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उत्तर प्रदेश

सबसे बड़े सनातन समागम में बने कीर्तिमान, यूरोपीय देशों की आबादी से भी अधिक लोगों ने किया अमृत स्नान

सबसे बड़े सनातन समागम में बने कीर्तिमान, यूरोपीय देशों की आबादी से भी अधिक लोगों ने किया अमृत स्नान
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प्रयागराज में 13 जनवरी को शुरू हुए महाकुंभ 2025 का 45 दिन बाद 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के अमृत स्नान के साथ अंत हो गया। 45 दिनों में संगम में डुबकी लगाने की पावन कामना लिए 66 करोड़ से अधिक लोग प्रयागराज पहुंचे। यह आयोजन अपने आप में कितना विशाल था, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यूपी सरकार ने महाकुंभ की अवधि के लिए श्रद्धालुओं की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए महाकुंभ क्षेत्र को अलग जिला तक घोषित कर दिया। चार हजार हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में फैले इस महाकुंभ नगर के 25 सेक्टरों में हर वो व्यवस्था की गई, जिससे प्रयागराज पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को कोई दिक्कत न हो।


महाकुंभ का आयोजन खत्म होने के साथ ही श्रद्धालुओं का प्रयागराज से लौटना जारी है। हालांकि, बीते 45 दिनों में कई ऐसी चीजें देखने को मिलीं, जो कि भक्तों के दिलों में लंबे समय तक ताजी रहेंगी। फिर चाहे वह शाही स्नानों के बावजूद प्रयागराज में हर दिन करोड़ों लोगों के जुटने और इसके चलते जाम की स्थिति पैदा होने की घटनाएं हों या महाकुंभ में एक के बाद एक बाबाओं के वायरल होने की।

आइये जानते हैं महाकुंभ के ऐसे बड़े मौके, जिन्हें जनता लंबे समय तक याद करेगी...

1. महाकुंभ में 45 करोड़ के जुटने का अनुमान, 66 करोड़ पहुंचे

छह हफ्तों तक प्रयागराज में जारी रहे महाकुंभ में शायद ही कभी मेला क्षेत्र में भीड़ में कमी देखी गई हो। यूपी सरकार ने अनुमान लगाया था कि 45 दिनों के आयोजन में 45 करोड़ से 50 करोड़ लोग प्रयागराज में स्नान के लिए आ सकते हैं। हालांकि, ताजा आंकड़ों की मानें तो इन 45 दिनों में 66 करोड़ से ज्यादा लोग प्रयागराज पहुंचे। एक औसत के लिहाज से देखा जाए तो हर दिन करीब 1.5 करोड़ लोगों ने संगम में स्नान किया।

2. भीड़ के चलते जबरदस्त जाम की स्थिति से भी दो-चार हुए लोग

महाकुंभ में भारी भीड़ आने का अनुमान पहले से ही था। हालांकि, अमृत स्नानों के दौरान देश के सभी कोनों से भक्तों की भारी भीड़ प्रयागराज पहुंचने लगी। नतीजा यह हुआ कि फ्लाइट्स से लेकर ट्रेनें और बसों तक में भारी भीड़ देखने को मिली। रेलवे का ही आंकड़ा ले लें तो प्रयागराज के लिए करीब 15 हजार ट्रेनें चलीं। इनमें करोड़ों नागरिक बैठकर महाकुंभ में स्नान के लिए पहुंचे। इससे जुड़ी कई तस्वीरें काफी वायरल भी हुईं।

दूसरी तरफ महाकुंभ क्षेत्र में पार्किंग के लिए बेहतरीन व्यवस्था होने के बावजूद अलग-अलग मौकों पर जबरदस्त जाम की स्थिति देखी गई। फिर चाहे लखनऊ को प्रयागराज से जोड़ने वाला मार्ग हो या कानपुर से या मध्य प्रदेश के रीवा से जोड़ने वाला मार्ग। हर राजमार्ग और सड़क पर जाम की स्थिति दिखी। हालांकि, प्रशासन की चुस्ती के बाद शाही स्नान के दौरान स्थिति काफी हद तक नियंत्रण में आ गई।


3. साधु-संतों के लिए मेला क्षेत्र में ही विशेष इंतजाम

महाकुंभ 2025 जिस एक कारण से और याद किया जाएगा, वह है इस कुंभ में ऐसे कई गुरु, बाबा और साधकों के जुटने का, जिनके पास खास सिद्धियां हैं। इस बार महाकुंभ में 9 लाख से अधिक साधु-संत और नागा पहुंचे। इसके अलावा 10 लाख कल्पवासी भी महाकुंभ मेला क्षेत्र में ही रहे। सरकार की तरफ से संतों के लिए जबरदस्त व्यवस्थाएं भी कीं, जिससे महाकुंभ काफी सुगम रहा।


