Janta Ki Awaz
उत्तर प्रदेश

जब तक तोड़ेंगे नहीं, तब तक छोड़ेंगे नहीं... ओकेंद्र राणा ने ली सपा सांसद सुमन के काफिले पर हमले की जिम्मेदारी

जब तक तोड़ेंगे नहीं, तब तक छोड़ेंगे नहीं... ओकेंद्र राणा ने ली सपा सांसद सुमन के काफिले पर हमले की जिम्मेदारी
X

आगरा। सपा के राज्यसभा सदस्य रामजीलाल सुमन के काफिले पर हमले की जिम्मेदारी क्षत्रिय करणी सेना के राष्ट्रीय युवा अध्यक्ष ओकेंद्र राणा ने ली है। इंटरनेट मीडिया में वीडियो पोस्ट कर उन्होंने कहा, सुमन के काफिले पर हमला क्षत्रिय करणी सेना ने किया है। वह इसकी जिम्मेदारी लेते हैं। दु:ख इस बात का है कि, वह फिर बच गया। कुछ गाड़ियां टूट गईं। प्रशासन ने उसे बचा लिया।

ओकेंद्र राणा ने कहा, उप्र सरकार व प्रशासन से निवेदन है कि वह सुमन को बार-बार नहीं बचाएं। इसने बहुत बड़े महापुरुष व हिंदुओं को गद्दार कहा है। यह देश सनातन धर्म का है। इसने हमें गद्दार बोला है। ऐसे लाेगों की सुरक्षा नहीं होनी चाहिए। सुमन के आने की 20-25 मिनट पहले जानकारी मिलने पर टीम को सक्रिय किया गया था। पहले जानकारी मिली होती तो कुछ अच्छा सुनने को मिलता। हमारा मकसद है कि जब तक तोड़ेंगे नहीं, तब तक छोड़ेंगे नहीं। चाहे अखिलेश हों या सुमन या फिर सपा के अन्य पदाधिकारी व नेता। किसी को छोड़ा नहीं जाएगा। सपा सफा।

सुमन ने कहा, सरकार कराना चाहती है मेरी हत्या

सपा के राज्यसभा सदस्य रामजीलाल सुमन ने काफिले पर हमले के बाद कहा, प्रदेश में दलितों को निशाना बनाया जा रहा है। उन्हें बुलंदशहर नहीं जाने दिया गया। घात लगाकर बैठे तथाकथित करणी सेना के लोगों ने गाड़ियों पर ईंट-पत्थर और टायर फेंके। हमले में कई गाड़ियां क्षतिग्रस्त हुईं। मैं आश्वस्त हूं कि मेरे ऊपर जानलेवा हमला हुआ है। मुझे लगता है कि सरकार जान-बूझकर मेरी हत्या कराना चाहती है।

रामजीलाल सुमन एचआइजी फ्लैट, संजय प्लेस स्थित आवास पर रविवार शाम प्रेसवार्ता कर रहे थे। उन्हाेंने कहा कि उनका बुलंदशहर जाना तीन दिन पहले से तय था। प्रशासन को इसकी जानकारी थी। हमला एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत किया गया है। प्रदेश में जिस तरह के तत्वों को संरक्षण व प्रश्रय मिल रहा है, उससे कानून व्यवस्था की स्थिति का अंदाज लगा सकते हैं।

आगरा में दी सभा की अनुमति

सुमन ने कहा, कि आगरा में 12 अप्रैल को प्रशासन ने शांति के साथ सभा की अनुमति दी थी। शर्ताें को तोड़कर तलवार, असलहा लहराए गए। कोई कार्रवाई नहीं किए जाने से वर्ग विशेष के हौंसले बुलंद हुए। शासन निरंकुश हो गया है। जान-बूझकर ऐसे हालात पैदा किए जा रहे हैं, जिससे अराजकता हो, कानून व संविधान का राज नहीं रहे। इससे प्रतिपक्ष के लोगों के लिए राजनीति करना मुश्किल हो जाएगा।

Next Story
Share it