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उत्तर प्रदेश

नियमों को ताक पर रखकर चंदौली में धड़ल्ले से बेसमेंट में संचालित हैं निजी अस्पताल, महकमा बना मूकदर्शक!

नियमों को ताक पर रखकर चंदौली में धड़ल्ले से बेसमेंट में संचालित हैं निजी अस्पताल, महकमा बना मूकदर्शक!
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ओ पी श्रीवास्तव,चंदौली

चंदौली: खबर जनपद चंदौली से है जहां स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और उदासीनता के कारण अवैध अस्पतालों का संचालन बेरोकटोक जारी है। इतना ही नहीं जनपद के मुख्यालय से लगायत अंचल क्षेत्रों में भी धड़ल्ले से बेसमेंट में अस्पताल का संचालन जारी है। जहां ओपीडी और ऑपरेशन तक किए जा रहें हैं। स्थायी डाक्टरों की गैरमौजूदगी और मानकों की अनदेखी से मरीजों की जान खतरे में हैं, वहीं गांधी जी के तीन बंदरों की भांति महकमा की चुप्पी भी आने वाले हादसों की सूचक बनी हुई है।

विदित हो कि स्वास्थ्य महकमा द्वारा समय - समय पर अवैध अस्पतालों के खिलाफ जांच की जाती हैं, लेकिन बेसमेंट में संचालित अस्पतालों की ऊंची पैठ के कारण कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई जाती है।फिलहाल आपको बता दें कि अस्पतालों के पंजीयन का दौर चल रहा है यदि महकमा दिल्ली हादसों से सबक लेते हुए सरकार के नियमों के तटस्थ अनुपालन में बेसमेंट में संचालित अस्पतालों पर भी कार्रवाई अमल में लाता तो भविष्य के खतरों से मरीजों की जान बच सकती है।

चंदौली मुख्यालय से लेकर सकलडीहा, मुगलसराय, चकिया, बबुरी,शहाबगंज और नौगढ़ में ऐसे कई अस्पताल हैं, जो बेसमेंट में निर्धारित मानकों के विपरीत संचालित हैं। हालांकि आपको यह भी बता दें कि स्थानीय स्वास्थ्य महकमा इस बात की भी तकसीद करता है कि स्वास्थ्य मानकों के अनुसार बेसमेंट में अस्पताल संचालित करने से कई गंभीर खतरे हो सकते हैं। ऑक्सीजन की कमी और वेंटिलेशन की समस्या, आग लगने या आपदा की स्थिति में मरीजों की सुरक्षा खतरे में। वहीं सबसे बड़ी बात है स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइन का उल्लंघन। इसके बावजूद स्थानीय महकमें की चुप्पी पर लोगों ने सवाल उठाए हैं और कहा कि योगी सरकार के कार्यकाल में इतनी बड़ी लापरवाही होना, समझ से परे है।

हालांकि हमारा काम सच्चाई के साथ आवाज उठाना है, जो क्रमशः जारी रहेगा।

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