4. वायरल हुए कई बाबा, कुछ ही दिन में लाखों हुई फॉलोवर्स की संख्या

इतना ही नहीं महाकुंभ में बहुत कुछ ऐसा भी रहा, जो आम लोगों के लिए सामान्य तो कतई नहीं कहा जा सकता। फिर चाहे वह एक आईआईटी करने के बाद नौकरी छोड़ चुके अभय सिंह का सन्यांस लेना हो या संस्कृति के ज्ञाता विदेशियों का आश्रम बनाकर रहना। कुंभ में ऐसी कई चीजें थीं, जिसने लोगों को चौंकाया।


(i). आईआईटी बाबा

प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में आईआईटी कर चुके अभय सिंह बाबा के तौर पर जबरदस्त रूप से प्रचलित हुए हैं। एक न्यूज चैनल पर आए उनके इंटरव्यू ने लोगों को इस कदर का चौंका दिया कि लोग बड़े संस्थानों में पढ़ाई और बेहतरीन नौकरी छोड़ चुके अभय सिंह के बारे में जानने के लिए बेचैन हो गए। देखते ही देखते इंस्टाग्राम में उनके लाखों फैंस हो गए। आलम यह है कि अभय सिंह अब अपने फेम से खुद परेशान हो गए। उनका कहना था कि यह फेम उनके लिए परेशानी बन गया है। वह पहले आसानी से बाहर घूम लेते थे। चाय पी लेते थे, लेकिन अब बाहर नहीं जा पा रहे हैं। पहले किसी भी टेंट में जाकर सो जाते थे, लेकिन अब बाहर जाने से पहले सोचना पड़ता है।

(ii). वायरल हुईं 'मोनालिसा'

प्रयागराज के महाकुंभ मेले में आध्यात्मिकता और भक्ति के बीच, एक साधारण माला विक्रेता अपने अप्रत्याशित आकर्षण से लोगों खींच रही है। महेश्वर की इस युवती, जिसे लोग प्यार से 'मोनालिसा' कह रहे हैं। उसका असल नाम मोनालिसा ही है, उसे घर पर मोनी कहकर बुलाया जाता है। मोनालिसा ने अपनी खूबसूरती और खास अंदाज के चलते महाकुंभ 2025 से इंटरनेट पर तहलका मचा दिया है। मोनालिसा की अचानक सोशल मीडिया पर लोकप्रियता के कारण उनके कई वीडियो बनाए गए। उनकी खूबसूरती चर्चा का विषय बन गई, जिससे उनके आने का उद्देश्य ही खत्म हो गया। लगातार ध्यान और वीडियो रिकॉर्डिंग मोनालिसा के लिए भारी पड़ गई, जिसके कारण उन्होंने महाकुंभ मेला बीच में छोड़कर जाने की खबरें सामने आई थीं।

(iii). संस्कृत में पाठ करने वाले विदेशी साधुओं का आश्रम

कुंभ मेला के सेक्टर-17 में स्थित शक्तिधाम महाकुंभ का सबसे अनोखा आश्रम है। यह एक मात्र ऐसा आश्रम है, जहां आश्रम के नौ महामंडलेश्वर विदेशी हैं। ये हिंदी सही से नहीं बोल पाते, लेकिन फर्राटेदार संस्कृत में पाठ करते हैं। शक्तिधाम आश्रम में नौ महामंडलेश्वर विदेश से ताल्लुक रखते हैं। इनमें से एक ही महामंडलेश्वर हिंदी में बात करते हैं। पढ़ें पूरी खबर...

महाकुंभ में बॉलीवुड और अंतरराष्ट्रीय स्तर की भी कई हस्तियां पहुंचीं। इनमें कोल्डप्ले के गायक क्रिस मार्टिन, हॉलीवुड अभिनेत्री डकोटा जॉनसन, स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल, बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार, विक्की कौशल, विजय देवरेकोंडा, राजकुमार राव, रवि किशन पहुंचे। इसके अलावा अभिनेत्री रवीना टंडन, कैटरीना कैफ, पत्रलेखा ने भी मौजूदगी दर्ज कराई।

इसके अलावा खेल जगत से बॉक्सर मैरीकॉम, क्रिकेटर इशांत शर्मा, पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद कैफ और सुरेश रैना पहुंचे थे। इनके अलावा पूर्व दिग्गज सुनील गावस्कर और वीवीएस लक्ष्मण भी महाकुंभ में पहुंचे थे।

6. महाकुंभ में बने कौन से रिकॉर्ड गिनीज बुक में हो सकते हैं शामिल

स्वच्छता से जुड़े दो बड़े रिकॉर्ड

(i). 24 फरवरी के दिन करीब 15 हजार स्वच्छता कर्मियों ने 10 किलोमीटर क्षेत्र में एक साथ सफाई का रिकॉर्ड बनाया। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड इसे लेकर 28 फरवरी को फैसला दे सकता है।

