मनुस्मृति जलाने से जुड़े विवाद पर रामभद्राचार्य बोले- 'अंबेडकर को नहीं थी संस्कृत के बारे में जानकारी'

24 मार्च को जगद्गुरु रामभद्राचार्य वाराणसी पहुंचे थे. इस दौरान काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कार्यक्रम के साथ-साथ वह वाराणसी के प्राचीन संकट मोचन मंदिर में भी दर्शन करने के लिए पहुंचे. इस दौरान एबीपी न्यूज के सवालों पर भी उन्होंने देश के अलग-अलग विषयों पर बड़ा बयान दिया. महाराष्ट्र में हुई हिंसा, औरंगजेब के अलावा काशी मथुरा को लेकर भी उन्होंने स्पष्ट कहा कि इससे कोई समझौता नहीं होगा हम काशी मथुरा लेकर रहेंगे.
मनुस्मृति जलाने वाले विषय को लेकर चुनौती देते हुए जगदगुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि अंबेडकर को संस्कृत के बारे में जानकारी नहीं थी. मनुस्मृति के मामले में मैं बहस की सीधी चुनौती देता हूं और कहता हूं कि मनुस्मृति में एक भी अक्षर राष्ट्र के विरोध में है तो बता दें. इसके अलावा धार्मिक स्थल के बारे में उन्होंने कहा कि हम मथुरा भी लेकर रहेंगे ज्ञानवापी भी लेकर रहेंगे.
किस मुद्दे पर क्या कहा
वहीं अलग-अलग जगहों के नाम बदलने वाले विषय को लेकर भी कहा कि नाम बदलना बहुत आवश्यक है. रामभद्राचार्य द्वारा अपने भक्तों के साथ प्राचीन संकट मोचन मंदिर में पहुंचकर विधि विधान से दर्शन पूजन किया गया. प्राचीन संकट मोचन मंदिर में दर्शन करने के बाद एबीपी न्यूज से बातचीत में जगदगुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि मेरी अध्ययन भूमि काशी रही है.
उन्होंने कहा कि 1970 से 1981 तक यही पढ़ा हूं. पीएचडी से लेकर डिलीड और जेआरएफ भी मेरा यहां से ही रहा है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से हिंदुओं पर हिंसा हो रही है, उससे मन मर्माहत नहीं दंड देने का मन करता है. औरंगजेब के हितैषी बनने वाले लोगों को इतना दंड मिलेगा की उनकी नानी याद आ जाएंगी.
बता दें कि छावा फिल्म रिलीज होने के बाद से ही औरंगजेब को लेकर तमाम तरह की बयानबाजी चल रही है. तमाम दलों के नेता इस मुद्दे पर बयान दे रहे हैं.