, मेरी कोशिश तो नफरत को दिलों से दूर करना है, मेरा मकसद है दुनिया में मोहब्बत आम हो जाए।

फारुख आदिल ने नसीहत दी- दश्त में गुल खिलाओ तो जानें

दर्द में मुस्कुराओ तो जानें, जिसका नशा उतर न पाए कभी ऐसा

जाम पिलाओ तो जानें

बाप के दम पे ऐश करते हो, चार पैसे कमाओ तो जानें, वादा करना तुम्हारी आदत है

वादा करके निभाओ तो जानें।

जीनत एहसान ने सुनाया- एक कैदी ने पुलिस वाले को डसा, कैदी तो बच गया पुलिस वाला चल बसा, ये खबर सुनके थानेदार ने कैदी से पूछा कहां से ये फन सीखा है,

कैदी बोला खुद से चल के नहीं ये तर्जे सुखन आया है, नेताओं के पैर दाबे हैं तो ये फन आया है।

मुशायरे में ताहिर फराज, मंजर भोपाली, एहसान कुरैशी, जौहर कानपुरी, अज्म शाकिरी, इकबाल अशहर, वासिफ फारुकी, डॉ.हरिओम, हसन काज़मी, हामिद भुसावली, उम्र फारुकी, जिया कादरी, निकहत अमरोहवी के साथ ही डा.तारिक कमर, सैफ बाबर, मनीश शुक्ला, उस्मान मिनाई, पपलू लखनवी और फारूक आदिल इत्यादि शोअरा अपना कलाम प्रस्तुत करने के लिये आमंत्रित थे। समारोह में कालेज के सचिव बिलाल नूरानी, अन्य पदाधिकारी, शिक्षक, विद्यार्थी और बड़ी तादाद में श्रोता उपस्थित थे।

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