कश्मीर पर राजा भैया के बयान से भड़के अखिलेश यादव, नाम सुनते ही कहा- हमारा उनसे कोई परिचय उनसे नहीं है

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 2 अप्रैल को बैसरन इलाके में आतंकवादियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध फायरिंग की और इस हमले में 28 लोगों की जान चली गई. इस आतंकी हमले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है. इसी बीच समाजवादी पार्टी के चीफ अखिलेश यादव ने प्रेस कॉनफ्रेंस करते हुए कहा कि यह घटना बहुत दुःखद है, जो वीडियो सोशल मीडिया से आ रहें हैं वो बहुत गंभीर हैं. इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में सपा चीफ अखिलेश यादव से जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के अध्यक्ष और कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को लेकर सवाल किया तो उन्होंने ऐसा जवाब दिया जिससे सभी चौंक गए.
पूर्व सीएम अखिलेश यादव जब लखनऊ में सपा कार्यालय पर पहलगाम को लेकर प्रेस कॉनफ्रेंस कर रहे थे तभी उनसे पूछा गया कि राजा भैया ने कश्मीर टूरिज्म के बॉयकॉट की अपील की है इसको लेकर उनका क्या कहना है? इस सवाल पर सपा चीफ अखिलेश यादव ने कहा कि हमारा कोई परिचय उनसे नहीं है और इसी के साथ अखिलेश ने राजा भैया के बयान पर किनारा कर लिया. अखिलेश के इस तरह के बयान से साफ लग रहा है कि सपा चीफ और राजा भैया के बीच कुछ ठीक नहीं है.
क्या बोले थे राजा भैया
पहलगाम आतंकी हमले के बाद राजा भैया ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा-"कश्मीर में हिन्दू तो पहले ही मारे काटे जा चुके हैं, जो जान बचाकर भागने में सफल रहे वे अपने ही देश में आज भी शरणार्थी हैं. अब अपने पर्यटक भाई बहनों से कहना चाहूंगा कि जब हम अपने बच्चों को गर्मी की छुट्टियों में कश्मीर घुमाने ले जाते हैं तो न सिर्फ अपने परिवार के जीवन को खतरे में डालते हैं बल्कि आतंकवादी, अलगाववादी, जेहादी ताकतों को आर्थिक रूप से मजबूत करते हैं, इतना ही नहीं हम अनजाने में अपने ही खिलाफ छिड़े ‘जेहाद’ को अपनी ही जेब से फंड करते हैं."
उन्होंने कहा-"डल झील में नावों पर सपरिवार सेल्फी लेकर हम विश्व को ये संदेश देते हैं कि कश्मीर में अमन चैन है, लेकिन आज फिर एक बार असलियत सबके सामने आ गयी. इसमें कोई शक नहीं कि कश्मीर में लगभग सभी की मानसिकता अलगाववादी है, कोई प्रत्यक्ष तो कोई परोक्ष रूप से आतंक का समर्थन करता है, और वहां के राजनैतिक दल भी इसका अपवाद नहीं हैं, ऐसे में हम कश्मीर जाकर होटल, भोजन, खरीदारी करके उनके अल-जेहाद को ही बल देते हैं. जिन पर्यटकों की उनके परिजनों के सामने बर्बर हत्या की गयी उनकी पैंट उतरवा कर आतंकवादियों ने ये तय किया कि वो मोमिन है या काफिर. कलावा देख के और वस्त्र उतारकर धर्म देखने के बाद गोली मारने वाले आतंकियों ने एक बार फिर साबित कर दिया कि आतंकवाद का मजहब होता है."