हाथरस भगदड़ मामले में न्यायिक आयोग की जांच पूरी, सदन में इस दिन रिपोर्ट पेश करेगी यूपी सरकार

लखनऊ। हाथरस भगदड़ मामले की न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट गुरुवार को सदन के पटल पर रखी जाएगी। सूत्रों के अनुसार आयोग ने तत्कालीन एसडीएम व क्षेत्राधिकारी की भूमिका पर प्रश्नचिह्न लगाया है।
वहीं, सत्संग की मंजूरी देने व यातायात व्यवस्था की कमान आयोजक के निजी सुरक्षा कर्मियों के हाथों में सौंपने को भी आयोग ने गलत ठहराया है। आयोग ने सुझाव दिया है कि बड़े आयोजनों में भीड़ प्रबंधन की कमान प्रशासन को अपने हाथों में रखनी चाहिए। बीते माह हुई कैबिनेट की बैठक में आयोग की जांच रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखने की मंजूरी दी गई थी।
हाथरस में भोले बाबा के सत्संग में मची थी भगदड़
हाथरस के सिकंदराराऊ में स्थित फुलराई गांव में बीते वर्ष दो जुुलाई को भोले बाबा उर्फ नारायण हरि के सत्संग के बाद भगदड़ में 121 लोगों की मौत हो गई थी। राज्य सरकार ने मामले की जांच के लिए हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति ब्रजेश कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया था।
सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी हेमंत राव व सेवानिवृत्त आइपीएस अधिकारी भवेश कुमार सिंह को आयोग का सदस्य बनाया गया था। रिपोर्ट में कई बिंदुओं को उजागर किया गया है। सूत्रों के अनुसार रिपोर्ट में भोले बाबा को आरोपी नहीं ठहराया गया है। आयोग ने बीती जनवरी में सरकार को रिपोर्ट सौंपी थी।
HC ने तत्कालीन DM-SSP को किया था तलब
बीते दिनों जनवरी में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हाथरस में हुई भगदड़ मामले में जवाब मांगा था। कोर्ट ने दो जुलाई 2024 को गांव फुलरई मुगलगढी में सूरजपाल उर्फ भोले बाबा के अनुयायियों की तरफ से आयोजित सत्संग में हुई भगदड़ में हुई मौतों के मामले में तत्कालीन जिलाधिकारी व एसएसपी को हलफनामे के साथ 15 जनवरी को तलब किया था।
ये आदेश कोर्ट ने महाकुंभ के शुरू होने से पहले दिया था। तब कोर्ट ने कहा था कि महाकुंभ में करोड़ों लोग आएंगे। वैसे तो केंद्र व राज्य सरकार इंतजाम में लगी है, प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री मौके पर आकर व्यवस्था देख रहे हैं। निर्विघ्न ढंग से महाकुंभ मेला संपन्न होने पर प्रदेश ही नहीं, देश के बाहर एक अच्छा उदाहरण पेश होगा।