(ii). 14 फरवरी को नदी स्वच्छता का रिकॉर्ड बना गया था। उस दिन 300 कर्मचारियों ने नदी की सफाई का रिकॉर्ड बनाया था। गिनीज बुक ने इसे रिकॉर्ड में शामिल किया है।

* इससे पहले 2019 के अर्धकुंभ में 10 हजार सफाई कर्मचारियों ने संगम तथा अन्य स्थानों पर एक साथ स्वच्छता अभियान चलाने का रिकॉर्ड बनाया था।

पेटिंग का रिकॉर्ड

(iii). हैंड प्रिंटिंग पेंटिंग के जरिए भी महाकुंभ में बना वर्ल्ड रिकॉर्ड

मेले में मंगलवार को हैंड प्रिंटिंग पेंटिंग का भी कीर्तिमान बना। 10,109 हजार लोगों ने महज आठ घंटे में अपने पंजे का छापा लगाकर महाकुंभ के प्रति अपनी आस्था प्रकट करने के साथ विश्व रिकॉर्ड भी बनाया। मेला प्रशासन ने अपना ही रिकॉर्ड तोड़ा जो कुंभ 2019 में बनाया गया था।

2019 में साढ़े सात हजार लोगों के हैंड प्रिंट लेने का रिकॉर्ड बना था, जो महाकुंभ 2025 में टूट गया। हैंड प्रिंटिंग पेंटिंग का नया कीर्तिमान बनाने के लिए गंगा पंडाल में कैनवास लगाया था। इसके लिए सुबह 10 से शाम छह बजे तक का समय निर्धारित किया गया था, जिसे लेकर लोगों में खासा उत्साह दिखा।

(iv). बसों के सबसे बड़े संचालन का रिकॉर्ड

महाकुंभ मेला के आखिरी दिन 700 शटल बसों के एक साथ संचालन का भी विश्व रिकॉर्ड बनाया जाएगा। यहां बसों की परेड कराई जाएगी। मेला प्रशासन इसके माध्यम से अपना ही रिकॉर्ड तोड़ेगा। कुंभ 2019 में 500 बसों के संचालन का रिकॉर्ड बनाया था। इस तरह एक दिन में सर्वाधिक बसों का संचालन कर नया रिकॉर्ड बनाए जाने की तैयारी है।

7. मौनी अमावस्या पर एक दिन में सबसे बड़े जुटाव का रिकॉर्ड

प्रयागराज में मौनी अमावस्या पर करीब 7.6 करोड़ लोगों ने डुबकी लगाई। जो कि एक दिन में किसी एक जगह पर लोगों के जुटाव का रिकॉर्ड है। दरअसल, प्रयागराज की आबादी करीब 1 करोड़ है। यानी मौनी अमावस्या के दिन जिले में करीब 8.6 करोड़ लोग पहुंचे थे।

जर्मनी जिसकी आबादी 8 करोड़ से ज्यादा है, मौनी अमावास्या के दिन उसकी आबादी भी प्रयागराज पहुंची भीड़ से कम रही। इसके अलावा यूरोप के सभी देशों की आबादी मौनी अमावस्या के शाही स्नान के लिए जुटी भीड़ से कम थी। जहां ब्रिटेन की आबादी 6 करोड़ 91 लाख है, तो वहीं फ्रांस की जनसंख्या 6.65 करोड़ ही है।

इतना ही नहीं अमेरिका के 54 देशों में से सिर्फ तीन देशों की आबादी ही मौनी अमावस्या पर प्रयागराज से ज्यादा रही। इनमें अमेरिका, ब्राजील और मैक्सिको शामिल हैं। जबकि कोलंबिया, अर्जेंटीना, कनाडा से लेकर उरुग्वे तक महाकुंभ में प्रयागराज में मौनी अमावस्या पर लोगों की मौजूदगी से कम रहे।

8. और आखिर में- वह घटना जिसने दिल को दिया जख्म

मौनी अमावस्या पर तकरीबन आठ करोड़ लोगों ने गंगा के पवित्र जल में आस्था की डुबकी लगाई। मौनी अमावस्या पर स्नान के लिए बीते एक-दो दिन से ही भारी संख्या में लोग यहां पहुंचने लगे थे। अमावस्या के चलते हर कोई संगम में स्नान करना चाह रहा था। इसके चलते मंगलवार शाम से ही संगम नोज पर भारी भीड़ इकट्ठा हो गई थी। कई श्रद्धालु तो ऐसे थे जो मध्य रात्रि में ही संगम क्षेत्र में पहुंच गए थे और वहां आराम करने लगे थे। इस बीच रात करीब दो बजे खबर आई कि संगम नोज के पास भगदड़ मच गई। हालांकि आनन-फानन में कड़े प्रयासों के बाद स्थिति पर काबू पाया गया। इस हादसे में 30 लोगों ने अपनी जान गंवा दी और 60 लोग घायल हो गए

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