देवताओं पर सिपाही ने की अभद्र टिप्पणी, एसएसपी ने किया निलंबित

गोरखपुर। देवताओं पर अभद्र टिप्पणी करने वाले गुलरिहा थाने के सिपाही शिवजी प्रसाद को निलंबित कर दिया गया है। इंटरनेट मीडिया पर तीन दिन से सिपाही की बातचीत का आडियो तेजी से प्रसारित हो रहा था, जिसमें वह राम, राम मंदिर और भगवान कृष्ण को लेकर आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग कर रहा था। मामला संज्ञान में आने पर एसएसपी डा. गौरव ग्रोवर ने जांच कराई। आरोप सही पाए जाने पर सिपाही को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया और विभागीय कार्रवाई के आदेश भी दिए गए।
तीन दिन पहले इंटरनेट मीडिया पर एक 1 मिनट 18 सेकंड का एक आडियो क्लिप सामने आया, जिसमें कुछ लोग राम, राम मंदिर और भगवान कृष्ण को लेकर बातचीत कर रहे थे। एक व्यक्ति देवताओं पर अभद्र टिप्पणी कर रहा था।
छानबीन करने पर पता चला कि यह गुलरिहा थाने मेडिकल कालेज पुलिस चौकी पर तैनात सिपाही शिवजी है। आडियो तेजी से प्रसारित होने लगा और स्थानीय लोगों में इसको लेकर नाराजगी बढ़ती गई। कई लोगों ने इस आडियो को पुलिस अधिकारियों तक पहुंचाया।
आखिरकार, किसी ने इसे एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर को भेज दिया। मामला गंभीर होने के कारण उन्होंने तत्काल जांच कराई। जांच में सिपाही के बयान को अनुशासनहीनता और कर्तव्य में लापरवाही माना गया। रिपोर्ट में स्वेच्छाचारिता और पुलिस आचरण नियमों के उल्लंघन की पुष्टि हुई।
इसके बाद एसएसपी ने सिपाही को निलंबित करने के आदेश जारी कर दिए। इस घटना के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया। अधिकारियों ने सभी पुलिसकर्मियों को अनुशासन बनाए रखने और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली किसी भी टिप्पणी से बचने की सख्त हिदायत दी है।
एसपी का हस्ताक्षर कर मुंशी ने दाखिल कर दी चार्जशीट
खजनी सीओ कार्यालय में तैनात विवेचना मुंशी शनि चौधरी के कारनामे से एसपी हैरान हो गए। छेड़खानी व दलित उत्पीड़न के मुकदमे में उनका हस्ताक्षर करके मुंशी ने चार्जशीट दाखिल कर दी। मामले की जानकारी होने पर एसपी दक्षिणी ने जांच कराई तो भेद खुला।
रिपोर्ट के आधार पर एसएसपी डा.गौरव ग्रोवर ने गुरुवार की शाम आरोपित मुंशी शनि को निलंबित करने के साथ ही खजनी थाने में जालसाजी का मुकदमा दर्ज कराया है। खजनी सीओ कार्यालय में वह दो वर्ष से जांच मुंशी के पद पर तैनात था। खजनी थाने में दर्ज छेड़छाड़, मारपीट और दलित उत्पीड़न के मुकदमे की विवेचना सीओ खजनी कर रहे थे। विवेचना पूरी होने पर मुंशी ने चार्जशीट तैयार की।
इस पर एसपी दक्षिणी जितेंद्र तोमर के हस्ताक्षर होने थे, लेकिन मुंशी ने खुद ही एसपी का फर्जी हस्ताक्षर कर दिया और चार्जशीट थाने के पैरोकार के जरिए कोर्ट भेज दी। वहां पेशकार ने जब चार्जशीट देखी तो एसपी के हस्ताक्षर पर संदेह हुआ। उसने चार्जशीट वापस करने के साथ ही इसकी जानकारी एसपी दक्षिणी को दी।
उन्होंने मामले की जांच कराई, जिसमें पता चला कि सीओ कार्यालय से चार्जशीट उनके यहां आई ही नहीं थी। सीओ कार्यालय से फाइल मांगी तो उस पर अपने हस्ताक्षर देख एसपी दक्षिणी हैरान रह गए। जालसाजी की पुष्टि होने पर एसएसपी को मामले की जानकारी दी तो उन्होंने मुंशी शनि चौधरी को निलंबित कर दिया।