'उन्हें भी साथ लेकर चलना है जो हमारे विचारों से सहमत नहीं, जानें किस बात को लेकर बोले मोहन भागवत

भोपाल में आरएसएस के अनुषांगिक संगठन विद्या भारती के पूर्णकालिक कार्यकर्ता अभ्यास वर्ग के शुभारंभ पर संघ प्रमुख मोहन भागवत पहुंचे। इस दौरान उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि विद्या भारती केवल शिक्षा प्रदान करने का कार्य नहीं करती, बल्कि समाज को सही दिशा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। विश्व भारत की ओर देख रहा है उसे मानवता की दिशा देनी होगी।
'परिवर्तन जरूरी है'
आगे कहा कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसे व्यापक दृष्टिकोण से देखना होगा। मानवता को सही दिशा देने के लिए आवश्यक है कि हम अपने काम को समाज के हर वर्ग तक पहुंचाना है। परिवर्तन जरूरी है, क्योंकि संसार स्वयं परिवर्तनशील है, लेकिन यह अधिक महत्वपूर्ण है कि परिवर्तन की दिशा क्या होनी चाहिए। विद्या भारती अपने विचारों के अनुरूप शिक्षा कार्य कर रही है। यह शिक्षा केवल पाठ्यक्रम तक सीमित नहीं है, बल्कि यह छात्रों के जीवन मूल्यों और संस्कारों का निर्माण भी करती है। उन्होंने कहा कि हमारी शिक्षा का कार्य व्यापक है, जो केवल ज्ञान देने तक सीमित नहीं रह सकता, बल्कि इसका उद्देश्य समाज को नैतिक रूप से समृद्ध बनाना भी है।
तकनीक हर क्षेत्र में प्रभाव डाल रही
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि समय के अनुसार परिवर्तन आवश्यक है, लेकिन इसमें निष्क्रिय होकर बैठना उचित नहीं होगा। इंसान अपने बुद्धि के दम पर समाज में परिवर्तन लाता है और उसे यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह परिवर्तन सकारात्मक है। आज के समय में तकनीक समाज के हर क्षेत्र में अपना प्रभाव डाल रही है। हमें टेक्नोलॉजी के लिए एक मानवीय नीति बनानी होगी। उन्होंने कहा कि आधुनिक विज्ञान और तकनीक में जो कुछ गलत है, उसे छोड़ना पड़ेगा और जो अच्छा है, उसे स्वीकार कर आगे बढ़ना होगा।
संस्कृति ने हमेशा सभी को जोड़ने का कार्य किया
उन्होंने भारत की सांस्कृतिक विशेषता पर जोर देते हुए कहा कि हमें विविधता में एकता बनाए रखनी होगी। भारत की संस्कृति ने हमेशा सभी को जोड़ने का कार्य किया है, और इसे बनाए रखना हमारा कर्तव्य है। हमें सोचना होगा कि सब में मैं हूँ, मुझ में सब हैं। डॉ. भागवत ने भारतीय दर्शन के इस मूल विचार को रेखांकित किया कि प्रत्येक व्यक्ति को यह समझना चाहिए कि वह समाज का अभिन्न अंग है और समाज भी उसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस दृष्टिकोण से हमें अपने कार्यों को संचालित करना चाहिए।
विश्व भारत की ओर देख रहा
आज विश्व भारत की ओर आशा भरी दृष्टि से देख रहा है। भारत ने सदैव सत्य के मार्ग पर चलते हुए अपने मूल्यों को बनाए रखा है, और यह आज भी उतना ही प्रासंगिक है। यदि समाज में परिवर्तन लाना है, तो सबसे पहले व्यक्ति में परिवर्तन लाना होगा। उन्होंने विद्या भारती की इस दिशा में भूमिका को महत्वपूर्ण बताया और कहा कि हमें ऐसी शिक्षा प्रणाली विकसित करनी होगी, जो व्यक्ति के चरित्र निर्माण में सहायक हो।
क्यों कहा सभी को साथ लेकर चलना है?
उन्होंने कहा कि हमारे प्रयास केवल एक वर्ग या समूह के कल्याण तक सीमित नहीं होने चाहिए, बल्कि हमें संपूर्ण समाज के कल्याण का लक्ष्य रखना होगा। उन्होंने कहा कि हमारी शक्ति और संसाधन केवल अपने लिए नहीं, बल्कि समस्त समाज की उन्नति के लिए समर्पित होने चाहिए। आगे उन्होंने अपनी बात को स्पष्ट करते हुए कहा कि हमारे समाज में कई विचारधाराएँ हैं और हमें उन लोगों को भी साथ लेकर चलना है जो हमारे विचारों से सहमत नहीं हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी का भी मत भिन्न हो सकता है, लेकिन कार्य की दिशा सही होनी चाहिए।
विमर्श का स्वरूप बदलना भी एक महत्वपूर्ण कार्य है। हमें सकारात्मक सोच और रचनात्मक विचारों के माध्यम से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए काम करना चाहिए।